खबरों की खबरचर्चित
देवर्ष खुदकुशी मामलें में शोधछात्र अरविंद वर्मा जांच के घेरे में
डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्र देवर्ष बागरी की आत्महत्या की जांच का शिकंजा गणित विभाग के रिसर्च स्कालर अरविंद वर्मा पर कस रहा है। घटना वाले दिन देवर्ष के साथ परीक्षा दे रहे कई छात्रों ने पुलिस को दिए बयानों में जो घटनाक्रम बताया है उससे पता चलता है कि रुटीन परीक्षा के दौरान सभी छात्र अपनी जेबों में मोबाइल रखे थे लेकिन स्कालर टीचर अरविंद वर्मा ने सिर्फ देवर्ष की कापी छीनी, उसके जेब से मोबाइल निकलवा कर अपने पास रखा और देवर्ष को परीक्षा हाल से बाहर निकाल दिया। देवर्ष ने शिक्षक से कापी वापस कर लिखने देने की प्रार्थना की लेकिन वे नहीं माने। देवर्ष ने परीक्षा हाल में पुनः लौट कर शिक्षक वर्मा से अपना मोबाइल मांगा तो शिक्षक उसे किनारे लेकर गया, कुछ देर बात की और मोबाइल वापस लौटा दिया पर परीक्षा नहीं देने दी। इसके बाद ही देवर्ष ने हास्टल जाकर फांसी लगाकर जान दे दी। बयान देने वाले छात्रों का कहना है कि शिक्षक अरविंद वर्मा और देवर्ष के बीच हुई इस बातचीत में वह कारण छिपा है जिसके कारण देवर्ष ने जान दी।छात्रों ने पुलिस को दिए बयानों में यह भी जानकारी दी है कि डेढ़ महीने पहले एक नियमित महिला असिस्टेंट प्रोफेसर कविता श्रीवास्तव मेटरनिटी लीव पर जाने के पहले स्कालर छात्र अरविंद वर्मा को लेकर कक्षा में आई थीं और उसका बिना परिचय दिए यह बताया कि अब यही मेरी जगह क्लास लिया करेंगे। बाद में छात्रों को अनुभव हुआ कि शिक्षक वर्मा के बहुत तेजी और अस्पष्ट ढंग से बोलने के कारण यह समझ में ही नहीं आता था कि वे कह क्या रहे हैं। देवर्ष फ्रण्ट रो का होशियार छात्र था उसने कक्षा में खड़े होकर शिक्षक से इस बाबत् आपत्ति ली कि वे धीमी गति में ठीक से बोलें तभी उनका कहा समझा जा सकेगा,…इसपर शिक्षक ने उसे डांटा और कहा कि वे ऐसे ही बोलेंगे। देवर्ष से कक्षा के दौरान शिक्षक का व्यवहार रूखा हो गया था। छोटी छोटी बातों पर कक्षा के बाहर भी कर देते थे।


देवर्ष के पिता अजयपाल सिंह बागरी नागौद विकासखंड के खमरिया प्राथमिक स्कूल में सहायक अध्यापक हैं। उन्होंने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर आए देवर्ष ने अपनी मां को इसी समस्या के बारे में बताकर कहा था कि टीचर जो पढ़ा रहा है वह उसकी समझ में नहीं आ रहा, इससे तो अच्छा है कि वह वापस लौट आए। श्री बागरी ने कहा कि देवर्ष दसवीं में 80% और एमपी बोर्ड से बारहवीं में 84% लाने वाला छात्र था। उसे पढ़ने में रुचि थी लेकिन शिक्षक ने उसकी भावनाओं का दमन कर दिया। ऐसे शिक्षकों को दंड मिलना ही चाहिए।
18 सितंबर को अजयपाल देवर्ष का कमरा खुलवाने पुलिस के साथ टैगोर हास्टल पहुंचे थे। वहां पर हुए घटनाक्रम का वीडियो भी उन्होंने शेयर किया है, जो आप देख सकते हैं। उन्होंने बताया कि देवर्ष के पास दो मोबाइल थे। दोनों का डाटा डिलीट पाया गया है। हालांकि रक्षाबंधन के दौरान ही नया मोबाइल लिया गया था तो उसमें ज्यादा डीटेल नहीं रहा होगा। फिर भी ताजा डाटा डिलीट होना आश्चर्य में डालता है। देवर्ष ने 2015 से 2017 तक एक निजी डायरी मेंटेन की हुई थी जिसे वह प्रतिदिन अपडेट करता था। यह डायरी आज भी घर पर है। निश्चित रूप से ऐसी ही डायरी हास्टल में भी उसने मेंटेन की होगी। लेकिन वह भी नहीं मिली। पिता और पुलिस ने पूरे तलाशी ली पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिलने पर सभी को हैरानी हुई है।
देवर्ष के पिता ने एक और बड़ा खुलासा किया कि देवर्ष के कमरे की एक बड़ी खिड़की का दरवाजा टूटा हुआ था जिससे कोई भी शख्स बिना दरवाजे का उपयोग किए कमरे में आ जा सकता है। यह खुलासा विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को उजागर करता है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने देवर्ष की मृत्यु के कारणों का पता लगाने जो पांच सदस्यीय कमेटी नियुक्त की है उसकी रिपोर्ट भी आना शेष है।
देवर्ष के पिता अजयपाल ने बताया कि मैंने पुलिस और देवर्ष के साथियों से कहा है कि उसके कपड़े और किताबें जरूरत के हिसाब से यही बांट दी जाएं। वे इन्हें घर ले जाना नहीं चाहते। बस कुछ ऐसा किया जाए कि आगे किसी का बच्चा ऐसा कदम न उठाए।


हमने रिसर्च स्कालर शिक्षक अरविंद वर्मा से भी बात की जो मूल रूप से लखनऊ के पास सीतापुर के निवासी हैं और विभाग के पहले जेआरएफ पाने वाले स्कालर हैं। वर्मा ने बताया कि यह सच है कि तीन चार छात्रों ने उच्चारण की गति के कारण व्याख्यान समझ में नहीं आने की शिकायत की थी, इस पर सुधार की कोशिश का आश्वासन देकर यह भी कहा था कि आप बार बार पूछ सकते हैं। वर्मा कहते हैं इन शिकायत करने वालों में देवर्ष भी था यह याद नहीं है। घटना वाले दिन पर वर्मा ने कहा कि उन्होंने एग्जाम शुरू होने पर चेतावनी दी थी कि सभी मोबाइल बाहर रख दें जिस पर दस बारह मोबाइल निकले। इसके बाद भी कुछ छात्र मोबाइल रखे रहे लेकिन वे उससे नकल नहीं कर रहे थे। देवर्ष फोन से नकल कर रहा था ,कापी और मोबाइल से मिलान करने पर दो तीन लाइनें ज्यों की त्यों मिलने पर उसकी कापी छीनी थी। वर्मा के अनुसार यह सब इतनी शांति से हुआ कि दूसरे छात्रों को डिस्टर्ब न हो। बाहर देवर्ष से हुई बातचीत पर वर्मा ने यह बताया कि उन्होंने देवर्ष को कहख कि,” तुम्हें मार्क्स नहीं मिलेंगे बाकी और कोई प्राब्लम नहीं होगी।” लगता है कि देवर्ष ने वर्मा से कहा होगा कि आपको मुझसे ही कोई प्राब्लम है क्या?
गणित विभाग के अध्यक्ष प्रो. आर के गंगेले का कहना था कि कुल 32 कक्षाओं में से 12 में देवर्ष की अनुपस्थिति है। अनौपचारिक चर्चा में उनका व्यक्तिगत मत था कि देवर्ष के परिवार को विश्वविद्यालय की ओर से कुछ आर्थिक संबल मिलना चाहिए, ऐसा फंड विवि में होता भी है।



