ब्रेकिंग न्यूज़

विधायक निर्मला सप्रे: जुबां पर भाजपा का गुणगान, लिखित में सदस्यता से इन्कार !

बीना विधायक सप्रे बोलीं, मैं विकास की पार्टी के साथ... जनता मेरा चुनाव चिन्ह ...…कांग्रेस बोली, हम लोग सप्रे का स्वागत करने उनके घर जाएंगे, अध्यक्ष अहिरवार बोले मुझे जानकारी नहीं

sagarvani.com9425172417

सागर। बीना विधायक निर्मला सप्रे ने भले ही भाजपा में शामिल होने से इनकार कर दिया है। लेकिन वे अपने भाषणों में भाजपाई सरकारों की तारीफ कर रही हैं। बुधवार को बीना के खिमलासा गांव में आयोजित जनसुनवाई शिविर में उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि देश और प्रदेश की सरकार की सोच है कि हम विकास की धारा के साथ चलें। इसी विकास की धारा के साथ आपकी विधायक भी शामिल हुई है। इसके लिए बधाई की पात्र ये सरकार भी है। इस सरकार से जुड़ने से कौन-कौन से विकास के काम हुए हैं। यह मैं आप सभी को बताना चाहती हूं। अपने भाषणों में एक जगह उन्होंने ये भी कहा कि मैं, विकास की पार्टी के साथ हूं और जनता ही मेरा चुनाव चिन्ह है। विस क्षेत्र का विकास मेरे लिए सर्वोपरि है। शाम को एक प्रेसनोट भी ऑनलाइन जारी हुआ। जिसकी आखिरी इबारत ये थी कि शिविर में खुरई एसडीएम, जनपद सीईओ और अन्य विभागीय अधिकारियों समेत भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे।

विधानसभा अध्यक्ष को जवाब दिया है कि मैं, भाजपा में शामिल नहीं हुई

बीते जुलाई में सप्रे के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर से लिखित शिकायत की थी। हाल ही में विधायक सप्रे ने इसका जवाब दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि मैंने भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। इधर उनके इस जवाब के बाद भाजपा समेत कांग्रेस में चर्चाएं गरमाई हुई हैं। कोई इस बात पर आश्चर्य कर रहा है कि लोकसभा चुनाव के समय राहतगढ़ की चुनावी सभा में जब मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, सप्रे के भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। तब सप्रे, भाजपा में शामिल नहीं होने की बात कैसे कह सकती हैं। कोई यह नहीं समझ पा रहा है कि सप्रे को कांग्रेस अपना नहीं मान रही वे स्वयं को भाजपाई नहीं मान रहीं। तब वे किस पार्टी में हैं। इस बारे में वह क्या जवाब देंगी। इधर सबसे ज्यादा ऊहापोह की स्थिति में वे कतिपय भाजपाई हैं। जो सप्रे के साथ जुड़ गए थे। लेकिन विधायक द्वारा स्वयं को भाजपाई मानने से इनकार करने के बाद वे अनिर्णय की स्थिति में है।

बीना कांग्रेस ने कहा, सप्रे का गर्मजोशी से स्वागत करेंगे, अध्यक्ष बोले मुझे जानकारी नहीं

इस आयोजन से इतर बीना की ब्लॉक एवं शहर कांग्रेस कमेटी ने एक प्रेस नोट जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि गुरुवार को स्थानीय कांग्रेसी सर्वोदय चौराहा पर एकत्र होंगे। जहां से वह विधायक निर्मला सप्रे के घर जाएंगे। इससे पहले ये लिखा है कि विधानसभा सदन में विधायक सप्रे ने कहा है कि, मैंने भाजपा की सदस्यता नहीं ली है ना ही कांग्रेस छोड़ी है। जिसको लेकर हम सभी कांग्रेसी दोपहर 12 बजे सप्रे के घर जाएंगे और उनका गर्मजोशी से स्वागत करेेंगे। इधर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष डॉ. आनंद अहिरवार का कहना है कि बीना कांग्रेस के उक्त आयोजन की उन्हें आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं है। जहां तक सप्रे की बात है तो वह लोस चुनाव की रैली में उन्होंने सीएम डॉ. यादव के साथ भाजपाई मंच साझा किया था। बीते पांच महीनों में वे कभी भी कांग्रेस की किसी बैठक या आयोजनों में शामिल नहीं हुई। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने बीना का दौरा किया। सीधी बात है कि उन्होंने जनता के विश्वास के साथ धोखा किया है। इस लिहाज से उन्हें विधानसभा अध्यक्ष को विधायक पद से इस्तीफा देना चाहिए।

एक्सपर्ट की राय: कांग्रेस की आपत्ति में ज्यादा दम नहीं है

बीना विधायक के जवाब के बाद उनकी दलगत स्थिति को लेकर कुहासा सा है। सभी की जुबान पर यही सवाल है कि क्या सपे्र की विधानसभा सदस्यता खत्म होगी और उप-चुनाव होंगे। इस मसले को लेकर विधानसभा सचिवालय में रहे एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, मुझे जहां तक जानकारी है कि कांग्रेेस ने इस मामले में एक्शन लेने में काफी देर कर दी। जिसके चलते सप्रे के खिलाफ ठोस कार्रवाई करा पाना मुश्किल होगा। सबसे पहले तो कांग्रेस ने दलबदल संबंधी शिकायत करने में ही अकारण दो महीने लगा दिए। इस दौरान उनके अधिकांश वरिष्ठ नेता इस मसले पर चुप्पी साधे रहे। कांग्रेस को यह तब ही कर देना थी जब विधायक सप्रे ने 5 मई को सीएम डॉ. यादव संग राहतगढ़ में मंच साझा किया था। और सीएम ने

विधायक निर्मला सप्रे , बीना रिफायनरी और कप्तानसिंह यादव

सप्रे के भाजपा में शामिल होने की घोषणा की थी। जैसे-तैसे दो महीने बाद कांग्रेस ने दो महीने बाद 5 जुलाई को शिकायत की भी तो उसके लिए विधिक राय नहीं ली। सूत्रों के अनुसार इस शिकायत में भी कांग्रेस ने कुछ खास साक्ष्य पेश नहीं किए। केवल अखबारों की वे कटिंग संलग्न की हैं। जिनमें वह सीएम या अन्य मंत्रिगण के साथ सरकारी कार्यक्रमों में मौजूद हैं। जबकि उन्हें दल-बदल के प्रमाण के रूप में सप्रे के भाजपा की सांगठनिक बैठक में मौजूदगी, सदस्यता पर्ची के सुबूत या पार्टी की गतिविधियों में शामिल होने संबंधी तथ्य पेश करना थे। मौजूदा हालात के हिसाब से भाजपा चाहेगी तो सप्रे की सदस्यता, शेष कार्यकाल तक बनी रह सकती है। बशर्ते, कांग्रेस को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से कोई स्पष्ट राहत नहीं मिल जाए। इसके बावजूद अध्यक्ष चाहें तो सप्रे को स्वतंत्र विधायक का दर्जा देकर उनकी सदस्यता बरकरार रख सकते हैं। छत्तीसगढ़ में अमित जोगी के मामले में ऐसा हो चुका है। यह बात तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है कि अध्यक्ष को अगले 3  महीने में सप्रे की सदस्यता को लेकर निर्णय लेना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मामले में संबंधित विधानसभा अध्यक्ष को तत्कालीन परिस्थितियों के मद्देनजर दिया था। क्योंकि वहां दल-बदल करने वाले कुछ विधायकों की सदस्यता का मामला करीब 4 साल तक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेन्डिंग रहा था।  

16/10/2024

 

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!