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मानसिक नि:शक्त बच्ची रुंआसी हो मां- बाप को ताकती रही, अड़ियल बाल कल्याण समिति ने नहीं सौंपा
पूरे दिन ऑफिस में बैठाए रहे ,फिर बोले अध्यक्ष नहीं है इसलिए बच्ची नहीं सौंपेंगे। कलेक्टर के निर्देश पर तीनों सदस्यों को शो-कॉज नोटिस देने की तैयारी।
सागर वाणी डेस्क। 9425172417
सागर। ईसाई मिशनरीज के स्कूल, अनाथ आश्रम आदि की अनैतिक गतिविधियों को परोक्ष रूप से सपोर्ट करने के आरोपों में घिरी जिले की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का एक और नया कारनामा सामने आया है। मामला यूं है कि तिली गांव स्थित घरोंदा आश्रम में रह रही करीब 10 वर्षीय मानसिक नि:शक्त बच्ची को उसके बंडा निवासी मां-बाप लेने आए थे। लेकिन सीडब्ल्यूसी के सदस्य क्लीं राय,अंजनी मोहन नायक और डॉ. अमित अग्रवाल ने उन्हें बैरंग लौटा दिया। उनका कहना था कि जब तक अध्यक्ष मौजूद नहीं रहेंगे। हम लोग पुर्नवास की कार्रवाई संबंधी किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। बता दें कि आर्थिक रूप से विपन्न इस परिवार ने करीब डेढ़ साल पहले सीडब्ल्यूसी के माध्यम से ही अपनी बच्ची को आश्रम के हवाले किया था। जब उनकी आर्थिक स्थिति कुछ संभली तो वह नियमानुसार सीडब्ल्यूसी के आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज के सामने स्थित ऑफिस पहुंचे। जहां पहले तो उन्हें पूरे दिन बैठाए रखा गया। इसके बाद वहां मौजूद तीनों सदस्यों ने बच्ची के माता-पिता को उन्हें सौंपने से मना कर दिया। इसके बाद परेशान मां-बाप घरोंदा की संचालिका प्रीति यादव के साथ कलेक्टर दीपक आर्य से शिकायत करने उनके कार्यालय पहुंच गए।
जुवेनाइल एक्ट में बच्चों का पुर्नवास सबसे बड़ी प्राथमिकता
बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए बनाए गए जुवेनाइल एक्ट में आश्रम, हॉस्टल या अन्य संस्थाओं में रह रहे बच्चों को उनके जैविक माता-पिता के पास पुर्नवास कराना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। सीडब्ल्यूसी की कार्यप्रणाली के जानकारों का कहना है कि किसी भी बच्चे को पुर्नवासित करने के लिए समिति के तीन सदस्यों की मौजूदगी पर्याप्त होती है। जिसमें अध्यक्ष की मौजूदगी आवश्यक नहीं है। वहीं अगर किसी बच्चे को आश्रम, हॉस्टल या किसी अन्य संस्था में शिफ्ट करना है तो इसके लिए एक सदस्य की मौजूदगी ही कोरम माना जाता है। इधर चर्चा है कि सदस्यों का यह अड़ियल रवैया पहली बार सामने नहीं आया। कुछेक सदस्य तो ऐसे हैं जो निरीक्षण, पुर्नवास आदि से संबंधित किसी भी दस्तावेज पर कभी हस्ताक्षर नहीं करते हैं। लेकिन जब बात मानदेय की आती है तो संबंधित विभाग पर दबाव बनाने में जरा भी देरी नहीं करते।
कलेक्टर के संज्ञान में आया मामला, शो-कॉज नोटिस दिया जाएगा
इस मामले में जिला बाल संरक्षण अधिकारी बृजेश त्रिपाठी का कहना है कि यह प्रकरण कलेक्टर के संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने सीडब्ल्यूसी के इन सदस्यों के रवैए को गंभीरता से लिया है। तीनों सदस्यों को -कॉज नोटिस दिया जा रहा है। वहीं जल्द से जल्द इस बच्ची को उसके माता-पिता को सौंपा जा रहा है।



