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हजार करोड़ की जमीनें दे दी लेकिन सत्ता-कुर्सी के लिए विचारधारा नहीं छोड़ी : भूपेंद्रसिंह

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सागर। दो दिनी बुंदेलखंड रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव खत्म हो चुका है। इसके परिणाम अभी पन्नों में कैद हैं। जमीन जब आएंगे तब आएंगे ? लेकिन इस आयोजन से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और सत्ता- संगठन के बीच चल रहा कोल्ड-वार जरूर सतह पर आ गया है। तीन दिन पहले पूर्व मंत्री और वरिष्ठतम विधायक गोपाल भार्गव ने कॉन्क्लेव को पाव बीच (अधबीच इसलिए नहीं क्योंकि वे शुरूआती घंटे भर में चले गए थे) में अपने पोते को स्कूल लेने जाने के बहाने फेसबुक पोस्ट से अपना दर्द जाहिर कर दिया था। अब बुंदेलखंड के एक और वरिष्ठ नेता पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के डिप्टी कमान्डर-इन-चीफ पूर्व मंत्री सह-विधायक भूपेंद्रसिंह ने अपने मन की बात जाहिर की है। भार्गव ने तो फिर भी परिवार की बात करते-करते वर्तमान राजनीति में अपने हालात बयां किए थे। लेकिन सिंह ने खुलकर बात की है। उन्होंने आयोजन के मंच पर कुर्सी व्यवस्था के बहाने सत्ता- संगठन पर डायरेक्ट वार किया है। उन्होंने बड़े ही सधे हुए शब्दों में कहा है कि मैं कभी भी कुर्सी के नंबर या उसकी पोजिशन वाली राजनीति में नहीं पड़ा। “पत्रिका” अखबार की एक खबर के हवाले से वह लिखते हैं कि मैं भाजपा का वो अनुशासित सिपाही हूं। जो भाजपा- संघ की विचारधारा के लिए आधा दर्जन बार से अधिक जेल गया। कांग्रेस में शामिल होने के दबाव में आने के बजाए अपनी हजार करोड़ रु. की जमीन तत्कालीन कांग्रेसी सरकार को अधिगृहीत कर लेने दी। लेकिन सत्ता और कुर्सी के मोह में विचारधारा और पार्टी से समझौता नहीं किया। कूल माइंड से राजनीति करने वाले सिंह की ये सुलगती फेसबुक पोस्ट जस की तस नीचे है। पढ़ें और मनन करें कि भाजपा सरकार और संगठन का भविष्य क्या होगा ?

“आज एक समाचार पत्र में इस आशय की पंक्तियां पढ़ कर मन व्यथित हुआ जिसमें लिखा गया है कि सागर इन्वेस्टर्स कान्क्लेव के मंच पर अपनी कुर्सी लगवाने के लिए मैंने प्रयास किए या बैठक व्यवस्था से मुझे एतराज था।  संघ और भाजपा मेरे खून में है और इनके अनुशासन का अनुसरण सदैव मैंने किया है। जिसके लिए विगत 45 वर्षों से मैं कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं। इन 45 वर्षों में से लगभग 25 वर्ष ऐसे संघर्षों से भरे थे जिनमें कांग्रेस की सरकार थी। उस समय जनसमस्याओं को लेकर आंदोलनों में पुलिस की लाठियां खाईं, अनेक बार जेलों की यातनाएं सहीं लेकिन संघर्ष का मार्ग नहीं छोड़ा और न ही विचारधारा से समझौता किया। कांग्रेस के सत्ता काल में अपनी पार्टी के लिए छात्र जीवन से ही दरी बिछाने, दीवाल लेखन करने, सड़कों पर जनसमस्याओं को लेकर आंदोलन करने पर बिना किसी अपराध के जेलें काटीं। तब अनेक दिन ऐसे थे जब जेलों में खाना नहीं मिला, कड़ाके की सर्दियों में दरी और कंबल भी नहीं मिले और जेल के ठंडे फर्श पर बैठे-बैठे ही रातें गुजारीं। तब युवावस्था थी जब कांग्रेस सरकार ने मुझे प्रताड़ित करने के लिए एक वर्ष तक लगातार जेल में रखा और इस दौरान 7 बार जेलें बदलीं पर मैं झुका नहीं। पुलिस ने पीटा, दर्जनों झूठे मुकदमे लगाए। मुझे स्मरण आता है कि मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह जी के सागर आगमन पर छात्र आंदोलन हुआ तब उसमें सक्रिय हिस्सा लेने के प्रतिशोध में हमारे परिवार की बहुत सारी बेशकीमती जमीनों के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। मेरे पूज्य पिता और मुझ पर दबाव डाला गया कि कांग्रेस पार्टी में आ जाएं तो कुर्सी मिलेगी और जमीन का अधिग्रहण भी नहीं होगा।… लेकिन हमने कीमती जमीनों का सरकारी दरों पर अधिग्रहण हो जाने दिया लेकिन विचारधारा त्याग कर कांग्रेस में जाने और कुर्सियां लेने के प्रस्ताव को ठोकर मार दी। हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की हमारी जमीन पर हाऊसिंग बोर्ड की कालोनियां बना दी गईं। पर आज मैं गर्व और गौरव से कह सकता हूं कि 45 वर्षों से राजनीति में होने और विपरीत समय में प्रताड़ना सहने के बाद भी मेरे भरे पूरे परिवार के एक भी सदस्य ने कुर्सी के मोह में भाजपा के अलावा किसी और पार्टी या विचारधारा को अपने जीवन में स्थान नहीं दिया। किसी सदस्य ने कांग्रेस में जाने का कभी विचार भी मन में नहीं आने दिया। संघ और भाजपा के प्रति यही वैचारिक दृढ़ता और अनुशासन आज हमारी सर्वश्रेष्ठ पूंजी है। कुर्सियों का मोह हमने तब नहीं किया तो अब कुर्सियों के लिए मोह और समझौते क्या करेंगे! कुर्सियों की चाह मन में होती तो सारे संघर्ष और जेलों की यातनाएं क्यों सही होतीं ?”

……. और पूर्व मंत्री भार्गव कॉन्क्लेव छोड़ पोते को स्कूल लेने पहुंच गए !

30/09/2024

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