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उपभोक्ता आयोग:फसल बीमा के मुआवजा के लिए किसान को फुटबाल नहीं बना सकते बैंक और बीमा कंपनी

सागर। जिला उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष श्री ऋषभ सिंघई ने फसल बीमा के मामले में बीमा कंपनी द्वारा भुगतान करने से इंकार करने के मामले में प्रभावी फैसला दिया है। उपभोक्ता मामलों के जानकार एड. पवन नन्होरिया ने बताया कि किसान माखनसिंह राजपूत और भगतसिंह राजपूत ग्राम बसिया बांस पोस्ट नरयावली ने एचडीएफसी अरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड इंदौर से फसल बीमा कराया था। जिसका प्रीमियम जमा करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया गुजराती बाजार शाखा उत्तरदायी थी। लेकिन बीमा कंपनी ने यह बोलकर मुआवजा धन देने से इनकार कर दिया कि बैंक द्वारा प्रीमियम की राशि जमा नहीं की।

किसान ने बैंक की पासबुक की कॉपी पेश की, भुगतान का सुबूत दिया
एड. नन्होरिया ने बताया कि बीमा कंपनी ने भुगतान के मामले में आयोग के समक्ष तर्क दिया कि वादी किसानों को पूर्व के वर्षों में मुआवजा धन दिया गया, क्योंकि उनके बैंक द्वारा प्रीमियम की राशि जमा की गई थी। लेकिन इस वर्ष 2017 में बैंक ने राशि ट्रांसफर नहीं की। इसलिए मुआवजा नहीं दिया गया। जवाब में किसान की ओर से बैंक की पासबुक की कॉपी पेश की गई। जिसमें वर्ष 2017 के लिए प्रीमियम राशि काटने का उल्लेख था। आयोग ने बैंक और बीमा कंपनी के तर्कों को अमान्य करते हुए आदेश दिया कि विपक्षीगण संयुक्त और अलग-अलग परिवादी की मौजा भंसिया में 1.15 हैक्टेयर जमीन के लिए जमा किए गए 1572 रु. ऋण खाते के आधार पर सर्वे कराएं और वर्ष 2017 में सरकारी आंकड़ों में फसल का जो भी नुकसान हुआ है। उसका भुगतान परिवादी किसानों को किया जाए। इस राशि पर परिवाद पेश करने की दिनांक 11 नवंबर 2018 से 7 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी दिया जाए। परिवादी को हुए मानसिक व शारीरिक कष्ट को देखते हुए सेवा की कमी के मद में विपक्षीगण बैंक व बीमा कंपनी संयुक्त और पृथक-पृथक 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के लिए 3000 रु. का भुगतान करें।










