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डीलर ने बीबी का स्कूटर शो -रूम में रख नया बताकर बेचा, 30 हजार का हर्जाना

नए का बिल काटकर सेकंड हैंड स्कूटर बेचने वाले डीलर को देना होगी 30 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति राशि, स्कूटर का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिलने के कारण ग्राहक ने किया था आयोग में परिवाद दायर, बीएस-4जनरेशन का स्कूटर, डीलर ने स्वयं खरीदकर शो-रूम में रखकर बेच दिया था।

                            सागरवाणी डेस्क। 9425172417
सागर।जिला उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष ऋषभ सिंघई ने दो पहिया वाहनों की खरीद से जुड़े एक मामले में उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है। उपभोक्ता मामलों के जानकार वकील पवन नन्होरिया ने बताया कि मेरे पक्षकार दिलीप जैन निवासी गोपालगंज ने नवंबर 2020 में भगवानगंज स्थित वेस्पा स्कूटर के अधिकृत डीलर रितिल एजेंसी से एक स्कूटर खरीदा था। जिसके लिए उन्होंने 96 हजार रुपए से अधिक की राशि डीलर को अदा की थी। इसके एवज में डीलर ने उन्हें वाहन खरीदी की विधिवत रसीद तो दी लेकिन आरटीओ पंजीयन संबंधी दस्तावेज यह बोलकर नहीं दिए कि जैसे ही पंजीयन की प्रक्रिया पूरी होगी। आपको वाहन के दस्तावेज दे दिए जाएंगे। लेकिन जब दिलीप को लंबे समय तक वाहन के रजिस्ट्रेशन से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले तो उन्होंने आरटीओ से संपर्क किया। वहां से जानकारी मिली कि उक्त वाहन का इंजिन व चेसिस नंबर मई 2020 से सुमन शुक्ला के नाम से रजिस्टर्ड है। इस धोखाधड़ी की जानकारी मिलते ही मेेरे पक्षकार ने डीलर के संपर्क कर स्कूटर वापस करने की बात कही। लेकिन डीलर राजी नहीं हुआ और उसने कहा कि वह केवल आरटीओ संबंधी कार्रवाई कराने को तैयार है। डीलर के इस जवाब से असहमत होते हुए मेरे पक्षकार दिलीप जैन ने जिला उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग में परिवाद पेश कर दिया। उन्होंने सेवा में कमी के लिए 1 लाख और मानसिक व शारीरिक क्षति के लिए 1 लाख रुपए की मांग की।
बीएस-4 वाहन खरीदकर बेचने का हवाला दिया उपभोक्ता दिलीप ने इस मामले में वेस्पा कंपनी को भी पक्षकार बनाया था। लेकिन कोर्ट में उनके वकील ने तर्क दिया कि वह केवल वाहन निर्माता व सप्लायर हैं। आरटीओ संबंधी कोई भी संव्यवहार उनके द्वारा नहीं किया गया। आयोग ने उनके वकील के तर्क को मानते हुए उन्हें केस से बाहर कर दिया। इधर रितिल एजेंसी के मैनेजर ने बताया कि मेरी पत्नी सुमन शुक्ला इस फर्म की मालिक हैं। असल में वर्ष 2020 में 01 अप्रैल से बीएस-4 केटेगरी के वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। डीलर्स से कहा गया था कि वह 31  मार्च तक अपने पास उपलब्ध इस केटेगरी के वाहन बेच लें। अन्यथा उन्हें यानी डीलर्स को ही ये वाहन खरीदने होंगे। इस स्थिति में मेरी पत्नी और एजेंसी की संचालक सुमन शुक्ला ने यह स्कूटर अपने नाम से आरटीओ में रजिस्टर्ड करा लिया। बाद में जब दिलीप जैन ने एजेंसी पर आकर यह स्कूटर पसंद किया तो उन्होंने पूरे हालात बताते हुए करीब 12-13  हजार रुपए का डिस्काउंट भी दिया और स्कूटर बेच दिया। लेकिन बाद में दिलीप जैन की नीयत बदल गई और उन्होंने एजेंसी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाकर आयोग में परिवाद पेश कर दिया।
पुराना स्कूटर, एजेंसी में रखकर नहीं बेच सकते
आयोग के अध्यक्ष सिंघई ने पूरे मामले पर विचारण किया। उन्होंने एजेंसी के मालिक के वकील द्वारा दिए गए तर्कों से आंशिक सहमति जताते हुए कहा कि स्कूटर वापसी की मांग को खारिज कर दिया। लेकिन उन्होंने कहा कि एजेंसी संचालक पुराने स्कूटर की नई इन्वाइस जारी कर शासन के नियमों की अवहेलना की है। प्रथम क्रेता सुमन शुक्ला इस वाहन की स्वामी थीं तो उन्हें यह वाहन व्यक्तिगत स्तर पर बेचना था न कि अपनी फर्म की इनवाइस पर विक्रय करना था। ऐसा करना मोटर यान अधिनियम के आदेशों की भी अवहेलना है। इस स्थिति में परिवादी सेवा में कमी के लिए क्षतिपूर्ति का हकदार है। इसलिए एजेंसी संचालक उपभोक्ता को परिवाद मंजूर होने की तारीख से सालाना 7 प्रतिशत ब्याज दर के साथ 30  हजार रुपए और वाद व्यय के रूप में 3  हजार रुपए का अलग से भुगतान करे। एजेंसी संचालक को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी के पक्ष में एक माह के भीतर आरटीओ से वाहन स्वामित्व संबंधी कार्रवाई भी पूरी करे।  
29/08/2023

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