छत्तीसगढ़ के 10 हजार युवक दुबई में ले रहे हैं ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा खिलाने की ट्रेनिंग
सागर निवासी सरगना अमन जैन हर सप्ताह कमा रहा था 4-5 लाख रुपए

सागर। ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा खिलाने के लिए कुख्यात महादेव और लोटस-365 एप को लेकर कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। मोतीनगर पुलिस द्वारा रिमांड के दौरान पूछताछ में छत्तीसगढ़ निवासी युवकों ने बताया कि महादेव और लोटस को विस्तार देने की योजना पर काफी समय से काम चल रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के करीब 10 हजार युवकों को दुबई में फर्जी बैंक खाते तैयार करने से लेकर ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा का बुकी बनाने की ट्रेनिंग देने के लिए भेजा गया है।
करीब महीने भर की इस ट्रेनिंग के बाद ये युवक देश-प्रदेश में सट्टा खिलाने के इच्छुक युवाओं को ट्रेनिंग देंगे। उन्हें यह भी बताएंगे कि आसपास के लोग व पुलिस की नजर में आए बगैर कैसे काम किया जाता है। यहां बता दें कि महादेव क्रिकेट सट्टा का मूल संचालक लंबे समय से दुबई से पूरा सिस्टम ऑपरेट कर रहा है। उस तक सट्टे की रकम पहुंचाने के लिए हवाला का इस्तेमाल किया जाता है। 
अमन जैन हर सप्ताह पीट रहा था 4-5 लाख रु.
मोतीनगर थाना प्रभारी जसवंतसिंह ठाकुर के अनुसार अमन जैन स्वयंं को स्कूल बसों बिचौलिया बताता है। उसने बताया कि करीब दो साल पहले मैं दुर्ग में रहकर बस खरीदने के लिए खोजबीन कर रहा था। तभी दुर्ग जिले में मेरी मुलाकात पड़ोस में रहने वाले एक शख्स से हुई। हम लोग मित्र बन गए। तब उसने मुझे मैच के सट्टा के बारे में बताया। इसके बाद मैं छत्तीसगढ़ में ही रहकर यह काम करने लगा। फिर बाद में अपना ठिकाना इंदौर बना लिया। चूंकि वहां की सरकार महादेव एप समेत अन्य क्रिकेट सट्टे पर दबाव बनाए थी। इसलिए वहां के लड़कों की एक टीम लेकर मैं यहां आ गया। पुलिस का कहना है कि अमन इस कारोबार से हर सप्ताह 4-5 लाख रु. कमा रहा था।
बता दें कि छत्तीसगढ़ निवासी यह लड़के शनीचरी वार्ड में रहकर क्रिकेट सट्टा की आईडी बांटने से लेकर बुकिंग लेने का काम कर रहे थे। शनीचरी पर उन्होंने एक हॉलनुमा मकान काम्पटीटिव्ह एग्जाम की तैयारी के नाम पर लिया था।बचने का तरीका…विदेशी सिमें, फर्जी बैंक खाते और बार-बार मकान बदलना
इन युवकों ने बताया कि पुलिस और इनकम टैक्स की नजर में आने से बचने के लिए हम लोग कभी भी अपने बैंक खाते का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके लिए हम लोग अपने ही साथ करने वाले कुछ युवकों की मदद लेते हैं। जो गरीब, किसान व महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देकर उनका बैंक एकाउंट नंबर हासिल कर लेते है। कुछ मामलों में एकाउंट धारक को चंद हजार रु. बतौर एकाउंट किराया भी दिया जाता है। इसके बाद हमें सबसे ज्यादा आवश्यक होता है बेनामी मोबाइल सिम और खासकर विदेशी मोबाइल नेटवर्क की सिमें। जो देश में ही 500-700 रु. में मिल जाती है।

विदेशी सिम होने के कारण पुलिस हम लोगों को आसानी से सर्विलांस पर नहीं ले पाती है। इसके बाद मैदानी काम शुरु होता है। जिसमें हमें ट्रेनिंग दी जाती है कि कभी भी
एक ठिकाना बनाकर नहीं रहना र्है। हर महीने अपना रहवास बदलते रहो। शनीचरी का यह मकान भी हम लोग चंद दिन बाद छोड़नेे वाले थे। युवकोंं ने बताया कि ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा की लिंक व आईडी उपलब्ध कराने का काम करने के लिए हमें युवक व्यक्तिगत नेटवर्क के जरिए मिल जाते हैं। जबकि कुछ लोगों का चयन मोबाइल पर ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा के एड में दिलचस्पी लेने पर भी कर लिया जाता है।
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यहां बता दें कि मोतीनगर पुलिस ने हाल ही में सागर समेत छत्तीसगढ़ के 9 युवकों का पकड़ा है। उनके पास से करीब 1 करोड़ के लेन-देन के दस्तावेज और बड़ी संख्या में मोबाइल सेट, सिम आदि मिले थे। यह सभी युवक फिलहाल जेल में हैं।



