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चढ़ते सूरज को सलाम,…उतरते को राम राम। अटल जी बीते नौ सालों में बोल पाते तो कम से कम चुप तो नहीं ही रहते। उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के राजस्थान में धौलपुरी ध्वजा लहरा रही है। वे अब ‘स्मृति निक्षेप’ तक नहीं। पीछे खड़े लालकृष्ण आडवाणी को पीछे ही खड़े रहने का फतवा है। उनके लिए मार्ग(मूक)दर्शक मंडल का विशेष गठन किया गया है।

और कांग्रेसी इतराएं न। उनके यहां तो बिना ‘गांधी’ सरनेम वाले नेता को याद करना सबसे बड़ा राजनैतिक अपराध है। कुटिल राजनैतिक लाभ के लिए आडवाणी जी और सुषमा स्वराज के सम्मान का दिखावा तो किया जा सकता है लेकिन के कामराज, बाबू जगजीवन राम, कमलापति त्रिपाठी, सीताराम केसरी, पं रविशंकर शुक्ल, श्यामाचरण शुक्ल जैसों का स्मरण पापतुल्य है। भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के लिए शक्तिस्थल जैसा ‘मैत्रीस्थल’ बनाने की आवाज कांग्रेस से क्यों नहीं उठती?
– रजनीश जैन
सागर

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