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बीड़ी उद्योग को लेकर पूर्व मंत्री भार्गव बोले, बुराई खत्म नहीं कर पा रहे तो उससे लोगों को रोजगार ही मिले

बीड़ी उद्योग की वापसी को लेकर सरकार को राय देने के सवाल पर बोले, मैं बगैर मांगे सलाह नहीं देता

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सागर। 27 सितंबर को सागर में रीजनल इडंस्ट्रियल कॉन्क्लेव है। जिसमें सरकार अन्य उद्योग-धंधों के साथ-साथ यहां के मुख्य व्यवसाय रहे या मजदूरी के स्रोत माने जाने वाले बीड़ी उद्योग को पुर्नस्थापित करने पर बात कर सकती है। इस उद्योग को लेकर शहर के निम्न मध्यम तबके से लेकर शिक्षित लोगों की अपनी एक राय है। जो इस उद्यम को बुंदेलखंड के विकास के लिए खास कारगर नहीं मानते। इसी कड़ी में sagarvani.com ने बीड़ी उद्योग के जानकार माने जाने वाले और मप्र शासन के पूर्व मंत्री व राज्य के वरिष्ठतम विधायक गोपाल भार्गव से चर्चा की। उनसे पूछा कि बीड़ी उद्योग की वापसी कहां तक उचित है। जवाब में पूर्व मंत्री भार्गव ने कहा कि बीड़ी, नशे का एक साधन है। उसी तरह गुटखा और सिगरेट हैं। लाख चेतावनी देने के बावजूद लोग इनका सेवन करते हैं। यानी हम इस बुराई को खत्म नहीं कर पा रहे। जब ऐसा ही है तो मेरा मानना है कि इससे यानी बीड़ी से लोगों को रोजगार मिलना चाहिए।

एक शताब्दी तक रोजगार मिला, सहकारिता ने डुबा दिया

इससे पहले पूर्व मंत्री भार्गव ने कहा कि बुंदेलखंड समेत जबलपुर,नरसिंहपुर, रायसेन आदि बड़े इलाके को एक शताब्दी तक बीड़ी से रोजगार मिलता रहा। लेकिन बाद के वर्षों में नई उमर के लोगों ने बीड़ी से दूरी बनाना शुरु कर दी। उन्हें तेज नशा देने वाला गुटखा पसंद आने लगा। सरकार ने सिगरेट का टैक्सेशन कम किया तो वह बीड़ी के रेटों पर मिलने लगी। इससे भी बीड़ी उद्योग को नुकसान पहुंचा। बाद के वर्षों में राज्य सरकार ने इस उद्योग पर इतना टैक्स लाद दिया कि उद्यमी भी पलायन करने लगे। जबकि यह शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में घर बैठे रोजगार देने का एक बड़ा जरिया था। आज मप्र के बीड़ी उद्योग की हालत ये है कि जितनी बीड़ी पूरे प्रदेश में तैयार होती है। उतनी पश्चिम बंगाल की एक ही फर्म बनाती है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुनसिंह ने तेंदूपत्ता का सहकारीकरण किया। जिसके चलते पत्ते की कीमत लगातार बढ़ती चली गई। यही एक मुख्य कारण रहा। जिसके चलते यहां से बीड़ी खत्म हो गई।

बीड़ी निर्माता को कम कीमत पर सशर्त तेंदूपत्ता देना होगा

वरिष्ठ विधायक भार्गव ने कहा कि बीड़ी की लागत कम करने पर ही इस उद्योग को वापस लाया जा सकता। जिसके लिए सरकार को सबसे पहले तेंदूपत्ते की कीमत घटानी होगी। मैं बीड़ी से जुड़े आंदोलनों से जुड़ा रहा हूं। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू का दौरा किया है। वहां की सरकारें, बीड़ी उद्योग के लिए काफी सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। मप्र सरकार भी एक समिति बनाई जाए जो इस उद्योग की संभावना को लेकर समीक्षा करे। देखे की वह अन्य राज्यों की तर्ज पर इस उद्योग से जुड़े लोगों को कौन-कौन सी रियायत दे सकती है। रियायत का लाभ लेने वाले बीड़ी उद्योगपतियों के लिए बाध्यता तय की जाए कि वह मप्र में ही बीड़ी बनवाएंगे।

मैं बगैर मांगे सलाह नहीं देता, खुदाई खिदमतगार हूं

पूर्व मंत्री भार्गव से पूछा गया कि आप बीड़ी उद्योग के इतने ज्यादा जानकार हैं तो फिर सरकार को सलाह क्यों नहीं देते। जवाब में उन्होंने कहा कि मैं बगैर मांगे सलाह नहीं देता। मैं तो खुदाई खिदमतगार हूं।

15/09/2024

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