ब्रेकिंग न्यूज़
भोपाल – इंदौर से डॉक्टर बनने की चाहत में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की भी सीट गंवाई
बीएमसी के दो छात्र-छात्रा ऑनलाइन प्रोसेस में ऐसे उलझे कि एडमिशन ही गवां बैठे

सागर। भोपाल-इंदौर के मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर बनने की चाहत में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के दो छात्र-छात्रा ने अपनी एडमिशन सीट ही गवां दी। हालात इतनी तेजी से बदले कि उनकी रिक्त सीटों पर दूसरे विद्यार्थियों को एडमिशन दे दिया गया। अचानक मेडिकल कॉलेज से बाहर हुए इन विद्यार्थियों में से छात्रा ने जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जहां कॉलेज डीन डॉ.आरएस वर्मा समेत एडमिशन कमेटी के जिम्मेदार अधिकारियों को तलब किया गया है। इधर इस मामले में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन स्वयं को पूर्णत: निर्दोष बता रहा है। उनका कहना है कि ये सारी गफलत इन विद्यार्थियों द्वारा ऑनलाइन काउंसलिंग के दौरान बरती लापरवाही के कारण हुई।

अपग्रेड का विकल्प लिया, मौजूदा कॉलेज को लॉक नहीं किया
इस घटनाक्रम की शुरुआत करीब ढाई-तीन महीने पहले तब हुई। जब नीट क्वालिफाइड विद्यार्थियों ने ऑनलाइन काउंसलिंग के बाद अपने-अपने पसंद के कॉलेज में एडमिशन ले लिया। इस बीच चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों को दूसरे कॉलेज में एडमिशन लेने का विकल्प अपग्रेेडेशन के रूप में दिया। इन दोनों विद्यार्थियों ने इस विकल्प को अपनाते हुए प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज को च्वाइस के रूप में फिल-अप कर दिया। लेकिन उन्हें दूसरे कॉलेज में सीट नहीं मिली। इस स्थिति में इन दोनों को नियमानुसार बीएमसी में अपने एडमिशन को लॉक कर देना था। लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके चलते इन दोनों की सीट काउंसिलिंग पोर्टल में खाली दिखने लगी। 

एनएमसी से सूची आई, पता चला कि एडमिशन खत्म हो गया
एडमिशन खत्म होने के बावजूद ये दोनों विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में पढाई करते रहे। तब तक इन दोनों को भी पता नहीं था कि उनका एडमिशन खत्म हो चुका है और उनकी जगह अन्य दो स्टुडेंट आ चुके हैं। उन्हें तो यह जानकारी तब मिली जब एनएमसी में रजिस्टर्ड विद्यार्थियों की सूची में उनका नाम नहीं था। मालूम किया तो बताया गया कि आप लोगों ने अपग्रेड का विकल्प लेने के बाद बीएमसी को लॉक नहीं किया था। इसलिए मान लिया गया कि आपका किसी अन्य मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया है। इसलिए ये सीट दूसरे विद्यार्थियों को दे दी गई। इस मामले में बीएमसी के डीन डॉ. आरएस वर्मा का कहना है कि इन हालात के लिए ये दोनों विद्यार्थी ही मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं। अपग्रेडेशन का विकल्प लेने के बाद उन्हें अपनी सीट लॉक करना थी। अब इस मामले में अब हाईकोर्ट या राज्य सरकार ही कोई निर्णय ले सकती है। कॉलेज प्रबंधन विद्यार्थियों के हित में हरसंभव मदद के लिए तैयार है।



