बीना नहीं बनेगा जिला….राजनीतिक गणित तो यही बोल रहे !
बुधवार को आ रहे हैं सीएम डॉ. यादव, मिल सकती है नगर परिषद के दर्जों की सौगात

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सागर। 48 घंटे बाद बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बीना आ रहे हैं। उनके आगमन से पहले बीना में धरना चल रहा है। वहीं पड़ोसी तहसील खुरई में बाजार बंद का आह्वान किया गया है। दोनों की मांग है कि हमें जिला बनाया जाए…. हमें जिला बनाया जाए। इधर राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि दोनों में ही फिलहाल इतना पोटेंशियल नहीं है कि उनमें से किसी को भी जिला बना दिया जाए। मतलब सीएम डॉ. यादव न बीना और न खुरई को जिला बनाएंगे। इसके पहली वजह ये है कि कांग्रेस से आई विधायक निर्मला सप्रे की जिद के आगे भाजपा- संगठन झुकना नहीं चाहता। दूसरा ये कि सरकार कतई नहीं चाहेगी कि पार्टी के पुराने और नए- नए आए नेताओं के बीच वर्चस्व साबित करने की होड़ लगी रहे। तीसरा ये कि महज दो विस क्षेत्र बीना, खुरई को मिलाकर जिला घोषित करना प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी उचित नहीं है। पड़ोसी विदिशा की कुरवाई तहसील को शामिल किया जा सकता है लेकिन नए जिलों के गठन में दूसरे जिले के हिस्से को शामिल नहीं करने की परंपरा रही है।

इसलिए ये संभावना भी खारिज हो जाती है। अब सवाल उठता है कि सीएम डॉ. यादव फिर बीना आ किसलिए रहे हैं। जवाब में राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि निर्मला सप्रे के इस्तीफे की भूमिका तैयार हो चुकी है। लिहाजा चुनावी वायदे- शिगूफों का मौसम आने को है। इसी वास्ते डॉ. यादव आ रहे हैं। वे बीना के खिमलासा और भानगढ़ को नगर परिषद का दर्जा देने की घोषणा कर सकते हैं। सिविल अस्पताल के अपडेटेशन की बात कर सकते हैं।
भाजपा में निर्मला की हालत ख्वाह-मख्वाह सरीखी
फारसी का एक शब्द हैख्वाह-मख्वाह। जिसका अर्थ होता है। न चाहते हुए भी, ज़बरदस्ती, बलपुर्वक अनावश्यक, बेवजह, बेकार ही। बीना विधायक निर्मला सप्रे पर ये शब्द बहुत हद तक सटीक बैठता नजर आ रहा है। भाजपा सूत्रों के अनुसार सप्रे की एंट्री कतिपय नए – नए और सीधे भाजपा की दूसरी लाइन में शामिल हुए उन महत्वाकांक्षी नेताओं के चलते हुई।
जिन्होंने सप्रे को टूल की तरह यूज किया। दूसरी ओर इस अनप्लांड एंट्री को लेकर पार्टी संगठन ने विशेष तवज्जो नहीं दी। इसके बाद इन नेताओं ने विधायक सप्रे को बीना जिला बनाने की मांग उठाने का बीड़ा थमा दिया। जबकि स्वयं ” अंडर ग्राउंड टाईप” हो गए। बता दें कि ये वही नेता हैं । जिनका घर और राजनीति खुरई की है और वे चाहकर भी बीना को जिला बनाने की मांग को समर्थन नहीं दे पा रहे।
68 साल में 26 नए जिले बने मध्यप्रदेश के 68 साल के इतिहास में अब तक 7 बार में 26 नए जिले बनाये गए, जिनमें से 16 जिले छत्तीसगढ़ राज्य के साथ चले गये। इस समय मध्यप्रदेश में कुल 55 जिले हैं। अगर बीना या खुरई में से किसी एक को जिला बनाया गया तो मप्र में 56 जिले होंगे। मध्यप्रदेश में वर्तमान में 10 संभाग है इसके अलावा अभी मध्यप्रदेश में चाचौड़ा और नागदा को भी जिला बनाने की मांग उठती रहती है। बता दें नागदा जिला उज्जैन से अलग होकर और चाचौड़ा, गुना से अलग होकर जिला बनेगा। बीते साल पांढुर्णा को छिंदवाड़ा से अलग कर बनाया गया था। मध्यप्रदेश के गठन के समय जिलों की संख्या 43 थी।
02/09/2024



