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राजेंद्रसिंह मोकलपुर फेसबुक के जरिए कांग्रेस को मैसेज दे रहे हैं या भाजपा को

सागर। अपनी सुरखी-अपना परिवार। सुरखी विस क्षेत्र की तरफ मुड़ती इनोवा कार का वीडियो क्लिप। जनदर्शन के नाम सुरखी के बाशिंदों का जमावड़ा करना और अब कांग्रेस के पूर्व मंत्री, नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह राहुल से मुलाकात का फोटो। यह सब भाजपा के वरिष्ठ नेता और मप्र खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त) राजेंद्रसिंह मोकलपुर की फेसबुक वॉल पर आंतरे-दूसरे देखने मिल रहा है। अब सवाल यह  है कि मोकलपुर इन पोस्ट के जरिए भाजपा को मैसेज दे रहे हैं या कांग्रेस को।
चर्चा है कि मोकलपुर को कांग्रेस की आंखों से सुरखी खुल्ला मैदान दिख रही है। यह बात और है कि भाजपा के सपोर्ट से गोविंदसिंह राजपूत ने इस विस क्षेत्र के  उप-चुनाव में 40 हजार से अधिक मत लेकर प्रचंड जीत दर्ज की थी। इसके बावजूद मोकलपुर चुनाव लड़ने के मोह का संवरण नहीं कर पा रहे। ऐसा लगता है कि बढ़ती उम्र और भाजपा में टिकट की घटती संभावना देख उनकी चुनाव मैदान में उतरने की इच्छा लगातार बलवती हो रही है। थोड़ा सा पीछे जाएं तो मोकलपुर की यह मनोदशा तब से भी बनने लगी है, जब से उनके जोश-ए-जवानी के साथी डॉ. सुशील तिवारी बतौर महापौर पति काबिज होकर शहर के नीति-नियंता बन गए।
न पारुल, न सुधीर और न ही मौजूदा कांग्रेसी, फिर क्यों न करें दावेदारी
20 साल से अधिक समय में गोविंदसिंह राजपूत और उनके कुटुम्ब ने सुरखी विस क्षेत्र के हाथ-मस्तक की सभी रेखाओं को अच्छे से पढ़ लिया है। अगरचे वे जब कभी हारे भी तो उस चुनाव में उनकी किस्मत ही खराब थी। वरना कुछ सौ वोट से हार कोई हार नहीं होती। इधर उनके खिलाफ प्रत्याशी खड़ा करने के लिए कांग्रेस में कोई चेहरा नहीं है। जहन में जोर डालने पर दो-एक नाम आते हैं। जिनमें सबसे पहला पारुल साहू हैं। लेकिन वे अब सुरखी से चुनाव लड़ेंगी, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। इसके अलावा परिवार के कारोबार को लेकर सरकारी टंटे भी हैं। मुमकिन उन्हेें घर से ही चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया जाए। एक नाम सुधीर यादव का है लेकिन वे बीते4 साल 7 महीना 29 दिन 16 घंटा पहले से बंडा विस क्षेत्र में भाजपा का झंडा लेकर वोटरों को बाड़ाबंदी में लगे हुए हैं। ऐसे में सुधीर का कांग्रेस में लौटना कुछ मुश्किल सा है। फिर बात लौटकर आ जाती है राजेंद्रसिंह मोकलपुर पर। इक यही शख्स हैं जो राजपूत परिवार के मुकाबले में सुरखी विस क्षेत्र की नब्ज से लेकर उसकी मानसिक-शारीरिक बनावट को समझते हैं। इसलिए वे कांग्रेस के लिए सबसे माकूल चेहरा हैं। नोट कर लें कि आगामी विस चुनाव में मोकलपुर की फतह होती है जो फिलहाल तो मुश्किल दिख रही है, तो भी यह भाजपा के लिए फायदे का सौदा रहेगा। पाठकों की मनोदशा को समझते हुए सागर वाणी डेस्क ने राजेंद्रसिंह मोकलपुर से चर्चा की। वे अजयसिंह राहुल से मुलाकात के बारे में बोले कि यह सामान्य है। उनसे पारिवारिक संबंध हैं। सोशल मीडिया पर सुरखी से जुड़ी पोस्टेज के बारे में बोले कि सुरखी में मेरा घर है, परिवार है। कभी फोटो वीडियो बनाकर अपलोड कर दिया तो क्या हुआ। इसके राजनैतिक मायने नहीं निकालना चाहिए। अगर कुछ करेंगे तो सबको बताकर करेंगे।
असंतुष्टों को मनाने के साथ- साथ उनका सम्मान भी जरूरी
बीते दिनों भाजपा हाईकमान ने सभी विधायकों व नेताओं को निर्देश दिए थे कि सभी अपने क्षेत्रों के असंतुष्ट, नाराज या उदासीन नेताओं से मिल कर मेल-मिलाप बढ़ाएं और संबंधों को सुधारें। इसी कवायद के तहत मंत्री गोविंद सिंह राजपूत तीन दिन पूर्व देर शाम राजेंद्र सिंह मोकलपुर के निवास पर डेढ़ घंटे बैठे रहे। आज की तस्वीर देख कर लगता तो नहीं कि स्थिति संभली है। दर असल सुरखी विधानसभा क्षेत्र के सभी नाराज भाजपा नेताओं को अंतिम कुछ महीनों में मनाया जाना संभव भी नहीं है। उपचुनाव के दौरान इन सभी के बीच के बड़े मतभेदों को खत्म करके मेल-मिलाप कराए जाने के पीछे संगठन के माहिर नेताओं को जिम्मेदारियां दी गई थीं ।तब बड़े अंतर की जीत सामने आई थी। क्षेत्र के पुराने भाजपा नेता मान सम्मान के साथ उनके समर्थकों की पूरी मान्यता और पूछ परख की आवश्यकता महसूस करते हैं जो कि स्वाभाविक भी है।बहरहाल सुरखी सुर्ख हो चली है। परिस्थितियां भविष्य में भीषण संग्राम की ओर इशारा कर रही हैं।

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