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वायरल पोस्ट मामले में डॉ. सुशील तिवारी से अब पथरिया विस क्षेत्र का चुनावी प्रभार भी छीना
चुनावी बेला में जब आमने सामने सेनाएं सज चुकी हों और रणभेरी बजने वाली हो, तो सैन्यबल में ऐसे अदूरदर्शी फैसले नहीं किए जाते। आत्मघाती फैसले लेकर सागर में कांग्रेस की राह को आसान किया जा रहा है। यह साधारण सा निष्कर्ष कोई भी निकाल सकता है। वर्तमान में सुशील तिवारी वो सुशील तिवारी नहीं हैं। जो महापौर का चुनाव लड़ने के पूर्व थे। आज उनके राजनीतिक पंजे के नीचे 40 से ऊपर भाजपाई पार्षद हैं जो सीधे सागर विस क्षेत्र पर इफेक्ट कर सकते हैं। 
सागर वाणी डेस्क। 9425172417
सागर । डा सुशील तिवारी पर जिस तरह प्रदेश भाजपा संगठन की ओर से कार्यवाही लगातार जारी है उससे जिले में भाजपा लगातार कमजोर हो रही है और गुटबाजी बढ़ रही है। एक कथित पत्र सोशल मीडिया पर 6 मिनट के लिए पोस्ट हो जाने के मामले में प्रदेश भाजपा संगठन ने डा सुशील तिवारी को प्रदेश कार्य समिति सदस्य के पद से हटाने का आदेश जारी किया था। बावजूद इसके कि समुचित स्पष्टीकरण देकर डा तिवारी ने क्षमा भी मांग ली थी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का एक कार्यवाही से मन नहीं भरा। उन्होंने एक और कार्यवाही करते हुए डा तिवारी को दमोह जिले की आकांक्षी विधानसभा पथरिया क्षेत्र के प्रभारी की जिम्मेदारी से भी मुक्त कर दिया है। उनके स्थान पर बीना की पूर्व विधायक विनोद पंथी पथरिया विधानसभा क्षेत्र की प्रभारी बना दी गई हैं।
चुनाव के समय अदूरदर्शी फैसला, कांग्रेस की राह आसान !
चुनावी बेला में जब आमने सामने सेनाएं सज चुकी हों और रणभेरी बजने वाली हो, तो सैन्यबल में ऐसे अदूरदर्शी फैसले नहीं किए जाते। आत्मघाती फैसले लेकर सागर में कांग्रेस की राह को आसान किया जा रहा है। यह साधारण सा निष्कर्ष कोई भी निकाल सकता है। वर्तमान में सुशील तिवारी वो सुशील तिवारी नहीं हैं। जो महापौर का चुनाव लड़ने के पूर्व थे। आज उनके राजनीतिक पंजे के नीचे 40 से ऊपर भाजपाई पार्षद हैं जो सीधे सागर विस क्षेत्र पर इफेक्ट कर सकते हैं। क्योंकि पार्षदों के वार्ड में “काम कराने के प्रेम और उसके मायने ” किसी से छिपे नहीं हैं। डॉ. तिवारी और उनके कबीले ने ठोस न सही लेकिन एक जोरदार फैन फॉलोइंग भी तैयार कर ली है। जो चुनाव जैसे अवसरों पर यूजफुल साबित होगी।

श्रद्धा व्यक्तिगत और विरोध मुंह पर न हो… ये भी जरूरी है
डॉ. तिवारी पर इन ताजा गाज गिराने की पृष्ठभूमि तुरंत नहीं बनी। दरअसल ये सब तो जिले के संगठन में लम्बे समय से खदक रहा था। बस प्रदेश हाई कमान को सीधे इन्वाल्व करना था सो हो गया। पृष्ठ भूमि क्यों बनी । इसकी भी तह में खुद डॉ. तिवारी हैं। सार्वजनिक राजनीति में आलोचना पीठ पीछे हो तभी आप सफल हों। मुंह पर तो मुस्कराकर स्वागत करना ही होगा। लेकिन डॉ. तिवारी इस मामले में कुछ “अनाड़ी” साबित हुए। उन्होंने ननि चुनाव जीतने के बाद समुदाय और समुदाय विशेष के जनप्रतिनिधि को जाहिरा तवज्जो देना बंद कर दिया। ननि के भीतर गए तो एक दूसरे जनप्रतिनिधि को भरी सभा में राइट – फाइट कर दिया। जबकि ये दोनों काम बंद कमरों में भी हो सकते थे। इस दूसरे वाले जनप्रतिनिधि की नजदीकियां जिलाध्यक्ष से जिलाध्यक्ष की वीडी शर्मा से छिपी नहीं हैं। रही- सही कसर डॉ. तिवारी ने “मैं और बस मेरा नेता ” वाला फॉर्मूला पकड़ पूरी कर दी। जबकि सच्चाई ये है कि जिस नेता को वह अपना ” राजनीतिक मेंन्टॉर” मानते हैं। वे भी इस तरह की सार्वजनिक श्रद्धा – भक्ति को पसंद नहीं करते हैं। डॉ. तिवारी ये नहीं समझ पा रहे कि उनके इस अति सर्मपणीय भाव के कारण पार्टी के साथी कार्यकर्ता – पदाधिकारी और खुद ” मेंन्टॉर ” भी असहज स्थिति में फंस जाते हैं। 

वाजपेयी – आडवाणी के प्रिय हुआ करते थे डॉ. तिवारी
डा सुशील तिवारी के राजनैतिक महत्व व कद को समझने के लिए उनके राजनैतिक इतिहास को टटोल लेना जरूरी है। वे सागर विश्वविद्यालय 80 के दशक में वे छात्रसंघ के निर्वाचित अध्यक्ष रहे हैं और आरंभ से ही भाजपा से जुड़े रहे हैं। उनका महत्व इतना अधिक था कि उस दौर के दो सबसे बड़े भाजपा नेता पं अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी का सुशील तिवारी पर अगाध स्नेह था। अटल जी सागर में डा सुशील तिवारी के निवास पर जाते थे और आडवाणी जी सागर विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में अपने दौरों में डा सुशील तिवारी के साथ व्यक्तिगत विमर्श के लिए समय देते थे। आरंभिक दौर के भाजपा नेता डा सुशील तिवारी पर सबसे कठिन वक्त तब गुजरा जब 1985 में सागर विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह मुख्य अतिथि के रूप में आए और सागर की विभिन्न मांगों को लेकर डा सुशील तिवारी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के विरुद्ध विशाल प्रदर्शन हुआ जिसकी तीव्रता इतनी थी कि एक छात्रा ने मुख्यमंत्री को थप्पड़ जड़ दिया और तब पुलिस को गोलीचालन और लाठीचार्ज के आदेश दे दिए गए। इसके बाद भी यह प्रदर्शन रुका नहीं बल्कि पूरे शहर में फैल गया और शहर के मुख्य इलाकों में अश्रुगैस, लाठीचार्ज के बीच आंदोलनकारी छात्र और उनके समर्थन में उतरी सागर की जनता ने लगभग आठ घंटों तक पुलिस के खिलाफ मोर्चा बांधे रखा।



