धनौरा ने कहा मेरे मामले में मंत्री भूपेंद्रसिंह को मत घसीटो, हीरासिंह बोले, हम समझौते को तैयार
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मंत्री भूपेंद्रसिंह की कथित तौर पर शिकवा-शिकायत के आरोपों में घिरे केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत का खेमा अब कुछ नरम पड़ता दिख रहा है। मुमकिन है कि वे अपने असल उद्देश्य में सफल हो गए हों या उन्हें सत्ता-संगठन की कार्रवाई का डर सता रहा हो। दूसरी ओर इस विवाद की जड़ में रहे भाजपा किसान मोर्चा के निष्कासित अध्यक्ष राजकुमारसिंह धनौरा स्वयं को और मजबूत मान बैठे हैं। वह अब राजपूत परिवार से कोई समझौता नहीं करने की बात कह रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने भविष्य में भूपेंद्रसिंह की इस मामले में कोई भी बात मानने से इनकार करने का दावा किया है।
राजकुमार धनौरा: विवाद की शुरुआत मेरी तरफ से नहीं। राजपूत परिवार की ओर से हुई। इन लोगों ने पहले तो मुझे जिला पंचायत का चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना लिया। फिर मैंने जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपना एक सदस्य खड़ा करना चाहा तो उसे बरगला लिया। इसलिए मैंने इन लोगों के खिलाफ मोर्चा खोला। हीरासिंह राजपूत: यह आरोप गलत है। वह जिस वार्ड से चुनाव लड़ना चाह रहे थे। वह एसटी के लिए आरक्षित हो गया। इसमें हम लोग क्या कर सकते थे। पूरी प्रक्रिया संवैधानिक तरीके से हुई। राजकुमार धनौरा: मंत्री भूपेंद्रसिंह को ये लोग इसलिए विवाद में घसीट रहे हैं ताकि उन पर दबाव बने। और वे मुझे गोविंदसिंह राजपूत से समझौते के लिए कहें। मैं यहां साफ कर देना चाहता हूं कि मैं जो भी कर रहा हूं। स्वयं की राजनीतिक सोच-समझ से कर रहा हूं। अब तो मंत्री सिंह भी कहेंगे तब भी समझौता नहीं करूंगा।
हीरासिंह राजपूत: हम लोग ऐसा कभी नहीं मानते कि भूपेंद्रसिंह इस विवाद को शह दे रहे हैं। बल्कि उन्होंने तो गोविंदसिंह और राजकुमार दोनों को बैठाकर समझौता भी करा दिया था। लेकिन फिर राजकुमार ने बयानबाजी शुरु कर दी।
राजकुमार धनौरा: मैं क्षत्रिय समाज का पदाधिकारी हूं। मुझे किला कोठी में हुई बैठक में नहीं बुलाया। इसलिए मैंने भी उन्हें दीपाली होटल परिसर में हुई बैठक में नहीं बुलाया। मैंने राजपूत परिवार के ऊपर जो आरोप लगाए थे। उसके लिए समाज के लोगों से पूर्व से अनुमति ली थी। जिसके बारे में भूपेंद्रसिंह को जानकारी नहीं थी। हीरासिंह राजपूत: किला कोठी में क्षत्रिय समाज की बैठक में सभी को बुलाया गया था। इसी तरह मुझे भी दीपाली की बैठक में बुलाया गया था। लेकिन उस समय हमारे विस क्षेत्र में राजघाट पर नेपाली बाबा का यज्ञ और श्री बागेश्वर महाराज के आगमन की तैयारियां चल रही थी। इसलिए बैठक में नहीं पहुंच सका।
राजकुमार धनौरा: मंत्री राजपूत के परिजन जिस तरह की पोस्ट कर रहे हैं। उन पर भी ठीक वैसे ही कार्रवाई होना चाहिए। जैसी मेरे खिलाफ की गई। मुझे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। रही मेरी बात तो मैंने अपनी पीड़ा पहले संगठन के सामने रखी थी। इसके बाद ही उसे सोशल मीडिया पर साझा किया। हीरासिंह राजपूत: आकाशसिंह राजपूत और पप्पू फुसकेले की पोस्ट के बारे में जानकारी मिली। मुझे दुख है। उन्हें बिल्कुल ऐसा नहीं करना था। यह गलत है। मंत्री भूपेंद्रसिंह हमारे नेता है। सभी को उनका सम्मान करना चाहिए। लेकिन एक बात ये भी है कि उनके समर्थक हमारे लिए काफी कुछ लिख रहे हैं। इस पर भी लगाम लगना चाहिए। राजकुमारसिंह धनौरा: अब कोई समझौता नहीं होगा। उन लोगों को एक बार अवसर दिया। समझौते के बावजूद इन लोगों ने मेेरे खिलाफ पुलिस में एफआईआर कराई। मैं कांग्रेस के संपर्क में हूं। गोविंदसिंह के कानूनी प्रपंचों के दौरान मुझे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने काफी सपोर्ट किया। मैं सुरखी से हर हाल में चुनाव लडूंगा। हीरासिंह राजपूत: राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता। वाद-विवाद होते हैं तो उन्हें खत्म भी किया जाता है। धनौरा से भी हम यही उम्मीद रखते हैं। हमारे रास्ते बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं। हम लोग भी चाहते हैं कि व्यक्तिगत न होकर सब अपनी-अपनी राजनीति करें।