सिंह बोले, समय का पता नहीं चलता…. राजपूत बोले, राजनीति में संवाद आवश्यक
सांसद कार्यालय के उद्घाटन मंच पर मौजूद पूर्व मंत्री सिंह और राजपूत के भाषणों के निकाले जा रहे राजनीतिक मायने


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सागर। जिला समेत प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत और पूर्व मंत्री व सीनियर विधायक भूपेंद्रसिंह का अबोलापन चर्चा में है। इसके बावजूद दोनों को इस पखवाड़े में दूसरी बार एक ही मंच साझा करना पड़ा! मौका था सांसद डॉ. लता वानखेड़े के पुराने कलेक्टोरेट स्थित कार्यालय के उद्घाटन का। यहां इन दोनों नेताओं ने भाषण दिए। चूंकि आयोजन के मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री राजपूत थे, इसलिए वे बाद में बोले। उनके पहले पूर्व मंत्री सिंह का संबोधन हुआ। इधर आयोजन के बाद इन दोनों के भाषणों के मायने निकाले जा रहे हैं। इसके पूर्व यह दोनों प्रभावशाली नेता 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर जिला कार्यालय में भाजपा की बैठक में साथ देखे गए थे।
समय का पता नहीं चलता, सरकार को बने 9 महीने हो गए हैं: सिंह
पूर्व मंत्री भूपेंद्रसिंह ने कहा कि वर्तमान में कार्यालय बहुत जरूरी है। लेकिन यह व्यवस्थित होना चाहिए। असल में कार्यालय का स्टाफ, संंबंधित जनप्रतिनिधि की इमेज बनाता है। अगर उसका रवैया जनता के प्रति ठीक नहीं है तो इसका नुकसान जनप्रतिनिधि को होता है। सांसद डॉ. वानखेड़े को करीब 4 दशक का राजनीतिक अनुभव है। वे जमीनी कार्यकर्ता हैं। भाजपा हमेशा जमीनी शुरुआत करने वाले कार्यकर्ताओंं को आगे बढ़ाती है। इनके पति गुड्डू वानखेड़े मेरे सहयोगी और छोटे भाई जैसे रहे हैं। मैं लता और गुड्डू के विवाह में भी शामिल हुआ था। अब वे सांसद हो गई हैं तो वह पार्टी को और मजबूत करेंगी। हमें याद रखना चाहिए कि हम जो हैं, भाजपा के कारण है। मेरा मानना है कि समय ही सबकुछ होता है और समय का पता भी नहीं चलता। जैसे सरकार बने 9 महीने हो गए। समय ने हमेें अवसर दिया है तो जिले के विकास के लिए काम करना चाहिए। 
राजनीति में संवाद जरूरी, कार्यालयों में 50 फीसदी दरबारी: राजपूत
राजनीति में संवाद जरूरी है। संवादहीनता के कारण निराशाजनक परिणाम आते हैं। सांसद कार्यालय आवश्यक है। वैसे मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि नेताओं-जनप्रतिनिधियों के कार्यालय में 25 फीसदी लोग ही काम के लिए आते हैं। 50 फीसदी केवल दरबार लगाते हैं। ऐसा मैंने छात्र जीवन से देखा है। हालांकि नेताओं को भी अच्छा लगता है कि लोग उनके पास बैठें और घर परिवार, दुनिया की चर्चा करें। लेकिन जनता के भी काम होना चाहिए। इस लिहाज से यह कार्यालय बहुत आवश्यक था। जब मेरी पत्नी सविता राजपूत जिला पंचायत अध्यक्ष थीं। तब वानखेड़े बतौर सरपंच अक्सर आतीं थीं। तब भी मैंने दलगत राजनीति से उठकर विकास के कामों में उनका सहयोग किया। वैसे लता तो साल 2014 में ही सांसद बन जातीं। कुछ अवरोधक आने कारण इनका टिकट होते-होते रह गया। मैं वायदा करता हूं कि मैं इस लोकसभा क्षेत्र के विकास के लिए कोई कमी नहीं रखूंगा।
28/08/2024



