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गरीब, अजा वर्ग के लोग भी करते हैं साहूकारी ! लाइसेंस पर आपस में भिड़े अध्यक्ष और पार्षद

5 लाख रु. की एफडी और 5 हजार रु. के रजिस्ट्रेशन शुल्क लेकर ननि देगा साहूकारी लाइसेंस, राशि और रजि. फीस पर असहमति दिखे पार्षद और अध्यक्ष

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सागर। साहूकारी, सूदखोरी, महाजनी, लालागिरी आदि-आदि करने के नगर निगम लाइसेंस देगा। लेकिन इसके लिए संबंधित व्यक्ति को ननि के पास 5 लाख रु. की एफडी जमा करना होगी। रजिस्ट्रेशन के लिए 5 हजार रु. देना होंगे। मंगलवार को इस आशय के प्रस्ताव को वोटिंग के आधार पर मंजूर कर लिया गया। हालांकि इसके पहले नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार और एमआईसी मेम्बर रेखा नरेश यादव के बीच तीखी बहस हुई। बात यहां तक पहुंच गई कि एमआईसी सदस्य श्रीमती यादव ने अध्यक्ष से बोल दिया कि आपका दिमाग खराब है। आप बोलने ही नहीं दे रहे। मेरे खिलाफ जेण्डर आधारित टिप्पणी कर रहे हैं। मेरे बोलने के अधिकार पर कटाक्ष कर रहे हैं। आपको मुझ से माफी मांगनी होगी। जवाब में अध्यक्ष वृंदावन ने कहा कि आप अपनी भाषा नियंत्रित रखें। वरना आपको सदन से बाहर कर दिया जाएगा। आप सदन की अवमानना कर रही हैं। मैं कोई माफी नहीं मांगूगा।इससे पहले ननि अध्यक्ष ने कहा कि साहूकारी का काम गरीब व अजा वर्ग के लोग भी करते हैं।

 

इसलिए इस मसले को संवेदनशीलता से देखा जाए। वरिष्ठ  विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा कि आज सदन में जो कुछ भी हुआ वह अफसोसनाक है। मैं चाहूंगा कि सदन के साथियों की एक विशेष ट्रेनिंग कराई जाए। उन्होंने पार्षद यादव से कहा कि आप और अध्यक्ष संग बैठकर हम इस आपसी कहा- सुनी की गलतफहमी दूर कर लेंगे।

पिछली परिषद के निर्णय में घालमेल!

साहूकारी के लाइसेंस का मुद्दा पिछले सम्मेलन में आया था। इस बारे में ननि में सचेतक पार्षद डॉ. शैलेंद्र ठाकुर ने सदन का ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने बताया कि पिछले साधारण सम्मेलन में महापौर संगीता डॉ. सुशील तिवारी समेत ननि अध्यक्ष एवं पार्षदों की मौजूदगी में इस लाइसेंस के लिए

25 लाख रु. FD और 2 हजार रु. रजि. चार्ज तय हुआ था। लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि इसे घटाते हुए 5 लाख रु कर दिया गया है। तब वरिष्ठ पार्षद डॉ. याकृति जड़िया ने कहा कि यह मसला हमारे वर्ग से जुड़ा है। कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोग इस लाइसेंस को ले ही नहीं पाएंगे। उन्होने FD राशि को O करने की भी बात कही। इसी दौरान MIC सदस्य रेखा नरेश यादव ने आपत्ति ली कि जो प्रस्ताव पूर्व में पारित हो चुका है और उसमें बदलाव क्यों किया जा रहा है। इस पर अध्यक्ष अहिरवार बोले पार्षद डॉ. जड़िया की मौजूदगी में नई दर तय हुई थी। इसके बाद महापौर श्रीमती तिवारी ने अपना पक्ष रखा।

उन्होंने कहा कि ननि परिषद के सचिव मुन्ना द्वारा की गई नोटिंग को देख- पढ़वा लिया जाए। लेकिन इस पर गौर ही नहीं किया गया। महापौर गुट के पार्षदों ने आरोप लगाया कि पिछले सम्मेलन की नोटिंग में काट-छांट की गई है। ऐसा लगता है कि सदन के कतिपय लोग शहर हित के बजाय सूदखोरों के यहां बैठे हैं।

इससे पहले सदन में  मौजूद वरिष्ठ विधायक शैलेंद्र जैन, सांसद डॉ. लता वानखेड़े, पार्षद मेघा दुबे, पूजा सोनी, रुबी पटेल, गुड्डा खटीक आदि  ने 5 लाख FD वाले निर्णय  को ठहराया ठहराया।

 

सत्ताधारी पार्षदों को धिक्कार विपक्ष ने किया बहिष्कार

नेता प्रतिपक्ष बब्बूसिंह यादव ने कहा कि, ये विषय जनता से जुड़ा नहीं है। सूदखोरी वैसे भी खराब है। साहूकारी से कई लोग बरबाद हो गए। मकान दुकान बिक गए। कई लोगों ने आत्महत्याएं की। इस मामले में निगम एक्ट के तहत निर्णय लिया जाए न कि  बेहतर होगा कि सदन जन हित के विषयों पर बात-बहस करे।

 

लेकिन कुछ समय बाद दोबारा यह मुद्दा सामने आया तो नेता प्रतिपक्ष अपने साथी पार्षद ताहिर अली, रिचा सिंह, शिवशंकर यादव अशोक साहू चकिया, शशि महेश जाटव, नीलोफर चमन, रोशनी खान, सुलेखा राकेश राय समेत सदन का बहिष्कार कर गए। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग आपसी अहम की लड़ाई में उलझे हैं। उन्हें जनहित से कोई सरोकार नहीं। हम लोग उनका तमाशा देखने नहीं आए हैं।  27/08/2024

 

 

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