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भाजपा ने बंडा के वीेरेंद्र लोधी को टिकट देकर कांग्रेसी तरवरसिंह की मुश्किलें बढ़ाईं

पूरे पांच साल से बंडा-सागर एक करने वाले सुधीर के अरमानों पर पानी फिरा देररात तक निवास पर चलती रही समर्थकों की बैठक, युवाओं के चहेते हरवंशसिंह सक्खु भैया का 50 वां जन्मदिन हुआ नीरस, जिपं के चुनाव का बड़प्पन नहीं आया काम

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सागर। भारतीय जनता पार्टी ने पहली सूची में बंडा से वीरेंद्र लोधी को टिकट दिया है। पेशे से सरकारी स्कूली शिक्षक वीरेंद्र, पूर्व विधायक, दमोह सांसद रहे स्व. शिवराज लोधी भैया के तीसरे बेटे हैं। वीरेंद्र का कहना है कि मैंने अपना बायोडाटा प्रदेश भाजपा हाईकमान को दिया था। इधर वीरेंद्रm. का टिकट फाइनल होते ही बंडा विधानसभा चुनाव का गणित बहुत हद तक गड़बड़ा गया है। वर्तमान में यहां से कांग्रेस से तरवरसिंह विधायक हैं। जो लोधी समुदाय से आते हैं। वर्ष 2019 में कांग्र्रेस के विधायक-मंत्रियों की बगावत के बावजूद वह कांग्रेस का दामन थामे रहे। इसलिए उनका टिकट लगभग पक्का है। लेकिन वीरेंद्र के टिकट से अब उनका चुनावी गणित खटाई में पड़ता दिख रहा है। वीरेंद्र जो मूलत: लंबरदार परिवार से आते हैं। उनके परिजनों का बंडा की राजनीति में करीब 40-45 पुराना रसूख है। इसी के चलते पहले उनके पिता को बंडा व बड़ामलहरा से विधायक का टिकट मिला और वे जीते। इसके बाद वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में वीरेंद्र के बड़े भाई रामरक्षपाल सिंह को टिकट दिया गया। हालांकि वह जीत नहीं पाए। इस हार के बाद भी लंबरदार परिवार पर भाजपा की कृपा दृष्टिï जारी रही। नतीजतन 2009 के आम चुनाव में पूर्व विधायक और लंबरदार परिवार के मुखिया शिवराज भैया को दमोह संसदीय सीट से टिकट दिया गया और वे जीत भी गए।  
35 हजार से अधिक लोधी वोटर्स का होगा बंटवारा !
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तरवरसिंह लोधी को टिकट दिया था। जिसके बाद उन्होंने भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री स्व. हरनामसिंह राठौर के बेटे तत्कालीन विधायक हरवंशसिंह को बड़े अंतर से हरा दिया था। इस जीत में मुख्य भूमिका लोधी वोटों की रही। अब यही लोधी वोट, दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों के बीच बंटने के आसार बन गए हैं। एक तरफ तरवरसिंह हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में लोधियों पर अच्छा खासा चुनावी कब्जा जमा लिया है। वहीं दूसरी ओर वीरेंद्र सिंंह है, जिनके लिए यही वोटर्स पारिवारिक विरासत की तरह हैं। एक अनुमान के अनुसार अजा वर्ग के बाद बंडा विस क्षेत्र में सबसे ज्यादा करीब 38-40 हजार लोधी वोट हैं। जिन पर अब पार्टियों की निगाह रहेगी।
टिकट लोधी बंटे तो तीसरे का फायदा हो सकता है
लोधी वोटर्स को लेकर लगभग ऐसी ही स्थिति वर्ष 2008 के चुनाव में भी बनी थी। तब भाजपा ने वीरेंद्र के अग्रज रामरक्षपालसिंह को टिकट दिया था। जबकि कांग्रेस ने नारायण प्रजापति को कैंडीडेट बनाया था। उस समय पूर्व मुख्य मंत्री उमा भारती बगावत कर जनशक्ति पार्टी का गठन कर चुकी थीं। जिसमें प्रह्लाद पटेल जो स्वयं लोधी जाति से आते हैं। इन दोनों बड़े लोधी नेताओं ने सुधीर यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। चुनाव में लोधी वोट बंट गए। नतीजतन सुधीर और रामरक्षपाल लगभग बराबर वोट लेते हुए हार गए। कांग्रेस प्रत्याशी नारायण प्रजापति महज 2500-3000 वोट से जीत गए। ताजा स्थिति के मद्देनजर भाजपा से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे प्रत्याशी बगावत करते हैं, तो वे15 साल पुराने चुनावी नतीजे को दोहरा सकते हैं। 
सुधीर और हरवंशसिंह को बड़ा झटका, अब क्या करेंगे
बंडा के इस टिकट से कांग्रेस तो पशोपेश में है ही। भाजपा में कम उथल-पुथल नहीं है। दरअसल इस सीट से टिकट की उम्मीद में पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर यादव करीब 5 साल से भाग-दौड़ कर रहे थे। इस दफा उन्होंने टारगेटेड वोटर्स को लैपटॉप सर्च करने के बजाए उनसे जीवंत संपर्क कर लिया था। भाजपा आलाकमान द्वारा  केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को मप्र का चुनाव प्रभारी बनाने से सुधीर की उम्मीदें बलवती हुई थीं। लेकिन सब धरा रह गया। टिकट की घोषणा होते ही सुधीर यादव के तहसीली स्थित निवास पर चकित होने वाले समर्थकों का मेला लगा रहा। कुछ ऐसी ही स्थिति बंडा की राजनीति की धुरी रहे राठौर खेमे की भी हो गई है। चर्चाओं के अनुसार पूर्व मंत्री स्व. हरनामसिंह के राजनैतिक उत्तराधिकारी पूर्व विधायक हरवंशसिंह राठौर, शुक्रवार को अपने 50 वें जन्मदिन पर अपनी चुनावी तैयारियों का आगाज करने वाले थे। लेकिन टिकट का ऐलान होते ही वहां भी अब सन्नाटा पसरा हुआ है।
17/08/2023

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