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भूख है तो सब्र कर …रोटी नहीं तो क्या हुआ

सागर। तस्वीरें सागर कलेक्ट्रेट परिसर की हैं। मोदी और शिवराज सरकारों की पोल खोलती हुई। कलेक्टर के दफ्तर के एन प्रांगण में धूल और गंदगी से अटी धरती पर भोजन करते भारतमहान के नागरिक। डीहाइड्रेशन, कुपोषण, सिर ढांपने के लिए आग बरसाता आकाश, भूख, गरीबी, अभाव, पलायन सब इन तस्वीरों में मिल जाऐगा। बीना में चल रहे प्रधानमंत्री सड़क योजना में काम कर रहे करीब चालीस प्रवासी मजदूर ठेकेदार से नहीं मिली मजदूरी वसूलने आज सागर कलेक्ट्रेट आ पहुंचे हैं।

परिवारों के महिलाएं बच्चे सब मिलाएं तो पूरा जत्था लगभग सौ लोगों का है। सुबह आठ बजे से दिन भर की धूप सिर पर से गुजर गई तब दोपहर दो बजे प्रशासन की पहल पर श्रीसीताराम रसोई नामक धर्मार्थ संस्था से इनके लिए भोजन का इंतजाम किया गया। न फर्श न दरी, सीधे धूल भरे मैदान में ही कागज की थालियों में इनका भोजन हुआ। 

अच्छा हुआ आज ही सुबह सागर कलेक्टर आलोक सिंह ने कई घंटों तक तालाब में श्रमदान करके तसलों से मिट्टी फेकी है ,सो उनको इस बात का इल्म हुआ होगा कि मजदूर की मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले दे दी जानी चाहिए।
मामला बीना विकासखंड के गुरयाना से मुरयाना और मुरयाना से परसोदा तक बन रही दो प्रधानमंत्री सड़कों की मजदूरी के भुगतान का है। ये 40 मजदूर हैं जो ठेकेदार शशिशंकर चौबे ने शहडोल और शिवपुरी जिलों से बुलवाए थे। ठेकेदार चौबे उप्र के ललितपुर जिले से हैं। मजदूरी हुई थी कुल 4 लाख 25 हजार रु लेकिन हिसाब करके दिए सिर्फ 65 हजार 887 रु.। निवेदन करके मांगने से बात नहीं बनी तब 80किमी दूर सागर कलेक्टर के दफ्तर की ओर कूच किया गया। मजदूरी भुगतान के लिए कलेक्टर प्रयासरत हैं ,हो जाएगी। लेकिन देखिए एक भारत यह भी है। अपना घर छोड़ कर हजार किमी दूर 47 डिग्री में आधे पेट रहकर खौलता पानी पीकर हाड़तोड़ मजदूरी करने वाला। तपती धरती पर खाने और सुस्ताने वाला। और तिस पर मजदूरी का ईमानदारी से भुगतान नहीं! …क्या कहें इस विडंबना पर , यह गाएं कि …मेरा देश बदल रहा है , आगे बढ़ रहा है।

मनरेगा योजना को स्लो पाइजन देकर मार डाला है। क्षमा करिए वह योजना नहीं एक्ट था जो आज भी इस देश में लागू है …अपने गांव और घर के पांच किमी के दायरे में हर बालिग शख्स को मजदूरी की गारंटी देने वाला कानून। कानून है तो लागू करिए …नहीं है तो खत्म करने का आदेश दीजिए। संविधान का मखौल भी उड़ता है। हालांकि इससे क्या पेट की आग बुझेगी ! हेडिंग दुष्यंत के शेर की एक पंक्ति है, पूरा शेर यूं है कि-
भूख है तो सब्र कर ,रोटी नहीं तो क्या हुआ
आजकल संसद में है ज़ेरेबहस यह मुद्द्आ !
रजनीश की रिपोर्ट



