कलेक्टर: सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट दक्षिण भारतीय संदीप जीआर ने सीट संभाली, चार निष्पक्ष चुनाव के लिए याद किए जाएंगे आर्य

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सागर। अचानक बदले हालात में कलेक्टर दीपक आर्या की सागर से रवानगी पर रविवार को मुहर लग गई। उनकी जगह छतरपुर से तबादले पर आए कलेक्टर संदीप जीआर ने सोमवार दोपहर सागर की कमान संभाल ली।आईएएस संदीप, वर्ष 2013 कैडर के आईएएस हैं। वह मूलत: कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु के रहने वाले हैं।12 वर्ष बाद दक्षिण भारतीय परिवेश से आए किसी प्रशासनिक अफसर को विशुद्ध हिंदी बेल्ट के जिले सागर की जिम्मेदारी दी गई है। इसके पूर्व वर्ष 2011-12में आंध्रप्रदेश निवासी डॉ. ई.रमेशकुमार सागर के कलेक्टर रह चुके हैं। जानकारी के अनुसार नवागत कलेक्टर, संदीप जीआर कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में बीई और लोक प्रशासन में मास्टर डिग्रीधारी हैं। वे करीब 03 साल से पड़ोसी जिले छतरपुर के कलेक्टर थे। इधर आईएएस दीपक आर्या ने सागर कलेक्टोरेट में कलेक्टर संदीप का भाव-भीना स्वागत किया। उन्हें चार्ज देते हुए सागर के संदर्भ में बेसिक जानकारी दी।
तीन साल में चार निष्पक्ष चुनाव के लिए याद किए जाएंगे आर्या
आईएएस दीपक आर्या के ट्रांसफर की अटकलें काफी समय से चल रही थीं। हालांकि इसके पीछे की मुख्य वजह उनका कार्यकाल करीब तीन साल का होना माना जा रहा था। आर्या ने सितंबर 2021 में ज्वाइनिंग दी थी। कुशल नेतृत्व क्षमता और सहज स्वभाव के कारण उनका कार्यकाल लगभग निर्विवाद रहा। उन्होंने यहां चार तरह के पंचायतीराज, नगरीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक कराए। बद्किस्मती से एक दिन पहले
जिले के शाहपुर कस्बे में चल रहे एक धार्मिक आयोजन के दौरान एक जर्जर दीवार ढहने से 09 मासूम बच्चों की मौत हो गई और वह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निशाने पर आ गए। इस भीषण दुर्घटना के चंद घंटे बाद ही उन्हें राजधानी बुला लिया गया। दीपक आर्या, दोनों प्राइवेट व मुख्य बस स्टैंड के ऑपरेटर्स की हड़ताल से जूझने की तैयारी में थे। जो बतौर विरासत, नवागत कलेक्टर संदीप जीआर को मिलेगी।

पुलिस-प्रशासन में चर्चा, ईश्वर नहीं करे फिर ऐसा हुआ तो?
नि:संदेह शाहपुर का यह एक भीषण और दर्दनाक घटनाक्रम है। जिसके लिए जमीनी स्तर पर जिम्मेदारों पर कठोरतम कार्रवाई अवश्य होना चाहिए। लेकिन इस विभीषिका के लिए जिला मुख्यालय पर बैठे अफसरों की बलि चढ़ाना कहां तक सही है। यह बातें जिले के पुलिस-प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय रहीं। दरअसल सीएम डॉ. यादव ने कलेक्टर आर्या के अलावा एसपी अभिषेक तिवारी को भी हटाया है। मामले में दिलचस्प पहलू ये है कि
एसपी अभिषेक तो बीते 10 दिन से अवकाश पर चल रहे हैं। प्रभारी एसपी के रूप में उनकी जगह एडिशनल एसपी डॉ. संजीव उईके काम कर रहे थे। ठीक इसी तरह, जिले में ऐसे कई मकान, दुकान या अन्य निर्माण हो सकते हैं। जो जर्जर अवस्था में हैं। उन्हें रिमूव कराने की पहली जिम्मेदारी मैदानी अमले यानी स्थानीय सीएमओ, जनपद सीईओ, नगर निगम कमिश्नर या अन्य की होना चाहिए। लेकिन इस मामले में सीधे गाज कलेक्टर पर गिरी। चर्चा है कि भोपाल में बैठे जिम्मेदारों ने वास्तव में इस विभीषिका को महसूस कर लिया था तो फिर घटनाक्रम के घंटे-दो घंटे बाद कार्रवाई हो जाना चाहिए थी। लेकिन यहां निर्णय तब लिया गया। जब देश की महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता आदि ने इस मामले पर शोक जता दिया। माना जा सकता है कि अफसरों को हटाने के ये निर्णय उपरोक्त दबाव में भी लिए गए। इधर चर्चा है कि ईश्वर नहीं करे, जिला या प्रदेश में कहीं पर भी ठीक इसी तरह के घटनाक्रम का दोहराव फिर होता है तो क्या वहां भी इसी तरह की कठोर कार्रवाई की जाएगी। सागर एसपी की कमान रायसेन के एसपी रहे विकास सहवाल को दी गई है।
05/08/2024



