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विकास कार्यों की मांग की आड़ में लामबंद पार्षद! महापौर को छोड़ विभागीय मंत्री विजयवर्गीय से मिलने पहुंचे भोपाल

नगर निगम के 30 पार्षदों के गुट महापौर परिवार के खिलाफ लिखित शिकायत की

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सागर। मंगलवार को नगर निगम के 30 पार्षद मय अध्यक्ष के अचानक भोपाल पहुंच गए। वे शहर के वरिष्ठ विधायक शैलेंद्र जैन और केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत को लेकर सीधे नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से मिले। इस मेल-मुलाकात के बाद कतिपय पार्षदों ने बताया कि हम लोग शहर के विकास के लिए मंत्री विजयवर्गीय से मिले। जबकि अंदरखाने की खबर है कि विकास की बात करना तो महज औपचारिकता थी। दरअसल ये सभी लोग महापौर संगीता डॉ. सुशील तिवारी के खिलाफ शिकायत करने गए थे। वे तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी मिलना चाहते थे। लेकिन जब तक उनका काफिला भोपाल पहुंचा। सीएम डॉ. यादव किसी अन्य कार्यक्रम के लिए रवाना हो गए। बाद में ये सभी विजयवर्गीय से मिले। चर्चा है कि इस मुलाकात के बाद विभागीय मंत्री ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के सम्मेलन व बैठकों में प्रतिनिधियों की मौजूदगी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी करने आश्वासन दिया है।

अध्यक्ष बोले, अजा बाहुल्य वार्डों के लिए निधि मांगने गया था

ढाई दर्जन पार्षदों के संग भोपाल पहुंचे नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार ने कहा कि मैं, शिकवे-शिकायत आदि की बात नहीं करूंगा। साथ गए पार्षदों ने अपनी बात जरूर रखी है। अजा वार्ड से पार्षद होने के नाते मैंने, विभागीय मंत्री विजयवर्गीय से अजा एवं अजा बाहुल्यता वाले वार्डों के लिए पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान द्वारा चुनाव पूर्व स्पेशल ग्रांट के रूप में 15- 15 लाख रु. देने के वायदे को पूरा करने की मांग की। शहर में खेल परिसर के सामने व कटरा मस्जिद के चारों ओर फुट ओवरब्रिज समेत नगर निगम के निर्माणाधीन नवीन भवन में सभाकक्ष के लिए 1.50 करोड़ रु. देने की मांग रखी।

महापौर परिवार की शिकायतों के इर्द-गिर्द रही पूरी मुलाकात

नाम नहीं छापने की शर्त पर इस दल में शामिल एक पार्षद ने बताया कि नगर निगम परिषद के दो तिहाई से अधिक सदस्य महापौर संगीता डॉ. सुशील तिवारी की कार्यप्रणाली से नाखुश हैं। महापौर संगीता तिवारी की जगह उनके पति डॉ. सुशील तिवारी और भतीजा रिषांक तिवारी नगर निगम को संचालित कर रहे हैं। इन लोगों के द्वारा व्यक्तिगत कामों में ज्यादा रुचि ली जा रही है। वर्तमान में डॉ. तिवारी, किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि नहीं हैं, इसलिए वह एमआईसी और साधारण सम्मेलन बुलाने से बच रहे हैं। कतिपय फाइलों को वह मनमाने ढंग से नस्तिबद्ध कर रहे हैं। महापौर कक्ष में भतीजे रिषांक द्वारा पार्षदों को अपमानित किया जा रहा है। एक पार्षद ने महापौर के कामों की जांच कराने और उक्त अवधि में उनके वित्तीय अधिकार प्रतिबंधित करने की भी मांग की।

आरोप बेबुनियाद, महापौर हर स्तर पर जांच के लिए तैयार

इस घटनाक्रम को लेकर डॉ. सुशील तिवारी का कहना है कि जहां तक मुझे पता है कि ननि के यह पार्षद शहर के विकास के संबंध में बात करने भोपाल गए थे। अगर शिकवा-शिकायत कर रहे हैं तो मैं उनका भी जवाब देने तैयार हूं। बात साधारण सम्मेलन नहीं बुलाने की है तो उसमें पिछली बार कुछ तकनीकी चूक हो गईं थीं। जिसके चलते इस दफा कुछ विलंब हुआ। टालने जैसी कोई बात नहीं है। मैं, पूर्व सांसद राजबहादुरसिंह का प्रतिनिधि था, इसलिए निगम में मेरी उपस्थिति पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। अगर महापौर के खिलाफ किसी तरह के व्यवहारिक, वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं तो उसकी जांच करा ली जाए। रिषांक पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं। नगर निगम के सभी पार्षद साथियों के लिए महापौर हमेशा उपलब्ध हैं। वह अपनी बात खुलकर रख सकते हैं। मैं इस घटनाक्रम को कतिपय महत्वाकांक्षी नेताओं द्वारा राजनीतिक  माइलेज लेने से अधिक नहीं मानता।

 इन पार्षदों ने “विकास की मांग” से दूरी बनाए रखी

पार्षदों की इस भोपाल यात्रा से  महापौर गुट के माने जाने वाले पार्षदों ने दूरी बनाए रखी। हालांकि विरोध के स्वर बुलंद करने वाले पार्षदों ने इन लोगों से संपर्क भी नहीं किया। जो लोग भोपाल नहीं गए। उनमें एमआईसी सदस्य विनोद तिवारी, रेखा नरेश यादव, सोमेश जड़िया, राजकुमार पटेल, पार्षद नईम खान, सूरज घोषी, रानी अहिरवार शामिल हैं। कुछ नाम ऐसे भी हैं जिन्होंने टेलीफोनिक सहमति देते हुए भोपाल जाने से परहेज किया।

30/07/2024

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