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पाकिस्तान घूम आए सागर के सिंधी कैम्प के चंदू भाऊ

                                      सागरवाणी डेस्क। 9425172417

सागर I शहर के सिंधी कैम्प( सन्त कंवरराम वार्ड के चन्द्रभान ( चंदू) बुधवानी सपरिवार पाकिस्तान हो आए हैं। वे धार्मिक यात्रा पर पंजाब के गुरुदासपुर जिले में स्थित भारत – पाक बार्डर के श्री करतारपुर कॉरिडोर से पाकिस्तान गए। यहां उन्होने अपने परिवार सहित सिख धर्म के प्रथम गुरु  श्री नानक देव जी (1449-1539 ई.) के पवित्र स्मारक के दर्शन किए। चंदू भाई ने बताया कि गुरु नानक जी अपने आचार-विचार और कर्मशीलता के कारण हिंदु-मुस्लिम दोनों समुदाय के श्रद्धेय थे। इसलिए जब उन्होंने देह त्याग किया तो दोनों ही समुदाय के लोग उनके पवित्र शरीर पर अपना हक जताने लगे। लेकिन जबउनके शरीर को ढंकी चादर हटाई तो उनका तन वहां नहीं था, देह की जगह दो फूल थे। इसके बाद भी दोनों समुदाय के अनुयायी नहीं माने और उस चादर को आधा -आधा बांट लिया। श्री करतारपुर साहब गुरुद्वारा में दोनों ही धर्मों के पवित्र स्थल क्रमश: गुरुद्वारा और मजार के रूप में मौजूद हैं। चंदू भाई के अनुसार, हम लोगों के पूर्वज सिंध प्रान्त के लालकाना जिले के बीहड़ गांव के थे। गुरुद्वारे में एक पकिस्तानी सिंधी भाई मिले। उन्होंने बताया कि आप लोगों का गांव यहां से करीब 20km दूर है। चंदू बुधवानी के अनुसार एक बारगी मन हुआ कि वहां भी हो आएं। लेकिन फिर मन मसोस कर वापस भारत लौट आए। क्योंकि यहां से आगे जाने की अनुमति नहीं है। चंदू भाई ने बताया कि भारतीय बार्डर से श्री करतारपुर साहिब मात्र 6 Km दूर है। लेकिन वहां पहुंचने के लिए बार्डर पर बने भारतीय प्रवर्तन ऑफिस(इमिग्रेशन) में करीब एक घंटे की औपचारिक कार्रवाई होती है। इसके बाद पाक सरकार द्वारा प्रदत्त बस से यात्रियों को करतारपुर साहिब भेजा जाता है। पाक पहुंचने पर एक बार फिर पाक इमिग्रेशन में जांच – पड़ताल होती है। इसके बाद प्रति व्यक्ति 20 डॉलर फीस जमा कर दर्शन के लिए डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा पहुंचा दिया जाता है। पाक सरकार ने दर्शन के लिए शाम 4.30 बजे तक का समय तय किया है। इसके बाद वापस लौटना होता है। चंदू भाई के मुताबिक हम लोगों ने 2 महीने पहले ही इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया था। स्थानीय पुलिस, विशेष शाखा व आईबी की N0C के बाद इस तीर्थ यात्रा की अनुमति मिल गई। चंदू भाई के अनुसार,  मेरा एक साला कैलाश आसवानी भी साथ गया था लेकिन उसे पाक इमिग्रेशन ने आगे नहीं जाने दिया। वहां के अफसरों का कहना था कि कैलाश का पासपोर्ट अमेरिकन है इसलिए उन्हें लाहौर के रास्ते श्री करतारपुर साहिब आना होगा। चंदू भाई ने बताया कि मेरी कुछ स्थानीय सिंध भाइयों से बात हुई तो उन्होंने पूछा कि भारत में सिंधी समाज की क्या स्थिति है। जवाब में मैंने कहा कि हम लोग यहां खूब फल -फूल रहे हैं। आप लोग अपना बताएं ? तब उन्होंने भी मेरे जैसा ही जवाब दिया। चंदू भाई के साथ उनकी पत्नी माधुरी, सास राजवंती आशवानी, साले संतोष आसवानी- विनीता आसवानी व उनके बच्चे भी साथ गए थे।

16/09/2023

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