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हाईकोर्ट ने विवि रजिस्ट्रार “सत्य” की चालाकी को “प्रकाश” में लिया

समय से पहले रिटायर करने के एक प्रकरण में 10 हजार रु. की कास्ट लगाई

sagarvani.com। 9425172417

सागर। डॉ. हरी सिंह गौर केंद्रीय विवि के प्रभारी रजिस्ट्रार सत्य प्रकाश उपाध्याय ने चालाकी से तथ्य छिपाए। उनकी ओर से दिया गया शपथ-पत्र संतोषजनक नहीं है। यह टिप्पणी मप्र हाईकोर्ट के जज विवेक अग्रवाल ने की है। वे विवि के एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी माखन सोनी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। विचारण के बाद जज अग्रवाल ने विवि प्रशासन को नए सिरे सभी तथ्य पेश करने दो सप्ताह का समय देते हुए 10 हजार रु . की कास्ट लगाई है। जो हाईकोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी में जमा की जाएगी। सुधी पाठकों को बता दें कि कास्ट वह राशि होती है। जो न्यायलय गलत तथ्य देकर कोर्ट का समय खराब करने या केस की दिशा-दशा बदलता पाए जाने पर संबंधित पक्षकार से वसूलता है। इसे न्यायलयीन प्रक्रिया का जुर्माना भी कहा सकता है। ताजा मामले में हाईकोर्ट ने विवि प्रशासन पर यह कास्ट  चाहे गए दस्तावेजी तथ्य छिपाने यानी पेश नहीं करने पर लगाई है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने प्रभारी रजिस्ट्रार उपाध्याय को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के लिए भी कहा है। ड्राइवरों को अलग-अलग उम्र में रिटायर करने का है मामला

विवि के  दैनिकवेतन भोगी ड्राइवर माखन सोनी ने यह पिटीशन दाखिल की है। उनका कहना है कि विवि प्रशासन एक पद के लिए दो नियम चला रहा है। सोनी के अनुसार, मेरे रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष तय कर दी गई है। जबकि एक अन्य दैवेभो ड्राइवर सीताराम तिवारी को 62 वर्ष की उम्र में रिटायर किया जाएगा। विवि प्रशासन इसके पीछे जो कारण बता रहा है। वे पूर्णतः अतार्किक हैं। याचिकाकर्ता की ओर से  एड. उत्तम माहेश्वरी एवं विवि की ओर से सिद्धार्थ शुक्ला पैरवी कर रहे हैं। 03/07/2024

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