सागर। सामान्यत: पुलिस थानों-न्यायालय में ऐसे प्रकरण पहुंचते हैं। जिनमें से अधिकांश में पत्नी द्वारा पति पर दुर्व्यवहार, मारपीट और दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोप लगाए जाते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में सही भी होते हैं। लेकिन ये एक ऐसा प्रकरण है, जिसमें पति, पत्नी के खिलाफ कोर्ट के समक्ष याचिका लेकर पहुंचा। और कोर्ट ने माना कि पत्नी का व्यवहार पति के प्रति क्रूरतापूर्ण है। इस केस के बारे में वरिष्ठ वकील पवन नन्होरिया और राममिलन यादव ने विस्तार से जानकारी साझा की।मैं प्राचार्य की बेटी हूं और तुम मामूली शिक्षक, नहीं कर सकती गुजारा
एड. नन्होरिया ने बताया कि यह प्रकरण दमोह जिले के उच्चशिक्षित युवक और उसकी पत्नी का है। इन दोनों का विवाह वर्ष २०११ में हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था। शुरुआती कुछ दिन दोनों के बीच सामान्य गुजरे। लेकिन इसके बाद पत्नी उस पर गांव का घर छोड़कर मायके के करीब शहर में रहने दबाव बनाने लगी। पेशे से प्राइवेट स्कूल शिक्षक इस युवक से उसकी पत्नी बोलती थी कि, तुम एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हो। जबकि मैं एक सरकारी स्कूल के प्राचार्य की इकलौती बेटी हूंं। वहां मेरा पालन-पोषण बहुत अच्छे से हुआ है। इसलिए मेरा गुजारा तुम्हारे इस गांव के घर में नहीं हो सकता। इसलिए मैं शहर में रहना चाहती हूं। बहरहाल इस दौरान ये दोनों, दो बच्चों के माता-पिता बन चुके थे। करीब तीन साल बाद रोज-रोज की किच-किच से थकहार कर युवक पत्नी को लेकर दमोह शहर आ गया। जहां वह किराए का मकान लेकर २२०० रुपए महीने में एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगा। लेकिन अब पत्नी नेे दूसरी जिद पकड़ ली। उसका कहना था कि तुम कोई दूसरा काम करो। वरना मैं मायके में रहने चली जाऊंगी। पति का कहना था ऐसा करने के बजाए तुम मेरे साथ वापस गांव चलो। वहां हम आराम से कम पैसे में गुजारा कर लेंगे।घर लौटा तो पत्नी जेवरात समेत गायब, प्रेमी के साथ मिली
इसी आपसी खींचतान के बीच एक दिन यह युवक घर लौटा तो पत्नी व बच्चे गायब थे। जेवरात और नकदी भी अपनी जगह पर नहीं थे। पति ने तुरंत पत्नी को फोन किया। वहां से जवाब मिला कि मैं अपने मायके आ गई हूं। पति तुरंत पत्नी के चंद किमी दूर मायके पहुंच गया। वहां पता कि पत्नी बेटे को घर में छोड़ छोटी सी बच्ची लेकर गायब है। ससुरालजनों से पूछा तो वे उस पर ही अपनी बेटी-नातिन को ढूंढकर लाने के लिए दबाव बनाने लगे। आखिरकार पति व उसके सालों ने तीन दिन तक आसपास के शहर-कस्बों में उसकी खोजबीन की। चार दिन बाद वह बरमान में अपने प्रेमी के साथ मिली। इस बीच पत्नी का प्रेमी मौका देख भाग गया। पूछने पर पत्नी ने बताया कि वह युवक, उसका दोस्त था। इसके बाद पत्नी अपने मायके लौट गई। पति उसकी इस गलती को माफ करते हुए मायके पहुंचा और घर चलने कहा। लेकिन मायके वालों ने पत्नी का पक्ष लेते हुए उन्होंने पत्नी को नहीं भेजा। पत्नी को लेने गया कपड़े उतरवाकर बाइक छीन ली
परिवार नहीं टूटे, इसलिए पति एक बार फिर पत्नी के मायके पहुंचा। लेकिन इस दफा पत्नी समेत मायके वाले रौद्र रूप में थे। उन्होंने न केवल इस युवक को बुरी तरह पीटा। बल्कि उसकी बाइक भी छीन ली और कपड़े यह बोलकर उतरवा लिए कि यह भी हम लोगों ने दहेज में दिए थे। पति वापस घर आ गया। लेकिन वह बार-बार रिश्तेदार-संबंधियों से माध्यम से पत्नी को वापस लाने की कोशिश करता रहा। कुछ महीनों बाद पत्नी ने अचानक इस युवक के माता-पिता, भाई-भतीजे समेत करीब ११ लोगों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का केस दर्ज करा दिया। जो बाद में झूठा साबित हुआ। हालांकि इस बीच पत्नी, पति से ६००० रु. महीना गुजारा भत्ता लेने में कामयाब हो गई।
पति की नौकरी सेंट्रल स्कूल में लगी तो पत्नी ने छुड़वा दी
पत्नी से अलग रहने के दौरान इस युवक की पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के एक सेंट्रल स्कूल में शिक्षक की नौकरी लग गई। पत्नी को यह गवारा नहीं हुआ। वह एक दिन तैश में आकर दो अज्ञात युवकों को लेकर इस युवक के दमोह स्थित घर पहुंची और उसकी जमकर पिटाई करा दी। यह मारपीट उसने फोन पर हुई किसी बातचीत से नाराज होकर कराई थी। पति ने इस मामले की रिपोर्ट कराना चाही तो पुलिस ने उलटा पति के खिलाफ ही पत्नी से बदसलूकी और मारपीट का केस दर्ज कर लिया। इसके बाद पत्नी छत्तीसगढ़ गई और उस केंद्रीय विद्यालय में पहुंंची जहां उसका पति कार्यरत था। वहां उसने स्कूल प्रबंधन से कहा कि मेरा पति लड़कियों पर बुरी नजर रखता है। उस पर दहेज प्रताड़ना का केस है। चूंकि उसकी नौकरी संविदा आधार पर थी, इसलिए स्कूल प्रबंधन ने उसे सेवा से बाहर कर दिया। पति वापस दमोह लौटा तो उसने जिस किसी भी प्राइवेट स्कूल में नौकरी पाने की कोशिश की तो पत्नी ने उस स्कूल में पहुंंचकर उसकी नौकरी छुड़वा दी।
कोर्ट ने पाया कि, पत्नी का व्यवहार क्रूरतापूर्ण
पत्नी की आए दिन की प्रताड़ना से तंग आकर पति ने जिला कुटुम्ब एवं परिवार न्यायालय में तलाक का केस दर्ज करा दिया। जहां कोर्ट ने सबसे पहले पत्नी के बयान लिए। जिसमें उसने बताया कि यह बात सही है कि मेरे पति ढंग की नौकरी नहीं करते थे। जबकि मैं मध्यम वर्ग के परिवार से थी। वह अपने प्रेमी के साथ भागने की बात से मुकर गई। लेकिन पत्नी के भाई ने स्वीकार किया कि हम लोगों ने अपनी बहन के गुम होने की पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में वह बरमान में मिली थी। पत्नी ने यह माना कि वह छत्तीसगढ़ स्थित पति के केंद्रीय विद्यालय गई थी और उसने प्राचार्य से मौखिक शिकायत की थी। जबकि पति का कहना था कि उसने मेरी लिखित शिकायत की है। आखिर में कोर्ट ने पत्नी से पूछा कि तुम पिछले ७ साल से पति से अलग रह रही हो। इसका कोई ठोस कारण बता सकती हो। पत्नी कोई जवाब नहीं दे पाई। कोर्ट ने यह भी पाया कि उसने, पति के खिलाफ अधिकांश झूठे केस दर्ज कराए हैं। वह अपने पति की दूसरी शादी के कोई ठोस सुबूत भी नहीं दे पाई। आखिर में कोर्ट ने कहा कि पत्नी का पति के प्रति व्यवहार क्रूरतापूर्ण है। इसलिए पति के पक्ष में तलाक की डिक्री पारित की जाती और पत्नी को गुजारा भत्ता का अधिकार नहीं होगा।