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बस स्टैंड मामले में स्टे, क्योंकि बगैर नोटिफिकेशन नया बस स्टैंड घोषित नहीं होता

बंद पड़े दोनों बस स्टैंड से ही होगा बसों का संचालन - दो-एक दिन बाद बसें नए बस स्टैंड से चलना हो जाएंगी बंद

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सागर। मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश न्यायाधिपति श्री डीके पालीवाल की एकल पीठ ने शहर के बस स्टैंडों की शिफ्टिंग के मामले में बस ऑपरेटर्स के पक्ष में स्टे दे दिया है। गुरुवार शाम तक चली सुनवाई में याचिकाकर्ता बस ऑपरेटर विमलसिंह ठाकुर और अनुपम भट्ट ने अपने वकील ब्रजेश दुबे के माध्यम से अपना पक्ष रखा। दुबे ने माननीय न्यायाधिपति को बताया कि कलेक्टर द्वारा 10 मई 2024 को पारित आदेश पूर्णत: क्षेत्र अधिकार के विरुद्ध है। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 96 एवं मध्य प्रदेश मोटर यान नियम के नियम 204 के विरुद्ध है। जिसके अनुसार बसों का संचालन केवल नोटीफाइड बस स्टैंड से ही किया जा सकता है। इस संबंध में आदेश पारित करने का अधिकार क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारी को है ना कि कलेक्टर को। आगे अधिवक्ता दुबे ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष यह भी तर्क दिया कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में निर्णय दिए हैं कि नोटिफिकेशन के बिना बस स्टैंड का निर्धारण नहीं हो सकता। माननीय उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है।

दो-एक दिन और नए बस स्टैंड से चलेंगी बसें

हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद बस ऑपरेटर्स ने राहत की सांस ली है। साथ ही यहां के चाय-पान, नाश्ता, मेकेनिकल वर्क्स, पंक्चर वालों से लेकर भोजनालय आदि चलाने वालों के चेहरे पर चमक लौट आई है। इस संबंध में गुरुवार देरशाम प्रेस से चर्चा करते हुए जिला बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष पांडे और संरक्षक जयकुमार जैन व छुट्टन तिवारी ने बताया कि बसों संचालन फिलहाल नए बस स्टैंड से किया जाएगा। क्योंकि कानूनन यह आवश्यक है कि कलेक्टर समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को इस स्टे की विधिवत सूचना प्राप्त हो जाए। मुमकिन है कि इसमें दो-एक दिन लग जाएं। बस ऑपरेटर जयकुमार ने बताया कि नियमानुसा किसी भी स्थान को बस स्टैंड घोषित करने से पहले एक इश्तिहार जारी किया जाता है। जिसमें स्थानीय नागरिकों से 30दिन के भीतर दावा-आपत्ति मांगे जाते हैं। उनका निराकरण करने के बाद शासन द्वारा नए स्थान का नोटिफिकेशन सरकारी गजट में किया जाता है। जिसके बाद बस स्टैंड अस्तित्व में आ जाता है।

40 दिन पहले शिफ्ट हुए थे बसस्टैंड

कलेक्टर दीपक आर्य ने 10 मई को प्राइवेट और सर हरीसिंह गौर सरकारी बस स्टैंड को खाली कराया गया था। इन दोनों बस स्टैंड को स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा न्यु आरटीओ के बाजू में और लेहदरा नाका के पास बनवाए गए बस स्टैंड्स पर शिफ्ट कर दिया था। जिस पर बस ऑपरेटर्स ने आपत्ति ली थी। शुरुआती कुछ दिन तक न्यु आरटीओ वाले बस स्टैंड से बसों की आवाजाही मेनपानी तिराहा से पथरिया जाट होकर बम्होरी तिराहा वाया फोरलेन होती रही। बाद में यह आवाजाही तिली गांव से तहसीली से सिविल लाइंस और मकरोनिया होकर कर दी गई। पिछले दिनों जिला प्रशासन ने इस रूट को भी बंद कर दिया था। जिसके बाद ऑपरेटर्स हड़ताल पर चले गए थे। करीब 7 दिनों बाद जिला प्रशासन और ऑपरेटर्स में समझौता हुआ। जिसके बाद तिली-तहसीली वाले रूट से एक बार फिर बसें चलने लगीं। जिसके 24 घंटे बाद ही हाईकोर्ट से यह आदेश पारित हो गया।

20/06/2024

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