ऑटो से भयभीत बस वाले और गाफिल जन प्रतिनिधि !
बस बंद हुए सात दिन गुजरे, जाने कितनों को क्या- क्या नुकसान हुआ
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सागर। बसों की हड़ताल को 7 दिन हो चुके हैं। जिला बस आपरेटर्स एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल का एक कारण आरटीओ के पास बने बस स्टैण्ड से बंद पड़े स्टैण्डों की दूरी को बनाया है। एसोसिएशन का दावा है कि इससे यात्रा न केवल महंगी होगी, पैसेंजर्स को शारीरिक व मानसिक कष्ट भी होगा। यात्रियों के प्रति आपरेटर्स ये संवेदना पढ़ने-सुनने में अच्छी लगती है। जबकि हकीकत ये है कि यात्रियों के बटुए और उनकी तकलीफ की बात करने वालों ने शत-प्रतिशत बसें बंद कर रखी हैं। क्या उन्हें इतना भी आइडिया नहीं है कि बसें बंद करने से कितने लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जूझ रहे होंगे। जाने किस घर की बेटी के विवाह की तैयारी- निमंत्रण आदि अटके पड़े होंगे। कौन गरीब , मुख्यालय की किसी अदालत में चल रहे केस की पेशी में नहीं पहुंच पाया होगा। क्या ये ऑपरेटर इतना भी नहीं कर सकते कि कम से कम हरेक रूट पर 2-3 बसों के अप-डाउन नंबर चलाते रहें। ताकि साधनहीन, गरीब तबके के लोगों का शहर से कनेक्शन कट नहीं हो।
“नेताजी” की भूमिका बयानबाजी तक
हड़ताल को लेकर जिला प्रशासन अकेला मोर्चा संभाले है। दो- एक को छोड़ बाकी जनप्रतिनिधि इस बात पर फंदके बैठे हैं कि शिफ्टिंग के वक्त हम लोगों से पूछा ही नहीं गया। हो सकता है ये बात सही हो। लेकिन आज उनके विस क्षेत्रवासियों की जो गत बन रही है। इसके लिए उनका कोई फर्ज नहीं बनता। जब तक इस विवाद का हल नहीं निकलता, क्या तब तक के लिए वह अपने- अपने विस क्षेत्र से बसें चलाने के लिए ऑपरेटर्स को राजी नहीं कर सकते?
ऑटो वालों से डर रहे हैं बस वाले !
एसोसिएशन का मानना कि शहर की सीमाओं से बस स्टैण्ड की दूरी के कारण लोग बस में जाने के बजाए, मकरोनिया से ऑटो पकड़ कर बंडा, रहली, शाहपुर, गढ़ाकोटा, देवरी आदि देहात क्षेत्र में पहुंचने लगेंगे। जिससे ऑपरेटर्स को खासा नुकसान होगा। कुछ हद तक यह शंका-कुशंका सही हो सकती है लेकिन सभी यात्री, यह साधन अपनाएंगे। ये बात हजम नहीं होती। इस मामले में नगर निगम की सिटी बस कंपनी को आगे आना चाहिए। उन्हें बंद पड़े बस स्टैण्डों से हाल-फिलहाल के लिए हर 15 मिनट में न्यु आरटीओ बस स्टैण्ड के लिए सिटी बसों के नंबर तय कर देना चाहिए। ताकि शत – प्रतिशत यात्री, ऑपरेटर्स द्वारा संचालित बसों से ही आवाजाही करें।
1990-2024, बदल गया है शहर
बस ऑपरेटर्स के इस मसले पर कलेक्टर दीपक आर्य का कहना है कि वर्ष 1990 में शहर के मुख्य व प्राइवेट बस स्टैंड का निर्माण हुआ था। उस समय जिले की आबादी 15 लाख थी। जो अब 30 लाख हो गई है। उस समय सड़कों पर कुल 195 बसें और आज 549 दौड़ रही हैं। तब सभी तरह के वाहनों की संख्या करीब 65 हजार थी। अब करीब 5 लाख हो गई है। ऑपरेटर्स को इन बिंदुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। सड़कों की साइज बढ़ी है तो उस अनुपात से कहीं अधिक दो, तीन और चार पहिया वाहन भी बढ़ गए। ऐसे में शहर के भीतर से बस स्टैंड का संचालन अव्यवहारिक, लोगों के जीवन को जोखिम में डालने वाला हो गया है। कलेक्टर आर्य के मुताबिक वर्ष 2020 और 2021 की स्मार्ट सिटी की बैठकों के हवाले से बस स्टैंड के निर्माण में ऑपरेटर्स समेत अन्य सभी की सहमति के बारे में जानकारी दी थी।
नागरिकों की सुविधा के लिए हरसंभव निर्णय लेंगे
बसों के बंद होने से शहर व आसपास के तहसील, कस्बे के लोगों को हो रही परेशानी के सवाल पर कलेक्टर आर्य बोले सिटी बस की संख्या बढ़ाएंगे। ऑपरेटर्स को भी आश्वस्त किया गया है कि नए बस स्टैंड तक सवारी पहुंचान के लिए पुराने बस स्टैंड समेत शहर के अन्य हिस्सों से सिटी बसों की संख्या को बढ़ाया जाएगा। ऑपरेटर्स, अपनी मांग छोड़कर जनहित में बसों का संचालन शुरु करें। उनके रूट्स, परमिट व अन्य बिंदुओं पर हम बहुत जल्द निर्णय ले रहे हैं।
19/06/2024



