खबरों की खबरचर्चितब्रेकिंग न्यूज़

पहली बार 50 हजार भारतीय महिलाओं को मिला तापमान-बीमा

'क्लाइमेट रेजिलिएंस फॉर ऑल' ने भारतीय संस्था एसईडब्ल्यूए के साथ शुरु की योजना

sagarvani.com9425172417

नई दिल्ली। भारत में पहली बार 50 हजार महिलाओं को अत्यधिक तापमान बीमा का भुगतान हुआ है। तापमान बीमा एक ऐसी योजना है जिसके तहत अत्यधिक गर्मी होने पर उन महिलाओं को भुगतान किया जाएगा जिनका कामकाज गर्मी के कारण प्रभावित हुआ हो। 18 मई से 25 के बीच भारत के कई शहरों में तापमान 40 डिग्री को पार कर गया था। इसी की एवज में राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की इन महिलाओं को 400 रुपए का भुगतान किया गया है।यह योजना अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी संस्था ‘क्लाइमेट रेजिलिएंस फॉर ऑल’(सीआरए) ने भारत में महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था ‘सेल्फ-इंप्लॉयड विमिंज एसोसिएशन’ (एसईडब्ल्यूए) के साथ मिलकर शुरू की है। सीआरए की सीईओ कैथी बॉगमन मैक्लॉयड ने कहा, यह पहली बार है जब सीधे नगद भुगतान को बीमा योजना के साथ जोड़ा गया है ताकि उन महिलाओं की आर्थिक मदद की जा सके, जिनकी आय अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो रही है। 400 रुपए के इस भुगतान के अलावा लगभग 92 फीसदी महिलाओं को करीब 1,600 रुपए तक का अतिरिक्त भुगतान भी मिला जो स्थानीय परिस्थितियों और गर्मी की अवधि के आधार पर तय होता है। इस योजना के तहत कुल तीन करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। यह बीमा योजना स्विट्जरलैंड की कंपनी स्विस री और भारत के आईसीआईसीआई लोंबार्ड के सहयोग से चलाई गई है।

जलवायु चेंज-बीमा योजनाएं कई देशों में शुरु

बहुत से नीति विशेषज्ञ बीमा योजनाओं को मौसमी आपदाओं से प्रभावित होने वाले कमजोर तबकों की आर्थिक मदद का एक जरूरी जरिया मानने लगे हैं। ऐसी योजनाएं कई देशों में शुरू हो गई हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनाइटेड नेशंस डेवलेपमेंट प्रोग्राम ने इंश्योरेंस एंड रिस्क फाइनेंस फैसिलिटी के नाम से एक संगठन स्थापित किया है। यह संगठन दुनियाभर में इश्योरेंस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों और सरकारों के साथ मिलकर काम करता है। इस संगठन का मकसद जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं के वक्त एक मजबूत वित्तीय आधार उपलब्ध कराना है।

मौसम की गरीबों पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है

यूएनडीपी में इंश्योरेंस एंड रिस्क फाइनेंस फैसिलिटी के टीम लीडर यान केलेट लिखते हैं कि बीमा योजनाएं और आपदाओं के खिलाफ वित्तीय मदद ना सिर्फ जिंदगियां बचा सकती है बल्कि संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी अहम भूमिका निभा सकती है। केलेट कहते हैं, बीमा ना होने से मौसमी आपदाओं के कारण लाखों-करोड़ों लोग गरीबी की गर्त में गिर सकते हैं क्योंकि विकासशील देशों में ऐसे लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है जिनके पास आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान से उबरने के लिए संसाधन ना के बराबर हैं।

14/06/2024

प्रतिष्ठित समाचार एजेन्सी से साभार प्राप्त

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!