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पुलिस ने रिपोर्टकर्ता के आंगन में दफन कराई सिर कटी लाश

लाश की सुरक्षा से पल्ला झाड़ने की पुलिसिया सोच का नायाब नमूना

सागर। पुलिस अपनी जवाबदेही से बचने के लिए कई बार ऐसे- ऐसे अफलातूनी काम कर बैठती है। जो पूरी पुलिस बिरादरी की सोच और समझ पर सवालिया निशान लगा देते हैं। ऐसा ही एक मामला दमोह देहात के थाना बटियागढ़ के एक गांव गूगरा का है। जहां डेढ़ महीने पहले पुलिस ने पूरे ठक्का -ठाव से एक सिर कटी लाश को रिपोर्टकर्ता के घर के आंगन में दफन करा दिया। इधर समय गुजरने के साथ  भय, संदेह, सामाजिक रीति- रिवाजों के चलते रिपोर्टकर्ता परिवार  इस लाश को कहीं और  दफन करवाने की मांग करने लगा।  जबकि पुलिस अपने इस अजीबो-गरीब निर्णय से डिगने तैयार नहीं है। वह शव को वहीं दफन रखने पर अड़ी है।

सूरतसिंह के घर के सामने इस लाल घेरे वाली जगह पर शव दफन है।

तीर्थ- मजदूरी करने गई दादियों से खुला था हत्या का राज

पुलिस ने इस घटनाक्रम का खुलासा करीब डेढ़ महीने पहले किया था। कहानी ये थी कि मृतक देवीसिंह अविवाहित था। गांव की एक विवाहिता से उसके अवैध संबंध थे। जिसकी जानकारी उसके पति को हो गई थी। उसने डेढ़ महीने पहले एक रात को दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया और ताव में आकर देवीसिंह की हत्या कर दी। इसके बाद शव से सिर अलग कर उसे जंगल में फेंक दिया। जबकि धड़ को गांव में ही दफन कर दिया। इधर इस युवक ने घर लौटने के बाद पत्नी को उलाहना देते हुए अपनी दादी को हत्या का पूरा घटनाक्रम सुना दिया। दो- तीन दिन बाद जब पुलिस देवसिंह को ढूंढने सक्रिय हुई तो इस दादी ने पूरी बात अपनी परिचित एक वृद्धा को सुना दी। इधर यह वृद्धा तीर्थ और मजदूरी करने मथुरा-वृंदावन चली गई।  चंद दिन बाद एक दूसरी बुजुर्ग जब वृंदावन पहुंची तब उससे इस वृद्धा ने पूछा कि देवसिंह का कुछ पता चला। नहीं, में जवाब मिलने पर इस वृद्धा ने कहा कि वह कभी नहीं मिलेगा। क्योंकि उसे फलां बुजुर्ग महिला के पोते ने मारकर गड़ा दिया है। इस महिला ने ये कहानी सुनते ही गांव में अपने रिश्तेदारों से फोन पर बात की। जिसके बाद इस गुमशुदगी और हत्या की घटना का खुलासा हो गया।

शव हटवाने की मांग लेकर एसपी ऑफिस पहुंचा सूरतसिंह लोधी और उसका भाई।

संदेही की निशानदेही पर गांव के बाहर से उखाड़ी थी लाश

 गूगरा गांव के सूरतसिंह ने सगे भाई देवसिंह की गुमशुदगी की रिपोर्ट बटियागढ़ थाने में की थी। पुलिस ने संदेह के आधार पर एक युवक को उठा लिया। उसने बताया कि मैंने ही देवसिंह को मार डाला है और उसकी लाश गांव में एक जगह गड़ा दी है। पुलिस ने इस युवक की निशानदेही पर जमीन खुदवायी तो उन्हें एक सिर कटी लाश मिली। चूंकि अकेले धड़ से उसकी पहचान नहीं हो सकती थी इसलिए पुलिस ने बिसरा के अलावा DNA रिपोर्ट के लिए सेम्पिल भेज दिए। शव को फरियादी सूरतसिंह के आंगन में ही दफन करा दिया। सूरतसिंह का कहना है कि पुलिस ने ये सब करने के लिए हमारी सहमति नहीं ली। हम लोग तो बटियागढ़ में PM करा रहे थे और पुलिस हमारे घर में लाश दफनाने JCB से गड्ढा खुदवा रही थी। लौट के आए तो पुलिस के कहने पर शव को घर के आंगन में दफनाने की सहमति देना पड़ी।

DNA रिपोर्ट की आड़ में सुरक्षा करने से बच रही है पुलिस

लावारिस या विवेचनाधीन शव के मामले में पुलिस विभाग का एक ही नियम है कि उसे फ्रीजर रखवा दे। या श्मशान में दफन करा दे। लेकिन इन दोनों ही स्थिति में शव की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। माना जा रहा है कि पुलिस ने इसी जिम्मेदारी से बचने के लिए शव को सूरतसिंह के घर में दफन करा दिया। एडि एसपी संदीप मिश्रा का कहना है कि जल्द ही DNA रिपोर्ट आ जाएगी। तब शव को वहां से हटा लिया जाएगा। 

10/06/2024

 

 

 

 

 

 

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