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कुलपति ने डॉ. प्रधान के पक्ष में आए आदेश के खिलाफ रिट दायर की

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय को भी बनाया पक्षकार

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर विवि के रजिस्ट्रार के रूप में पुन: काम करने के लिए डॉ. रंजनकुमार प्रधान को अभी और इंतजार करना होगा। कारण ये है कि कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता और  प्रभारी रजिस्ट्रार सत्यप्रकाश उपाध्याय, पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्रधान के पक्ष में आए आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट, जबलपुर की डबल बैंच में अपील दाखिल कर दी है। हाईकोर्ट ने फिलहाल सुनवाई की तारीख तय नहीं की है।

हाईकोर्ट ने दिया था ज्वाइनिंग  का आदेश

हाईकोर्ट जबलपुर के जस्टिस संजय द्विवेदी ने पिछले दिनों डॉ. प्रधान के पक्ष में आदेश कर विवि प्रशासन की कार्य प्रणाली को प्राकृतिक न्याय के खिलाफ बताया था। उन्होंने आदेश दिया था कि विवि प्रशासन, डॉ. प्रधान को रजिस्ट्रार के पद पर ज्वाइन कराए और उन्हें लंबित वेतन-भत्तों का भुगतान भी करे। यहां बता दें कि विवि की ईसी (कार्य परिषद) ने दिसंबर 2023 में डॉ. प्रधान पर योग्यता संबंधी जानकारी छिपाने का आरोप लगाकर सेवा से पृथक कर दिया था। उनके विवि के मेन ऑफिस में प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी थी।

डॉ. प्रधान से किसको डर लग रहा है ?

साधारण नजरिए से बात की जाए तो डॉ. प्रधान को ज्वाइन कराने में विवि प्रशासन को परेशानी नहीं होना चाहिए। उनकी नियुक्ति में कोई अनियमितता हुई है तो उसकी जांच कर उन्हें विधिवत तरीके से सेवा से बाहर किया जा सकता है। लेकिन विवि का कुलपति और रजिस्ट्रार कार्यालय यह जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। चर्चाओं के अनुसार कतिपय अफसरों को डर सता रह है कि रजिस्ट्रार की सीट पर बैठते ही डॉ. प्रधान सबसे उन्हीं की खबर लेंगे। इन अधिकारियों के विरुद्ध जानकारी छिपाकर नौकरी हासिल करने से लेकर आर्थिक अनियमितताएं करने का आरोप है। अभी चोर-चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर ये सभी एक- दूसरे की कमियों/ अनियमितताओं पर पर्दा डाले हुए हैं। लेकिन डॉ. प्रधान के ज्वाइन होने पर इस सब की गड़बड़ियों का पिटारा खुलना तय है।

09/06/2024

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