सनी देओल का डॉयलाग “तारीख पे तारीख “….01 जुलाई से चुनिंदा मामलों में नहीं चलेगा !
दो आंखे बारह हाथ और राजेश खन्ना की फिल्म "दुश्मन" की तर्ज पर दी जाएंगी सजाएं

– 01 जुलाई से पूरे देश में लागू होगें कानून के नए बदलाव
– JNPA और PTS में लगातार चल रही है पुलिस कर्मियों की ट्रेनिंग
सागर। देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में जरूरी बदलाव के मद्देनजर 01 जुलाई से तीन नए कानून लागू होंगे। ये तीन कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं। ये कानून ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), इंडियन एविडेंस एक्ट और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेंगे। इस संबंध में जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी और पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में ओरिएंटेशन कोर्स चलाए जा रहे हैं। ताकि पुलिसकर्मी नागरिकों को नए कानून के बारे में बताने से लेकर स्वयं उनका उपयोग कर सकें।
IPC-CRPC से कितने अलग हैं ये नए कानून
आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं, वहीं आईपीसी में 511 धाराएं थीं। इसी तरह, सीआरपीसी की जगह लेने वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पिछली 484 की तुलना में 531 धाराएं हैं। इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं। ये पिछले कानून IEA में166 से थोड़ी अधिक हैं।
घर से होगी गवाही, दूसरे राज्य में हो सकेगी FIR
नागरिक घर बैठे वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए अपना बयान दे सकेंगे। किसी महिला के साथ अपराध हुआ है तो वो दूसरे राज्य में जाकर भी जीरो पर एफआइआर दर्ज करवा सकेगी। तीन साल से कम सजा वाले केस और साठ साल से ज्यादा उम्र वालों से पूछताछ मजिस्ट्रेट से अनुमति लेकर की जा सकेगी।
चुनिंदा केस में नहीं चलेगा तारीख पे तारीख
नए प्रावधान में नागरिको को चुनिंदा अपराध संबंधी केस में 3 वर्ष के भीतर न्याय प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है। ताकि उन्हें कोर्ट में तारीख दर तारीख पेशी से मुक्ति मिल सके। इसके अलावा 35 ऐसी धाराएं तय की गई हैं। जिनमें पुलिस को समय-सीमा में विवेचना पूर्ण करना होगी। तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्यत: की जाएगी। गिरफ्तार व्यक्तियों के बारे में परिजनों के पूछने पर जानकारी देना अनिवार्य होगी। शिकायतकर्ता को रिपोर्ट के अलावा चालान की भी कॉपी दी जा सकेगी।
7 साल से ज्यादा सजा में फोरेंसिक रिपोर्ट आवश्यक
नए कानूनी प्रावधानों के तहत 7 साल से ज्यादा सजा वाले मामलों में फोरेन्सिक रिपोर्ट आवश्यक होगी। इसके अलावा यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छुपाना अब एक अपराध होगा। वहीं रेप पीड़िता किसी भी राज्य में रिपोर्ट दर्ज करा सकेगी। अभी यह व्यवस्था केवल राज्यों के भीतर लागू थी। हिट एंड रन के मामले में अब सजा 2 साल से बढ़ाकर 10 वर्ष तक कर दी गई है। 7 वर्ष से अधिक सजा वाले मामले में पुलिस हथकड़ी लगाने के लिए स्वतंत्र रहेगी। चुनिंदा अपराध में कोर्ट मुजरिम को सामुदायिक सेवा का काम भी सौंप सकती है। जैसे साफ-सफाई, पौध रोपण, वृद्धाश्रम या अस्पताल में सेवाएं देना आदि शामिल रहेगा।
राजद्रोह को हटाया गया, आतंकवाद पर सख्त
एक्शन नए कानूनों के तहत, जो भी शख्स देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीली गैस जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें आतंकवादी माना जाएगा। इसमें खास बात ये है कि अगर कोई आरोपी शख्स भारत से बाहर भी छिपा हुआ है तो भी उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। अगर वो 90 दिनों के भीतर कोर्ट में पेश होने में विफल रहता है, तब भी केस चलेगा। ऐसे मामलों में, आरोपी शख्स की अनुपस्थिति में केस चलेगा और अभियोजन के लिए एक पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया जाएगा।
लड़कियों और बच्चों पर अपराध में सख्ती
नए कानून में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामलों का भी जिक्र है। दंड संहिता में नरम प्रावधानों का फायदा उठाने से आरोपी व्यक्तियों को रोकने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले को पॉक्सो के साथ जोड़ा गया है। ऐसे केस में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया है। गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
छेड़छाड़ वाली धारा बनी मानहानि की धारा
– धारा 302 हत्या के लिए सजा से संबंधित है। अब हत्या धारा 103 के तहत आएगी।
– नए कानून में धारा 302 स्नैचिंग से संबंधित है।
– आईपीसी की धारा 420 धोखाधड़ी का अपराध थी, लेकिन नए कानून में उतनी संख्या की धारा नहीं है। धोखाधड़ी भारतीय न्याय संहिता की धारा 316 के अंतर्गत आती है।
– अवैध जमावड़े की धारा 144 को अब धारा 187 कहा जाएगा।
– धारा 121, जो युद्ध छेड़ने, या युद्ध छेड़ने का प्रयास करने, या भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने से संबंधित है, अब धारा 146 कहलाएगी।
– धारा 499, जो मानहानि से संबंधित है, अब नए कानून की धारा 354 के अंतर्गत आती है।
– आईपीसी के तहत बलात्कार की सजा से संबंधित धारा 376, अब धारा 63 है। नए कानून के तहत, धारा 64 सजा से संबंधित है, जबकि धारा 70 सामूहिक बलात्कार के अपराध से संबंधित है।
– आईपीसी की धारा 124-ए, जो राजद्रोह से संबंधित है, अब नए कानून के तहत धारा 150 के रूप में जानी जाती है।
1- भारतीय न्याय संहिता, 2023: भारतीय दंड संहिता, 1860 का स्थान लेगा। राजद्रोह को हटा दिया गया है लेकिन अलगाववाद, विद्रोह और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के खिलाफ कार्य करने वाले व्यक्तियों को दंडित करने के लिए इसमें एक नया प्रावधान राष्ट्रद्रोह पेश किया गया है। नाबालिगों से सामूहिक बलात्कार और मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
2- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: यह सीआरपीसी, 1973 का स्थान लेगा।इसमें मामलों की तय समय में जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देने का प्रावधान है। यौन उत्पीड़न पीड़ितों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग को अनिवार्य किया गया है।इसके साथ-साथ अपराध में शामिल पाए जाने के बाद संपत्ति की कुर्की के लिए नया प्रावधान जोड़ा गया है।
3- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023: यह कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेगा। अदालतों में पेश और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों के मैजेस को शामिल किया गया है। केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगा।
19/05/2024



