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ओबीसी के आरक्षण का प्रतिशत तय करने हाईकोर्ट में फाइनल सुनवाई आज

वर्ष 2019 में 15 महीने के लिए लागू हुआ था ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण - चीफ जस्टिस सुरेशकुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन करेेंगे 64 रिट पिटीशन पर सुनवाई

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सागर। अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के लिए मप्र में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए या नहीं। इस मामले पर आज गुुरुवार को चीफ जस्टिस सुरेशकुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। न्यायमूर्तिगण आरक्षण के समर्थन व विरोध में दाखिल 64 रिट पिटीशन पर सुनवाई करेंगे। बता दें कि राज्य में फिलहाल सरकारी नौकरियों में ओबीसी के अभ्यर्थियों समेत शैक्षणिक संस्थानों में 14 प्रतिशत आरक्षण लागू है। इस मामले में ओबीसी के लिए लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे मप्र पिछड़ा वर्ग अधिवक्ता कल्याण संघ के वरिष्ठ वकील और इस मामले के इंटरवीनर एड. रामेश्वरप्रताप सिंह के अनुसार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ढाई दशक पहले ओबीसी के पक्ष में 27 प्रतिशत आरक्षण घोषित किया था। लेकिन बाद की भाजपा सरकार ने इसका लाभ ओबीसी को नहीं दिया। इसके बाद वर्ष 2019 में जब पुन: कांग्रेस की सरकार बनी तो ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया। तत्कालीन सरकार ने मार्च 2019 में कानून बनाकर ओबीसी के लिए यह व्यवस्था दी। लेकिन इसी वर्ष हाईकोर्ट जबलपुर में पीजी नीट में ओबीसी को दिए जा रहे इस आरक्षण के विरुद्ध एक पिटीशन दाखिल हुई। जिसमें हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया कि पीजी नीट में 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। इस समय तक राज्य में भाजपा सरकार काबिज हो चुकी थी तो उन्होंने इस आदेश को राज्य की संपूर्ण नौकरी, भर्तियों व रिक्तियों समेत शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश आदि पर लागू कर दिया। एड. रामेश्वरप्रताप सिंह के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुक्रम में मप्र शासन को अनेकों बार हाईकोर्ट में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को जस्टिफाई करने पत्र भी लिखे गए। लेकिन इस संंबंध में विशेष कार्रवाई नहीं की गई।

17/04/2025

 

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