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बड़ा सवाल: बस स्टेण्ड की खाली जगह पर अब क्या बनेगा ?

बस स्टैण्ड की शिफ्टिन्ग के दूसरे दिन ही पूरी जमीन को लोहे के एंगल से बेल्ड कर घेर दिया गया है।

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सागर। प्राइवेट और मुख्य बस स्टैण्ड नए जगहों पर शिफ्ट हो चुके हैं। बदले में 5 एकड़ से ज्यादा जमीन खाली हुई है। लेक व्यू फ्रंट वाली इस भूमि को जमीनों के तिजारती (कारोबारी) बड़ी हसरतों से देख रहे हैं। कीमत 300 करोड़ + आंक रहे हैं। इधर अफवाहों का बाजार गरम है। चर्चा है कि यहां राजधानी की एक मॉल चेन आ रही है। बोला जा रहा है कि पिछली सरकार के जमाने में ही इस बावत सौदा हो चुका है। उधर पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद दादा लक्ष्मीनारायण यादव ने इस जमीन को शासकीय एक्सीलेंस कॉलेज को सौंपने का सुझाव दिया है। जबकि जिला प्रशासन ने रातों-रात नगर निगम के मार्फत प्राइवेट बस  स्टैण्ड परिसर को लोहे के एंगिल से बेल्ड कर दिया है। डर है कि यहां कोई नया टपरा मार्केट या बसों का यार्ड डेवलप न हो जाए।

sagarvani.com ने इस विषय पर कलेक्टर दीपक आर्य से चर्चा की। उन्होंने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा कि फिलहाल यह जमीन खाली है। भविष्य में इसका उपयोग क्या होगा यह स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकार पर निर्भर करता है। जमीन को लेकर जो भी बातें चल रही हैं। वे सिवाए अफवाह के कुछ नहीं है। देर-सबेर यहां के छोटे- बड़े दुकानदारों को भी अन्यत्र शिफ्ट किया जाएगा।

सरकार बंद कर चुकी है जमीन बेचने वाला विभाग

दोनों बस स्टैण्ड्स की यह जगहें किसी कार्पोरेट कंपनी, कॉमर्स कंपनी या मॉल चेन को बेची जाए। फिलहाल यह संभावना शून्य है। कारण ये है कि डॉ. मोहन यादव की नवगठित सरकार ने आते ही लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग खत्म कर दिया था। बता दें कि इस विभाग के जरिए तत्कालीन शिवराज सिंह सरकार ने प्रदेश भर की अनुपयोगी सरकारी भूमि और इमारतों को बेचा था। शहर में इस विभाग के जरिए तिली तिराहा के पास स्थित पुराना डिपो ऑफिस व कर्मचारी आवास वाली जमीन बेची गई। इसी विभाग ने ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय के सामने एक कोटवार से वापस ली गई जमीन को बेचा था। इसी सूची में रहली, हटा, टीकमगढ़ के बस स्टैण्ड भी शामिल हैं।

बगीचे -नहर पर बना थे स्टैण्ड

शहरों के बीच ये दोनों बस स्टैण्ड करीब 35- 40 वर्ष पहले अस्तित्व में आए थे। इसके पहले शहर से गिनी-चुनी बसें शहनाई गार्डन के पास, गर्ल्स डिग्री कॉलेज के इस नए गेट ठीक बाजू से, कसाई मस्जिद के पास राहतगढ़ बस स्टैण्ड और कजलीवन मैदान के पास से बसें आती – जाती थीं। बसों की संख्या बढ़ी तो स्थाई बस स्टैण्ड की मांग उठी। तब पुराने पॉवर हाउस के बाजू में स्थित गंदे पानी से भरी नहर और टाउन हाल के बगीचे पर नजर गई। हलके विरोध के बाद बगीचा और नहर को खत्म कर उस पर बस स्टैण्ड बना दिए गए। वर्ष 2014-15 में मुख्य बस स्टैण्ड को हवाई अड्डे की तर्ज पर विकसित करने के लिए 8 करोड़ रु. का पैकेज दिया गया है। ये बात और है कि तत्कालीन सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने भूमिपूजन के अवसर पर मंच से ही कहा था निर्माण एजेन्सी PWD काम में लेट लतीफी के लिए कु-ख्यात है और हुआ भी वैसा ही। बस स्टैन्ड का कुछ नहीं हुआ और आज यहां से शिफ्ट तक हो चुका है।

मुख्य बस स्टैण्ड (फाइल फोटो)

16/05/2024

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