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लापता मानसिंह: सरकारी वकील को यही नहीं पता कि जांच एसआईटी ने की या एसटीएफ ने

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सागर। 9 साल से लापता मानसिंह पटेल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर डीजीपी मप्र ने बीते साल स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम(एसआईटी) गठित की थी। सीजेएम कोर्ट सागर में इस एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। जिसमें उन्होंने मानसिंह पटेल के गायब होने के मामले में अपनी तरफ से क्लोजर की टीप दी है। इसी क्लोजर रिपोर्ट को लेकर हाल ही में एक पक्षकार विनय मलैया और राजकुमारसिंह धनौरा ने पत्रकार वार्ता भी की। जिसमें उन्होंने एसआईटी की जांच रिपोर्ट व खात्मे की टीप पर सवाल उठाया है। बहरहाल सागरवाणी के पास मौजूद इस एसआईटी रिपोर्ट के सौएक पन्नों में एक तरफ मानसिंह को खोजने के प्रयासों का विस्तृत ब्योरा है तो वहीं मानसिंह के अचानक गायब होने की तात्कालिक वजहों पर भी रोशनी डाली गई है। इसके अलावा रिपोर्ट में फर्जी दस्तखत से लेकर पहले पुलिस रिपोर्ट करना, याचिका लगाना फिर अचानक उन्हें वापस लेने जैसी घटनाओं का भी जांच-विश्लेषण है। सागरवाणी इसी एसआईटी रिपोर्ट पर आधारित यह पहली रपट पेश कर रहा है। जिसमें बताया गया है कि मप्र सरकार के गृह विभाग जिसके अधीन यह एसआईअी गठित हुई थी। उसके ही अधीन एक अन्य विभाग लोक अभियोजन कार्यालय के संबंधित सहायक लोक अभियोजन अधिकारी न्यायालय में इस प्रकरण को लेकर कितना गंभीर रहे। बानगी इतने से समझी जा सकती है कि उन्हें यह ही नहीं पता की मानसिंह पटेल की गुमशुदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन किसने लगाई और डीजीपी ने किसे इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी। दरअसल मामला ये है कि बीते साल 16 दिसंबर को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सीजेएम श्री केपीसिंह के कोर्ट में पेश की। जिसकी एक नकल पिटीशनर्स में से एक विनय मलैया ने 17 फरवरी को कोर्ट में आवेदन कर मांगी। जिसका विरोध करने के लिए शासन की ओर से सहायक लोक अभियोजक मनोज पटेल कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने लिखित आपत्ति ली। यही आपत्ति बताती है कि वे इस प्रकरण के बारे में कितना जानते हैं या कितना गंभीर हैं। उन्होंने जो लिखित आपत्ति ली, उसमेें सीजेएम कोर्ट को संबोधित आवेदन में लिखा कि, फरियादी सीताराम पटेल ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पिटीशन पेश की थी। जिसके बाद यह जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर की गई। विनय मलैया का इस प्रकरण से कोई संबंध नहीं है, इसलिए उन्हें नकल नहीं दी जाए। जबकि वास्तविकता ये है कि सीताराम पटेल ने ऐसी कोई पिटीशन दाखिल नहीं की। उक्त पिटीशन ओबीसी महासभा, विनय मलैया व अन्य दाखिल की थीं। हालांकि अगली सुनवाई जो 24 फरवरी को हुई। जिसमें सीजेएम श्रीकेपीसिंह ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में विनय मलैया द्वारा दाखिल स्पेशल लीव पिटीशन का उल्लेख है। इसलिए उन्हें नकल प्राप्त करने  का अधिकार है। बात यहीं खत्म नहीं हुई। एडीपीओ मनोज पटेल, मानसिंह की खोजबीन के लिए गठित एसआईटी के अस्तित्व को लेकर भी भ्रमित रहे। उन्होंने आपत्ति वाले उपरोक्त आवेदन में लिखा कि डीजीपी ने मानसिंह की खोजबीन की जिम्मेदारी एसटीएफ को दी है। जबकि ये सर्वविदित है कि एसटीएफ एक अलग विंग है। जो एसएएफ के अंतर्गत विशेष तरह के अपराध, व्यापक गड़बड़ियों या राज्य व राष्टï्र विरोधी गतिविधियों के मामले में जांच करती है। जबकि एसआईटी वह जांच समूह है। जो न्यायालय के निर्देश पर या पुलिस आला अधिकारी स्वमेव विशेषज्ञ पुलिस अधिकारियों को शामिल कर बनाया जाता है। एसआईटी की एक समय सीमा होती है। जो जांच पूरी करते ही खत्म हो जाती है यानी अधिकारी अपने-अपने मूल पद व जिम्मेदारियों का निर्वहन करने लौट जाते हैं। इसलिए मानसिंह की खोजबीन की जवाबदेही एसआईटी को दी गई थी।

08/04/2025

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