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नैनागिर में विवाह परिचय सम्मेलन: उम्रदराज 1000 लड़कों के मुकाबले लड़कियां पहुंची महज …. ?

आयोजकों ने कहा, ये सम्मेलन समाज को आइने की तरह है, अनूपपुर के चेतना संगठन ने किया था यह विशेष सम्मेलन,

सागर। बंडा तहसील मुख्यालय से करीब 20 है किमी दूर जैन समाज ने उम्रदराज लड़के-लड़कियों का दो दिवसीय विवाह पूर्व परिचय सम्मेलन किया। लड़कों की न्यूनतम आयु सीमा 34 वर्ष एवं लड़कियों की 32 वर्ष वाले इस दो दिनी विशेष सम्मेलन के नतीजे चौंकाने वाले रहे। सम्मेलन में जहां एक ओर 1000 लड़कों ने जीवनसाथी की तलाश में अपना परिचय दिया। वहीं उनके सामने महज 56 लड़कियों ने परिचय दिया। आयोजक मंडल के अनुसार लड़कियों के पंजीयन की संख्या करीब 200 ही रही। जबकि लड़कों की संख्या 1300 से अधिक रही। इनमें भी कई ऐसे थे, जिनकी उम्र 40-50 वर्ष तक थी। सीमित व्यवस्थाएं होने के कारण इनमें से उन्हीं लड़कों को अवसर दिया गया, जिनकी उम्र अधिकतम 40वर्ष तक थी। इसकी भी एक बड़ी वजह ये थी कि अधिकांश बायोडाटा के अनुसार लड़कियों की उम्र 36-38साल ही थी। ऐसे में इन 45- 50 वर्षीय लोगों के लिए उनकी जोड़ की लड़कियां कहां से लाते।

मार्च क्लोजिंग समेत कई अन्य कारणों से कम रही संख्या

इस पचिय सम्मेलन का आयोजन कोतमा जिला अनूपपुर के चेतना संगठन ने किया था। स्थानीय गोलापूरव महासभा के बैनर तले इस सम्मेलन की रूप रेखा करीब ४ साल से चल रही थी। जो अब जाकर जमीन पर आई। संगठन के सदस्य वीरेंद्र जैन ने बताया कि हम लोगों को पहले से ही अंदाजा था कि लड़कियों की संख्या कम रहेगी। रही बात सम्मेलन में इतनी कम संख्या में आने की तो उसका एक बड़ा कारण मार्च क्लोजिंग रहा। अधिकांश नौकरीपेशा या प्रोफेशनल्स लड़कियां वित्त वर्ष के आखिर में वर्क लोड के कारण नहीं आ पाईं। उनके व्यवसायी अभिभावकों के साथ भी यही समस्या रही। जैन ने कहा कि अगला सम्मेलन ऐसे समय आयोजित किया जाएगा ताकि पंजीयन कराने वाले अधिक से अधिक संख्या में शामिल हो सकें।

सम्मेलन ने जता दिया देश भर में एक से हालात

नैनागिर में आयोजित इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए मप्र के अलावा छत्तीसगढ़, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्टï्र, यूपी समेत अन्य राज्यों से बढ़ी उम्र के युवक पहुंचे। उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि हम लोग तो समय रहते विवाह के लिए तैयार थे लेकिन बात नहीं बन पाई। सभी का लगभग एक ही जवाब था कि अगर व्यवसायिक रूप से बहुत सुदृढ़ हैं तो ज्यादा समस्या नहीं आती। लेकिन आप निम्न मध्यमवर्ग व्यवसायी परिवार हैं तो साधारणत: उन्हें अभिभावक अपनी लड़कियां देने तैयार नहीं होते। उनका प्रयास होता है कि वह और भी अच्छे घराने में जाएं। इसी प्रवृत्ति के कारण हम लोग कुंवारे रह गए। कई ने यह बात भी मानी कि लड़कियों के उच्च शिक्षित और खासकर आईटी, इंजीनियरिंग जैसे पेश्ेा में जाने के बाद वह छोटे शहर से होने बावजूद वापस वहीं पर शादी नहीं करना चाहती हैं। उनका कहना होता है कि हम लोगों के लायक यहां जॉब के चांस लगभग नहीं के बराबर रहेंगे। नतीजतन हम लोगों के विवाह नहीं हो पाए। आयोजकों के अनुसार कमोवेश देश के लगभग हिस्सों में यही हालात हैं। 

29/03/25

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