स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के लिए खरीदे बर्तनों से आ रही भ्रष्टाचार की आवाज !
नियमों को ताक पर रखकर जिले के आधा दर्जन बीआरसी ने खर्चे 1.80 करोड़ रु.! नरयावली विधायक लारिया ने विधानसभा में लगाया सवाल


ग्लास ऐसे कि बच्चे भी पिचका दें, 70 बच्चों के लिए घरेलू कढ़ाई
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण द्वारा बीते साल जब यह राशि जारी की गई थी। तब इसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि बर्तनों की खरीद संबंधी प्रक्रिया मध्यान्ह भोजन पकाने वाले स्व-सहायता समूह व शाला विकास समिति द्वारा संयुक्त रूप से की जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिला पंचायत एमडीएम शाखा ने बर्तन खरीदी संबंधी राशि सीधे बीआरसी के खाते में डाल दी। जिसके बाद संबंधित बीआरसी ने यह राशि घटिया व अनुपयोगी साइज के बर्तनों की खरीद में खर्च कर डाली। उदाहरण के लिए राहतगढ़ ब्लॉक के बीआरसी जगदीश कुर्मी ने 12-15 रु. में मिलने वाले स्टील गिलास 25 रु. के मान से खरीद डाले। जबकि गिलासों की क्वालिटी ऐसी है कि उन्हें स्कूल के बच्चे तक पिचका सकते हैं। इसी तरह से
एल्युमीनियम से बनी कढ़ाई इतनी छोटी साइज की खरीदी है। जिसमें महज 4-6 लोगों का खाना पक सकता है। जबकि स्कूलों में औसतन छात्र संख्या 50 से 100 तक है।
विक्रेता द्वारा स्पष्ट लिखे रेट से कहीं महंगे खरीदे बर्तन
बर्तनों की साइज व क्वालिटी के अलावा उनकी कीमत में जमकर धांधली की गई है। उदाहरण के लिए पांच लीटर का एक कुकर मिस्टर कुक नामक कंपनी का खरीदा गया। जिस पर 1850 रु. रेट दर्ज है। बीआरसी कुर्मी ने इसे 1800 रु. में खरीदा है। जबकि बाजार में फुटकर भाव में यह 1500-1600 रु. में
आसानी से मिल रहा है। इस तरह से स्टील जग पर विक्रेता ने 210 रु. कीमत खुद ही डाल रखी है लेकिन 265 रु. में खरीदा गया। स्टील की टंकी की खरीदी में तो जमकर झोल है। विक्रेता ने खुद ही टंकी पर 630 रु. कीमत डाल रखी है लेकिन बीआरसी कुर्मी ने इसकी कीमत 1120 रु. चुकाई है। खंड वाली जो थाली, 70-80 रु. में बाजार में आसानी से मिल रही हैं, उनकी कीमत 110 रु. दी गई है। कुल मिलाकर अधिक से अधिक 7-8 हजार रु. की कीमत के क्वालिटीविहीन और अनुपयोगी बर्तनों की कीमत 20 हजार रु. चुकाई गई।
खरीदी स्वयं की और बिल हेड मास्टर के नाम का बनवाया
बर्तन खरीदी में भ्रष्टाचार को इतने से भी समझा जा सकता है कि राहतगढ़ के बीआरसी जगदीश कुर्मी ने ब्लॉक की 50-60 स्कूलों के लिए स्वयं ही दो अलग-अलग फर्म से 15 हजार रु. और 20 हजार रु. के मान से बर्तन तो खरीदे लेकिन उनके बिल स्कूल के हेड मास्टरों के नाम से बनवाए। ताकि भविष्य में कोई जांच या आपत्ति आए तो संबंधित जांच के लपेटे में आएं। उदाहरण के लिए एक बिल नरयावली विस क्षेत्र के जरारा गांव के प्रधानाचार्य संजय बिल्थरे के नाम से बनवाया गया है। जबकि पहले ही बताया जा चुका है कि यह राशि बीआरसी द्वारा नहीं बल्कि शाला विकास समिति व स्व सहायता समूह के माध्यम से खर्च होना थी। ताकि वे आवश्यकतानुसार बर्तन खरीद सकें। इधर एक जानकारी ये भी मिली है कि सागर को छोड़कर अन्य सभी ब्लॉक के बीआरसी ने यह राशि खर्च कर डाली है।
सभी बीआरसी ने राहतगढ़ वाले पैटर्न पर बर्तन खरीदे और बिल संबंधित स्कूलों के हेड मास्टरों के नाम बनवा दिए। यही बीआरसी इन हेड मास्टरों पर बर्तन रिसीव करने के लिए दबाव बना रहे हैं। जरारा के हेडमास्टर बिल्थरे ने इस तरह के बिल के आधार पर बर्तनों की आधिकारिक रिसीविंग साइन करने मना कर दिया है।
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एक ही परिवार की दो फर्म से खरीदे इसलिए रेट भी लगभग एक
राहतगढ़ बीआरसी कुर्मी को बर्तन खरीदी के लिए 50 लाख रु. से अधिक की राशि मिली थी। जिससे उन्होंने शहर की दो बर्तन विक्रेता फर्म, जो एक ही परिवार की हैं। उनसे खरीदी कर डाली। इस गड़बड़ी को ऐसे भी समझा जा सकता है कि शहर के दो अलग-अलग इलाकों में खुली इन बर्तन दुकान के रेट भी लगभग एक समान हैं। बीआरसी ने जिन फर्म से बर्तन खरीदे हैं। उनके राजश्री पात्र हाउस फन्नुसा कुंआ तीन बत्ती व अर्हम श्री, स्मार्ट बार के बाजू में लिंक रोड हैं। माना जा रहा है कि इस खरीदी में संबंधित फर्मों के जरिए जमकर कमीशनखोरी की गई है।
डीपीसी बोले, मुझे तो पता ही था कि बीआरसी को कोई राशि मिली है
बर्तन खरीदी संबंधी राशि जिला पंचायत की एमडीएम शाखा ने सीधे बीआरसी के खातों में अंतरित की। जिसके बारे में मेरे पास कोई लिखित जानकारी नहीं है। नरयावली विधायक द्वारा विधानसभा सवाल लगाने पर जानकारी जरूर संकलित की गई। बजट व खरीद प्रक्रिया संबंधी अन्य जानकारी जिपं की एमडीएम शाखा या संबंधित बीआरसी से ली जा सकती है।
– डॉ. गिरीश मिश्रा, डीपीसी, सागर
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