आखिरकार…. सागर डिविजन ने रच ही दिया शर्मनाक इतिहास, इंदौर से एक पारी, 834 रन से हारे
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सागर। इंदौर में चल रहे एमवाय मेमोरियल टूर्नामेंट में सागर की टीम ने जिस तरह से बीते चार दिन प्रदर्शन किया। उससे लगभग तय हो गया था कि सागर के आयतित क्रिकेटर्स हार का नया इतिहास लिखेंगे। हुआ भी यही। सागर डिविजन यह पांच दिवसीय टेस्ट मैच एक पारी और 834 रन से हार गया। बताया जा रहा है कि क्रिकेट में इससे कम शर्मनाक हार करीब 100 साल और चंद वर्ष पहले हुइंर् थीं। जानकारों के अनुसार 1928- 29 में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट मैच में 675 रन से हरा दिया था। जबकि तीन साल पहले ही वर्ष 2021- 2022 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच में मुंबई ने झारखंड को 725 रन से हराया था। मैच का आखिरी स्कोर यूं रहा, सागर ने पहली पारी में 31 ओवर खेलते हुए कुल 109 रन बनाए। जबकि इंदौर नेे पहली पारी में 1184 रन बनाकर घोषित कर दी। सागर दूसरी पारी में 234 रन बनाकर ऑल आउट हो गया। इस तरह से इंदौर ने सागर को एक पारी और 834 रन से हरा दिया। यह मैच चौथे दिन ही समाप्त हो गया। इंदौर की तरफ से आकाश राजावत ने मैच में 10 विकेट लिए। करण टहलानी ने 361 रन बनाए। सागर की तरफ से दूसरी पारी पारी में सहजदीप बत्रा जो मूलत: सागर डिविजन के खिलाड़ी हैं, वही 72 रन बनाने में कामयाब रहे। बाकी खिलाड़ी अधिकतम ३९ रन से आगे नहीं बढ़ पाए। मैन ऑफ द मैच टहलानी को चुना गया।
सागर के मूल खिलाड़ी ने नाक बनाई, आयतितों ने सिर झुका दिया
इस मैच की दूसरी पारी में कुछ हद तक व्यक्तिगत नाक बचाने में सागर डिविजन के मूल खिलाड़ी सहजदीप बत्रा कामयाब रहे। टीकमगढ़ के इस खिलाड़ी ने 72 रन बनाए। जबकि सिलेक्टर्स द्वारा होशंगाबाद, जबलपुर, भोपाल, इंदौर आदि डिविजन से चुने गए अन्य सभी खिलाड़ी बुरी तरह से नाकाम रहे। इस बुरी हार से नाराज शहर के क्रिकेट प्रेमियों का कहना था कि अगर कप्तान ने बैंच पर बैठे सागर के खिलाड़ियों को अंतिम एकादश में जगह दे दी होती तब शायद इतनी बुरी हार नहीं होती। यहां बता दें कि किसी भी डिविजन में अधिकतम तीन खिलाड़ी दूसरे डिविजंस के खेल सकते हैं लेकिन सागर में वर्तमान में 7 से अधिक खिलाड़ी दूसरे डिविजन से खेल रहे हैं। इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि सागर में अच्छे खिलाड़ी नहीं हैं। जबकि सच्चाई ये है कि डिविजन में क्रिकेटर्स को निखारने का काम ही नहीं हो रहा। लोग जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं हैं।

गैर-स्तरीय क्रिकेटर जब सिलेक्टर्स होंगे तब ऐसा ही होगा
सागर की क्रिकेट टीम की इस दुर्दशा के एक नहीं, कई कारण हैं। उनमें सबसे बड़ा टीम के चयन में लापरवाही बरतना। सूत्रों के अनुसार इस समय चीफ सिलेक्टर एवं कोच प्रवीण लोकरस की अगुवाई में आधा दर्जन करीब सिलेक्टर्स हैं। जिनमें से दो-तीन तो ऐसे हैं। जिन्होंने जिला, डिविजन या विवि लेविल पर भी क्रिकेट नहीं खेली। लेकिन इन लोगों के जिम्मे टीम का चयन करना होता है। उनमें सबसे पहला नाम रघुनंदन त्रिपाठी का है। दूसरा नाम राजीव बिल्थरे का है। ये भी किसी भी स्तर पर नहीं खेले थे। तीसरा नाम डॉ. सौरभ शुक्ला का है। वह केवल अंडर-14 स्तर पर डिविजन से खेले। जबकि सिलेक्टर्स के रूप में काम करने के लिए सागर में बड़ी संख्या में स्तरीय क्रिकेटर्स हैं। जिनमें मप्र की तरफ से खेल चुके फारुख खान, सचेंद्र भट्ट, मेहमूद खान, शांतनु त्रिपाठी, साजिद खान, रेहान तारिक सरीखे कई नाम हैं। यहां बता दें कि इस मैच के लिए टीम का सिलेक्शन प्रवीण लोकरस ने किया था। वह कोच कभी भी भूमिका में थे। टीम मैनेजर, सागर डिविजन के कार्यवाहक सचिव पुष्पेंद्रसिंह रॉकी थे।
मेरी आत्मा कितनी दुखी है, यह मैं ही जानता हूं: मुकेश नायक
पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री एवं मप्र कांग्रेस कमेटी की मीडिया सेल के संयोजक मुकेश नायक सागर में क्रिकेट की दुर्दशा पर ये कहना है कि ये तो मेरी आत्मा ही जानती है कि मैं भीतर से कितना दुखी हूं। 1980 के दशक में सागर डिविजन से क्रिकेट खेलने वाले नायक मप्र के एक स्तरीय क्रिकेटर रहे हैं। वे मप्र की रंजी टीम के सदस्य के अलावा तत्कालीन बंबई जिमखाना क्लब से बतौर विकेटकीपर कई बार मैदान में उतरे। अंतर विश्वविद्यालयीन क्रिकेट में भी उनका काफी दबदबा रहा। नायक का कहना है कि खेलों में राजनीतिज्ञों की मौजूदगी में कोई बुराई नहीं हैं लेकिन ये भी देखा जाना चाहिए कि वह उस खेल को कभी खेले भी हैं या नहीं। जब ऊपर लेविल पर यह सब हो रहा है तो चयनकर्ता भी गैर-स्तरीय क्रिकेटर्स बन रहे हैं। इसी का परिणाम है कि सागर जैसी क्रिकेट उर्वरा जमीन पर अब सिवाए हार और शर्म के कुछ नजर नहीं आ रहा।
01/05/2024



