केबिनेट मंत्री के विस क्षेत्र में रेपिस्ट-हत्यारे और शिकारी, कानून की पकड़ से बाहर

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सागर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के केबिनेट में संभाग से इकलौते मंत्री गोविंदसिंह राजूपत के विस क्षेत्र सुरखी में कुछ ठीक नहीं चल रहा। यहां एक के बाद एक, दो गंभीर आपराधिक वारदातें हुईं। लेकिन 10-12 दिन गुजरने के बाद भी आरोपी नहीं धरे गए। जिनमें पहले में 8 अप्रैल की रात को जैसीनगर थाना क्षेत्र के चांदौनी गांव से एक 4 साल की मासूम के अपहरण के बाद उसका रेप कर हत्या कर दी गई। दूसरी वारदात 9-10 अप्रैल के दरमियान की है। जिसमें बिलहरा-कुसुमगढ़ गांव में शेड्यूल-1 के संरक्षित वन्य प्राणी मादा तेंदुआ को फंदा लगाकर मार डाला गया। इन दोनों ही मामलों दो बातें सामने आई हैं। पहली ये कि बच्ची से रेप के मामले में पुलिस अज्ञात कारणों से आरोपी पर सीधे तौर पर हाथ नहीं डाल रही। जबकि दूसरी यह कि शिकार के मामले में वन विभाग, उन लोगों पर हाथ डालने से कतरा रहा है। जिनकी शह पर यह शिकार किया गया। इधर मंत्री राजपूत समेत उनका पूरा परिवारजन इतने ” जी – जान ” से आम चुनाव में जुटे हैं कि अब तक इस परिवार को ढांढस बंधाने, आरोपी की जल्द गिरफ्तारी का आश्वासन देने सरीखे शगल करने नहीं पहुंच पाए हैं।
मासूम के रेप-हत्या का संदेही पकड़ने नौजवानों से लेकर बुजुर्गों की डीएनए सैम्पिलिंग
सागर। जैसीनगर के चांदौनी गांव में मिली मासूम बच्ची के शव के मामले में पुलिस ने गांव के 7 लोगों के डीएनए सैम्पिल एफएसएल सागर भेजे हैं। इन लोगों में नवयुवकों से लेकर बुजुर्ग शामिल हैं। ये इस बच्ची के रिश्तेदार और पड़ोसी हैं।
जैसीनगर थाने से मिली जानकारी के अनुसार सेम्पिल के साथ विभागीय चिट्ठी भी भेजी गई है कि उपरोक्त सेम्पिल का परीक्षण जल्द से जल्द कर रिपोर्ट दी जाए। पुलिस ने बच्ची के पड़ोसियों समेत परिजन से पूछताछ की थी। लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। बता दें कि 10 दिन पहले यानी 8 अप्रैल की रात को चांदौनी गांव के एक परिवार की चार वर्षीय मासूम रात को सोते समय गायब हो गई थी।
बेहद संदेहास्पद हालात, फिर भी पुलिस असहाय
यह मामला अपने आप में बेहद संदेहास्पद है, क्योंकि एक तरफ तो यह बच्ची रात के समय अचानक गायब हो जाती है। जिसकी भनक उसके मां-बाप को समय रहते नहीं मिलती है। यहां तक कि पास ही में मौजूद पालतू कुत्ता भौंकता तक नहीं है। उस पर से अगले दिन जब गांव वालों से लेकर पुलिस आदि उसकी खोजबीन करने में जुट जाते हैं। तभी कोई अज्ञात व्यक्ति मौका देखकर इस बच्ची का शव रिश्तेदार के खेत में डलवा देता है।
साफ है कि इस घटनाक्रम में परिवार का ही कोई करीबी व्यक्ति शामिल है। ऐसी भी खबर है कि पुलिस इस मामले में संदेही की पहचान कर चुकी है लेकिन वह बगैर वैज्ञानिक सुबूत के उससे कठोरता से पूछताछ नहीं कर पा रही है। अब डीएनए सेम्पिलिंग से आस है।
तेंदुआ का शिकार: रसूखदारों से परहेज, हरवाहे से चल रही पूछताछ
सागर। बिलहरा-कुसुमगढ़ इलाके में 10 अप्रैल एक मादा तेंदुआ का शव मिला था। इस तेंदुआ की मौत एक खेत में लगाए गए जीआई तार के फंदे में फंसने से हुई थी। शुरुआत में वन समेत ग्रामीण सूत्रों ने बताया था कि यह फंदा,जंगली सुअरों को फांसने के लिए लगाया गया था। लेकिन भीतर की बात ये है कि तेंदुए को फांसने के लिए ही यह फंदा लगाया गया था। दरअसल जिस तेंदुए का शव मिला है। उसके आसपास के खेत के मालिक के मवेशी को इस तेंदुए ने मार कर खा लिया था। जिसके बाद से खेत स्वामी जो कोई ठाकुर हैं, उन्होंने यह फंदा लगवा दिया! जिसमें यह मादा तेंदुआ फंस गई और उसकी जान चली गई। बता दें कि तेंदुए का पेट इस फंदे में अटक गया और वह मौके से भाग नहीं सकी। नतीजतन भूख-प्यास से मर गई।
हरवाहे को हिरासत में लेने की चर्चा, असल किरदारों से दूरी
स्थानीय वन अमले ने पटेल समुदाय के एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। यह व्यक्ति उस खेत पर काम करता था, जहां पर मादा तेंदुए का शव मिला था। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में खेत मालिकों की भी अहम भूमिका है और वे अंडरग्राउंड हो चुके हैं। वन अमला राजनीतिक रसूखबाजी के चलते इन लोगों पर हाथ डालने से डर रहा है। वन विभाग ने केवल हरवाह, मजदूर सरीखे लोगों को टारगेट बना रखा है। इस मामले में डीएफओ साउथ महेंद्रसिंह उईके से उनका पक्ष लेना चाहा तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। जबकि रेंजर रविसिंह एक विवाह कार्यक्रम में होने के कारण कुछ नहीं बता पाए।
20/04/2024



