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एनआरआई महिला को मृत बताकर मकान हड़पने वालों की पुलिस ने जांच शुरु की

फर्जी वसीयत और मृत्यु प्रमाण-पत्र के तार सागर से जबलपुर तक फैले हैं,राजस्व विभाग ने गोपालगंज पुलिस थाने को सौंपे है प्रकरण के समस्त दस्तावेज

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सागर। बीते मार्च में मकरोनिया सर्किल में राजस्व संबंधी एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। जिसमें कुछ लोगों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में निवासरत बुजुर्ग महिला छाया जैन को षड़यंत्रपूर्वक मृत बताकर उनके करोड़ों रुपए के मकान का नामांतरण अपने पक्ष में करा लिया था। ताजा घटनाक्रम के तहत अब इस मामले की जांच गोपालगंज थाना प्रभारी के मातहत शुरु हो गई है। पिछले महीने जिला प्रशासन की ओर से इस फर्जीवाड़े की जांच कर एफआईआर करने की एक चिट्ठी गोपालगंज थाने भेजी गई थी। बता दें कि इस फर्जीवाड़े का खुलासा, आरटीआई कार्यकर्ता पंकज सिंघई की सक्रियता के बाद हुआ था। कमिश्नर डॉ. वीरेंद्रसिंह रावत ने मामले में प्रथम दृष्टया नगर पालिका सीएमओ रीता कैलासिया, अपर तहसीलदार दुर्गेश तिवारी और एसडीएम विजय डेहरिया ने पटवारी विनोद रजक को सस्पेंड कर दिया था।
सदर, गोपालगंज के लोगों समेत जबलपुर निवासी विधवा की भूमिका संदिग्ध
उप-नगर मकरोनिया के नेहानगर में 3200 वर्गफीट एरिया में बने इस करोड़ों रुपए के आलीशान मकान को हड़पने की स्क्रिप्ट किसने लिखी। फिलहाल इसका खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन इस कांड में जिन लोगों ने अहम भूमिकाएं निभाईं। उनमें एक किरदार जबलपुर निवासी महिला नेहा उर्फ नीलू जैन पति स्व. मुकेश जैन निवासी गढ़ा तहसील, जिला जबलपुर है। नीलू के नाम पर इस मकान का नामांतरण किया गया था। नेहा, द्वारा अपर तहसीलदार दुर्गेश तिवारी के कोर्ट में शपथ-पत्र समेत एक वसीयत पेश की गई। जो फर्जी साबित हुई। इस वसीयत पर दो गवाह गोविंद बारोलिया उम्र 42 वर्ष निवासी गांव पिड़रुआ और बबलेश गोस्वामी उम्र 52 वर्ष निवासी झंडा चौक गोपालगंज के दस्तखत हैं। इन लोगों ने अपर तहसीलदार के कोर्ट में शपथ पूर्वकर इस वसीयत को सत्य बताते हुए प्रमाणित किया था। एक अन्य किरदार, मकरोनिया का वह पार्षद है, जिसने अमेरिका में निवासरत छाया जैन पति स्व. वेदप्रकाश जैन को मृत बताते हुए उसके मृत्यु प्रमाण-पत्र की कार्रवाई को आगे बढ़वाया था। जांच के दायरे में वे व्यक्ति भी आ सकते हैं। जिन्होंने पटवारी के पंचनामा में यह लेख कराया है कि मकान की स्वामिनी छाया जैन का निधन 24 दिसंबर 2007 में हो गया था। इस मामले में सदर निवासी दो-एक लोगों की भी अहम भूमिका है।
वीडियो कॉल पर बुजुर्ग बोली थी, अभी हम जिंदा हैं…..
करोड़ों रुपए के मकान को हड़पने के लिए रचा गया यह फर्जीवाड़ा शायद कभी सामने नहीं आता। वह तो गनीमत रही कि इस कांड की भनक, अमेरिका में निवासरत छाया जैन के भोपाल निवासी भाई जिनेंद्र जैन को मिल गई। उन्होंने लिखित में आपत्ति दर्ज कराई। अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने अमेरिका में निवासरत बुजुर्ग छाया जैन से कलेक्टर दीपक आर्य की वीडियो कॉल पर बात कराई। उन्होंने कहा था कि “हम अभी जिंदा हैं”। हमारा मृत्यु प्रमाण-पत्र फर्जी है। इस घटनाक्रम के बाद तय हो गया कि नामांतरण में हद दर्जे का फर्जीवाड़ा किया गया है। इसके बाद एसडीएम के माध्यम से कलेक्टर द्वारा रिव्यू की अनुमति मिलने पर अपर तहसीलदार तिवारी ने उक्त नामांतरण रद्द कर दिया था। इसके बावजूद वे व अन्य निलंबन से बच नहीं पाए।

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