राजनैतिक और दलगत आस्था पर भारी शराब की ठेकेदारी!
नए-पुराने कांग्रेसी, पारुल साहू, ज्योति पटेल, कमलेश साहू और कमलेश बघेल के भाजपा में जाने की चर्चा

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सागर। कांग्रेसी सभाओं में अध्यक्षता करने से लेकर पानी पाउच बांटने वाले कैडर का भाजपा में एंटर होने का सिलसिला जारी है। जिले से इस कड़ी में एक बड़ा नाम अरुणोदय चौबे पूर्व विधायक, खुरई पूर्व में जुड़ चुका है। इसी सिलसिले में ताजा खबर ये है कि सागर शहर समेत अन्य दो विस क्षेत्र के बड़े कांग्रेसी भी पार्टी बदलने की फिराक में हैं। सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू केशरी का नाम इनमें सबसे ऊपर है। सशक्त नेत्री पारुल यह दल-बदल, मायके-ससुराल की खातिर कर रही हैं। ऐसी राजनीतिक हलकों में चर्चा है। बताया जा रहा है कि पारुल के ससुराल पक्ष ने पहली बार स्वतंत्र रूप से शराब दुकान के ठेके लिए हैं। काम ज्यादा बड़ा नहीं है लेकिन राजनीतिक-प्रशासनिक सहारा आवश्यक है। मायका पक्ष पहले से करोड़ों रुपए की लाइसेंस फीस बकाया के विवाद में उलझा है। उस पर से हाल ही में विदिशा में शराब के लंबे-चौड़े ठेके पार्टनरशिप में ले लिए हैं। उन्हें चलाने के लिए भी सपोर्ट चाहिए। हाल में पारुल के भाई सतीश साहु के स्वामित्व वाली पैराडाइज होटल के कम्पाउन्ड में संचालित लिकर एवं हुक्का बार पर पुलिस ने जोरदार छापामार कार्रवाई की। राजनीति में लाला बुद्धि रखने वालों के मुताबिक पारुल का यह दल-बदल हालिया तस्वीर के हिसाब से एक अच्छा निर्णय साबित हो सकता है। वह ओबीसी को विलांग करती हैं। फाइनेंसियल रूप से भी सक्षम हैं। देर-सबेर, महिला आरक्षण बिल लागू होगा तब उन्हें भाजपा टिकट पाने में ज्यादा मशक्कत नहीं करना पड़ेगी। दूसरा नाम सागर से ही एक अन्य नेता कमलेश बघेल का है। विधानसभा चुनाव-2023 के दौरान इन्होंने भी भाजपा का दामन, ( पार्टी में दम घुटने की शिकायत के चलते) छोड़ दिया था। तुरंत कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। इधर मार्च आया तो वे शराब के व्यवसाय – ठेकेदारी में तन-मन-धन से लग गए। नतीजे में उनकी ठेकेदारी का इलाका बढ़ गया। अब समस्या इन ठेकों को निर्विघ्न रूप से चलाने को लेकर आ रही है। बस स्टैंड से लेकर तिली तिराहा की दुकान का खुल्ला विरोध इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। इन्हीं सब बाधा-व्याधियों को देखते हुए बघेल ने बीजेपी में वापसी का मन बना लिया था। लेकिन शहर से वरिष्ठ विधायक शैलेंद्र जैन, बैरियर बन गए। बोल पड़े कि पार्टी में उन लोगों की दोबारा भर्ती नहीं होगी। जिन्होंने चुनाव के समय दल-बदल कर मेरा नुकसान किया। विधायक जी के मुताबिक उनके इस चश्में में बघेल फिट बैठ रहे हैं। चर्चा है कि फिर से भाजपा नेता बनने के लिए बघेल एक नए सूत्र को जमाने की कोशिश में हैं।
सागर विस क्षेत्र के अलावा पार्टी स्विच का यह स्टण्ट, मंत्री व पूर्व मंत्रियों वाली विधानसभाओं में ज्यादा देखने मिल रहा है। खबर है कि पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव के चुनावी अभयारण्य क्षेत्र रहली से दो-तीन कांग्रेसी दल-बदल संस्कार में शामिल होने की कोशिश में हैं। इनमें पहला नाम 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी रहे कमलेश साहू, दूसरा इस दफा प्रत्याशी रहीं इंजी. ज्योति पटेल और तीसरा धुंधला सा नाम पूर्व मंडी अध्यक्ष जीवन पटेल का है। तीनों ही कमलनाथ के करीबी हैं। चूंकि भाजपा की इस भर्ती रैली में ज्यादातर नाथ समर्थक शामिल हो रहे हैं, इसलिए इन नामों पर शक खाने का सवाल नहीं उठता। दूसरी ओर भार्गव इन लोगों की इंट्री का कतई समर्थन करने तैयार नहीं हैं। बातचीत-चर्चा में बोलते हैं कि जिन लोगों से मैं लगातार लड़ता आ रहा हूं। उन्हीं को अब कैसे अपने साथ खड़ा कर लूं। जबकि भीतर की बात ये है कि मंझे हुए नेता भार्गव यह बात अच्छी तरह से समझते हैं कि इन लोगों के आने से यहां की बीजेपी में ओबीसी, महिला फैक्टर मजबूत होगा। परिणामत: उन्हें या बेटे- बहु को करीब 50 साल की हो चुकी राजनीतिक विरासत से हाथ धोना पड़ सकता है। 10/04/2024



