खबरों की खबरचर्चितसाहित्य और संस्कृति

धातु मिश्रित है चाइनीज मांजा, पंतगबाजी में लग सकता करंट

दुर्घटना के बचाव हेतु एम.पी. ट्रांसको का रोको-टोको अभियान

sagarvani.com9425172417

सागर। एम.पी. ट्रांसको (मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी) ने सागर की ट्रांसमिशन लाइनों के समीप, खासकर मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर चायनीज मांझे से पतंग उड़ाने के कारण संभावित दुर्घटना की आशंकाओं पर अंकुश लगाने व नागरिकों को सतर्क व सुरक्षित करने सागर सहित समूचे प्रदेश में रोको-टोको अभियान चलाया है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने भी आग्रह किया है कि ट्रांसमिशन लाइनों के पास पतंग नहीं उड़ाये। इसी कड़ी में एमपी ट्रांसको ने सागर के स्थानीय जिला प्रशासन से चायनीज मांझे के इस्तेमाल पर रोक तथा ट्रांसमिशन लाइनों के समीप के उन क्षेत्रों को संवेदनशील और खतरनाक घोषित करने के लिए अनुरोध किया है, जहां दुर्घटनाओं की आशंकाएं अधिकतम है। एमपी ट्रांसको के चीफ इंजीनियर संदीप गायकवाड़ ने इस संबंध में एक बड़ा दावा ये भी किया है कि इस मांझे में चीन से आने वाले धातु से लिपटी डोरी होती है। जिसमें कई तरह के केमिकल और धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। जो पतंग की डोरी बिजली का अच्छा सुचालक बना देता है। बिजली के तारों के संपर्क में आने पर यह डोरी पतंग उड़ाने वाले के लिये घातक साबित हो सकती है। इससे ट्रांसमिशन लाइन को व्यवधान तो पहुंचता ही है व्यापक जनधन की हानि की आशंका रहती है।

नाम बस चाइनीज… ये मांझा भारत में ही बनता है 

जानकारों के मुताबिक चीन से कोई मांझा नहीं आता है। भारत में ही प्लास्टिक, नाइलॉन से बने मांझे को चाइनीज मांझा कहा जा रहा है। इस चाइनीज कहे जाने वाले मांझे की शुरुआत बैंग्लोर में मोनोकाइट नाम की कंपनी ने की। लोगों ने प्लास्टिक के मांझे को पॉपुलर करने के लिए इसे चाइनीज मांझा नाम दे दिया। कांच के टुकड़े, धातु और लोहे के बुरादे को गोंद में मिलाकर मांझे पर चढ़ाया जाता है, जिससे चाइनीज मांझा बनता है। इसके अलावा इस मांझे में कई कैमिकल भी मिलाए जाते हैं, जो जान के लिए घातक साबित होते हैं।

ट्रांसको को मकरोनिया- बड़तूमा में ज्याद चिंता

गायकवाड़ ने बताया कि सागर में मकर संक्रांति पर बहुतायत पतंग उड़ाये जाने वाले संवेदनशील क्षेत्रों में नागरिकों से व्यक्तिगत संपर्क करने के अलावा पोस्टर बैनर एवं पी.ए. सिस्टम के माध्यम से उन्हें सचेत एवं सतर्क किये जाने का अभियान भी चलाया जा रहा है। जिससे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके साथ ही उपभोक्ताओं को विद्युत के अनावश्यक व्यवधान का सामना न करने पड़े। यहां बता दें कि बीते साल प्रदेश में कुछ स्थानों पर ट्रांसमिशन लाइनों में चाइनीज मांझा के साथ पतंग फंसने की घटनाओं के बाद बिजली की सप्लाई बाधित हुई थी। लोगों को भी नुकसान पहुंचा था। हालांकि एमपी ट्रांसको के संवेदनशील प्रोटेक्शन सिस्टम के 100 प्रतिशत ऑपरेट होने से बड़ी जनधन हानि बच गई थी। बिजली कंपनी के अधिकारियों के अनुसार शहर में मकरोनिया, बड़तूमा, आदि क्षेत्र चायनीज मांझे के कारण संभावित दुर्घटना के लिये अति संवेदनशील क्षेत्र है, जहां पर ट्रांसमिशन लाइनों के संपर्क में न आने के लिये सुरक्षा, सतर्कता एवं सजगता अति आवश्यक है।

12/01/2025

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!