1500 रु. महीना की शराब परोसने का टारगेट! ताकि लाड़ली बहना को मिल सके मानदेय
लाड़ली बहनों को बांटने सालाना चाहिए 19.35 हजार करोड़ रु.

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सागर। प्रदेश की व्यस्क पुरुष आबादी का चिन्हित हिस्सा अगर महीने भर में 1500 रु. की शराब पिए तो उसके परिवार या पड़ोस में रहने वाली किसी एक लाड़ली बहना को मानदेय के रूप में 1250 रु. मिलना कुछ हद तक निश्चित हो जाएगा। देखने -पढ़ने में यह आंकड़े भले नाक-भौंह सिकोड़ने वाले हैं लेकिन घूम-फिरकर सच्चाई तो यही है। आंकड़ों के मुताबिक मप्र में इस समय लगभग 1.29 करोड़ महिलाएं लाड़ली बहना के लिए पंजीकृत हैं। जिन्हें 1250 रु. के हिसाब से साल भर बांटने के लिए 19 हजार 350 करोड़ रु. चाहिए। इधर मप्र सरकार ने प्रदेश भर के 1135 शराब दुकान समूह से आमदनी के 14 हजार 206 करोड़ रु. का टारगेट तय किया है। पंजीकृत सभी बहनों को राशि देने के लिए सरकार को 5 हजार करोड़ रु. से ज्यादा फिर भी कम पड़ेंगे। 
पूर्व सीएम चौहान ने 1 लाख करोड़ रु का बजट रखा था
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सरकार को बनाए रखने में महिलाओं के वोट के महत्व को बखूबी समझते थे। इसलिए उन्होंने वर्ष 2023-24 के बजट में एक तिहाई हिस्सा यानी 1 लाख करोड़ रुपए महिलाओं के कल्याण के लिए तय किए थे। उसी का हिस्सा यह योजना है। ये बात और है कि नई सरकार बजट का संकट बता कर इस योजना को दृढ़तापूर्वक चलाए रखने का इरादा नहीं जता पा रही है। यहां बता दें कि राज्य की आमदनी का दूसरा सबसे बड़ा सोर्स आबकारी ठेके ही हैं। पहला स्रोत राज्य जीएसटी (सेल्स/वेट टैक्स) है। इसके अलावा परिवहन, मुद्रांक एवं पंजीयन शुल्क से भी आमदनी होती है। चूंकि लाड़ली बहना योजना का खर्च, आबकारी के लक्ष्य के काफी करीब है। इसलिए इस योजना के लिए फंड की बात इस विभाग से जोड़ी गई।
ऐसे निकाली शराब पीने वालों की संख्या
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिला निर्वाचन कार्यालय ने सागर जिले के वोटर्स की संख्या जारी की है। जो 17 लाख 88 हजार + है। इनमें से 9.40 लाख+ पुरुष मतदाता हैं। शेष महिलाएं व अन्य हैं। विभिन्न सामाजिक अध्ययनों के अनुसार वर्तमान में व्यस्क पुरुषों की 40% आबादी शराब का शौक करती है। इन्ही 3 लाख 76 हजार लोगों को हर महीने तकरीबन 1500 रु. शराब पर खर्च करना होंगे। इससे उनकी जेब से हर महीने करीब 56 करोड़ रु. निकलेंगे। जिसमें से 35 से 37 करोड़ रु. सरकार के पास आबकारी लाइसेंस फीस के रूप में जमा होंगे। सागर की सालाना लाइसेंस फीस 430+ करोड़ रु. है।
जिले की सवा चार लाख बहनों को चाहिए 637 करोड़ रु.
सागर जिले में 4.25 लाख लाड़ली बहनें हैं। जिन्हें 1250 रु. माह के हिसाब से साल भर के लिए 637 करोड़ रु. और 53 करोड़ रु. माह चाहिए। जबकि यहां लाइसेंस फीस से 430 करोड़ 44 लाख रु . मिलेंगे। इस राशि में 2-3 प्रतिशत और वेट व सर्विस टैक्स बढ़ जाएगा। इसके बावजूद सरकार को सागर समेत पूरे प्रदेश के लिए शेष राशि जुटाने के लिए राज्य की आय के दूसरे स्रोतों से मदद लेना होगी।
09/03/2024



