मृत गर्भवती के शिशु को बचाने पुलिस का सर्वोच्च मानवीय प्रयास
दुर्भाग्य से शिशु की धड़कन अस्पताल पहुंचने के पहले ही थम चुकी थी

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सागर। नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर एनएच 44 एक एक्सीडेन्ट हुआ। जिसमें पुलिस ने एक अजन्मे शिशु को दुनिया में लाने की सर्वोच्च मानवीय कोशिश की। लेकिन दुर्भाग्य से वह इसमें सफल नहीं हो पाए । घटनाक्रम यूं है कि 4 लेन स्थित डुडवारा गांव के पास एक भीषण रोड एक्सीडेण्ट हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गर्भवती पत्नी को बाइक से मायके छोड़ने जा रहे पति को अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। जिससे मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। वहां पहुंची पुलिस को जब पता चला कि महिला गर्भ से थी तो अमला गर्भस्थ शिशु को बचाने उसका शव लेकर अस्पताल के लिए दौड़ा। जांच के बाद डॉक्टरों ने गर्भस्थ शिशु की भी धड़कन थम जाने की जानकारी दी। बताया गया कि चिकित्कों ने मार्च के पहले सप्ताह में ही प्रसव की तारीख बताई थी। मुंगवानी थाना प्रभारी मुकेश बिसेन ने बताया कि महेंद्र प्रजापति (40) सिली जिले के बंडोल के निवासी थे। वे शनिवार को अपनी गर्भवती पत्नी लक्ष्मी (32) को बाइक से खमरिया गांव छोड़ने जा रहे थे। लेकिन गांव से करीब आठ किमी पहले हादसा हो गया।
तैयार था अस्पताल स्टाफ, लेकिन मायूसी मिली
गर्भस्थ शिशु की जान बचाने पुलिस ने हाइवे की एम्बुलेंस बुलाकर उसे तत्काल जिला अस्पताल भेजा। डॉक्टर को पहले से सूचना दे दी गई। कोतवाली पुलिस ने एम्बुलेंस के निर्बाध पहुंचने के लिए व्यवस्थाएं संभाली। जिला अस्पताल में मेडिकल स्टाफ बाहर स्ट्रेचर के साथ मौजूद था। एम्बुलेंस के पहुंची सोनोग्राफी की गई, महिला डॉक्टर ने बताया कि गर्भस्थ शिशु की धड़कन थम चुकी थी।
स्वयं के मोबाइल में सिम डाल शव की पहचान की
पुलिस के अनुसार दोनों शव क्षत-विक्षत हो चुके थे और पहचान करना मुश्किल था। इसके चलते पुलिस ने मृतक महेंद्र की जेब में मिले क्षतिग्रस्त मोबाइल की सिम निकालकर अपने मोबाइल में डाली और कॉल किया तो पता चला कि नंबर महेंद्र का है। थाना प्रभारी ने उसके साले शुभम को कॉल कर मौके पर बुलाया गया।
नोट: खबर के साथ संलग्न फोटो केवल प्रतीकात्मक है। इस उपरोक्त घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं है।
04/03/2024



