पूर्व कुलपति प्रो.गजभिए समेत अन्य के खिलाफ नहीं देंगे अभियोजन स्वीकृति, ईसी का निर्णय
मार्च में सीबीआई जबलपुर ने विवि से प्रो. गजभिए समेत 11 टीचर्स के खिलाफ मांगी थी स्वीकृति

सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि में तत्कालीन कुलपति प्रो. नामदेव श्रीरामजी(एनएस)गजभिए समेत कुछ अन्य रिटायर्ड प्रोफेसर्स के खिलाफ सीबीआई जबलपुर को अभियोजन स्वीकृति नहीं दी जाएगी। यह निर्णय विगत दिवस विवि में हुई कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया। प्रो. गजभिए समेत अन्य प्रोफेसर्स पर टीचर्स समेत अन्य भर्तियों में घोटाले का आरोप है। परिषद में पेश एजेंडा के अनुसार बताया गया कि तत्कालीन कुलपति प्रो. गजभिए व अन्य के खिलाफ चालान पेश करने के लिए सीबीआई की जबलपुर इकाई ने 12 मार्च 2024 को अभियोजन स्वीकृति संबंधी चिट्ठी भेजी थी।
प्रो. गजभिए के अलावा 11 प्रोफेसर्स के खिलाफ मांगी गई अभियोजन स्वीकृति
जिसे विवि की 35 वीं ईसी में विचार के लिए रखा गया। इस मामले में ईसी के प्रस्ताव के अनुसार, मामले की रिपोर्ट पूर्ण तथ्यों और सहायक दस्तावेजों के साथ सीवीसी मार्गदर्शन के लिए भेजी गई। जिसकी एक कॉपी अवर सचिव (सतर्कता अनुभाग), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार को भी भेजी गई थी। उक्त रिपोर्ट के जवाब में, निदेशक, सीवीसी ने विगत 04 सितंबर 2024 के माध्यम से विश्वविद्यालय को सूचित किया है कि सीबीआई की रिपोर्ट और उस पर डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कमेंट्स की जांच की गई है।
आयोग, विश्वविद्यालय के साथ सहमति से, प्रो. गजभिए के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने से इनकार करने की सलाह देता है। सीबीआई ने प्रो.गजभिए के अलावा डॉ.ओम प्रकाश श्रीवास्तव (अब सेवानिवृत्त), डॉ. अनुप बनर्जी (अब सेवानिवृत्त), डॉ केएस पित्रे (अब सेवानिवृत्त), डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव (अब सेवानिवृत्त), डॉ. ओम प्रकाश चौरसिया (अब सेवानिवृत्त), डॉ. हेरल थॉमस, डॉ. नवीन कांगो, डॉ. सरिता राय, डॉ. पल्लेपोगु राघवैया, डॉ. अभिलाषा दुर्गावंशी और डॉ. मिलिंद मधुसूदन देशमुश के खिलाफ अभियोजन
स्वीकृति मांगी थी। ताजा ईसी के मिनट्स के अनुसार सीवीसी की सलाह पर उचित विचार-विमर्श के बाद परिषद ने इन सभी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने से इनकार करने का निर्णय लिया।
करीब तीन महीने तक जेल में रहे थे प्रो. गजभिए
विवि में कथित रूप से हुए भर्ती घोटाले का खुलासा वर्ष 2014-15 में हुआ था। तत्कालीन कुलपति प्रो. गजभिए पर आरोप था कि उनके कार्यकाल में कई पदों पर अयोग्य लोगों की नियुक्ति कर दी गई थी। इस मामले को सीबीआई ने संज्ञान में लिया था। जांच पड़ताल के बाद प्रो. गजभिए सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे। सीबीआई द्वारा प्रकरण दर्ज करते ही प्रो. गजभिए फरार हो गए थे। उनकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई ने कानपुर, झांसी, नागपुर स्थित निवास पर छापामार कार्रवाई
की थी। इसके साथ ही सागर विवि के विभिन्न विभागों व ऑफिस से नियुक्ति संबंधी अनेक दस्तावेज जप्त किए गए थे। फरवरी 2015 में प्रो. एनएस गजभिए को कानपुर भारतीय तकनीकी संस्थान से गिरफ्तार किया गया था। वे करीब 3 महीने जेल में रहे थे। इसके बाद सीबीआई कोर्ट ने 29 जुलाई 2016 को गजभिये के खिलाफ विभिन्न अपराधों में आरोप तय किए थे।
25/10/2024



