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विवि के दूसरे हॉस्टल्स की तरफ घूमता रहा तेंदुआ, परिक्षेत्र में निवास करने वालों की सुरक्षा पर सवाल

तार-फेन्सिंग दुरुस्त कराने के बजाव विवि की कोशिशें पोस्टरबाजी तक - रमन और भाभा छात्रावास निवासी युवकों ने आधी रात को तेंदुए को विचरते देखा

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि परिक्षेत्र में तेंदुए की मौजूदगी बीती आधी रात के आसपास भी रही। जानकारी के अनुसार रमन और भाभा हॉस्टल के कुछ विद्यार्थियों ने तेंदुए को झाड़ियों के आसपास विचरते देखा। इधर विवि प्रशासन, तेंदुए से विद्यार्थियों, स्टाफ और वहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर कोई खास कदम नहीं उठा पाया है। प्रशासन की सतर्कता इन सभी को अलर्ट करने, पोस्टर चिपकाने तक सीमित रही। जबकि होना यह चाहिए था कि विवि प्रशासन सबसे पहले उन स्थानों की खोजबीन करता। जहां की तार-फेन्सिंग क्षतिग्रस्त या गायब हो गई है। वन विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि परिक्षेत्र में एक तरफ बाउंड्री वॉल है लेकिन दूसरी तरफ यानी पुराने आरटीओ साइड सुरक्षा के खास इंतजाम नहीं हैं। संभवत: तेंदुए ने यहीं से प्रवेश किया होगा। इधर दक्षिण वनमंडल के डीएफओ हेमंत यादव ने कहा कि यह जानवर अभी किशोरवय है। इसलिए मुमकिन है कि वह सपरिवार हो। लेकिन इनके विचरण का क्षेत्र 15-20 किमी होता है इसलिए उसके परिवार के अन्य सदस्य विवि के आसपास हों यह कहना सही नहीं होगा।

ढूंढकर तो कभी छिपकर शिकार करने की प्रवृत्ति  

तेंदुए को लेकर काफी कुछ जानकारी स्थानीय जनमानस के बीच पहले से होती हैं क्योंकि कैट फेमिली का यह सदस्य मप्र के लगभग हरेक 200 किमी वर्ग क्षेत्र में पाया जाता है। इसके बावजूद जानकार बताते हैं कि यह जानवर अक्सर छिपकर शिकार करता है। इसके निशाने पर हमेशा बछड़े, बकरी, जंगली सुअर, कुत्ते जैसे जानवर रहते हैं। इसके अलावा यह पेड़ पर चढ़कर बंदर पर भी हमला करता है। जमीन पर यह झाड़ियों में दुबका रहता है। इसे जमीन पर शिकार को खाते कम ही देखा गया है। यह शिकार को सीधे पेड़ पर ले जाता है। सबसे खास आदत ये है कि यह जानवर रात के समय शिकार पर निकलता है। मानव आबादी को अक्सर इसके केवल घायल करते देखा गया है। जिसमें बच्चों व बुजुर्गों की मौत भी हो जाती है।

बुंदेलखंड में अक्सर दिखते हैं तेंदुए, बसाहट में मप्र देश में नंंबर

सागर में तेंदुए के देखे जाने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। अच्छी बात ये है कि आबादी ने कभी इन पर हमला करने की कोशिश नहीं की। इसके पूर्व पिछले साल रतौना और उसके पहले गढ़पहरा तक तेंदुआ देखा गया था। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार मप्र, देश भर के तेंदुओं का गढ़ है। यहां करीब 4 हजार तेंदुओं की मौजूदगी देखी गई है। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडू में हमलावर प्रवृत्ति का यह जानवर पाया जाता है। टाइगर यानी बाघ के मुकाबले तेंदुआ सर्वाइव करने में ज्यादा माहिर होता है, इसलिए इसी संख्या हरेक स्थान पर बाघों से अधिक रहती है। यहां बता दें कि बीते साल केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर पांच वर्ष के लिए 150 करोड़ रु. का बजट मंजूर करते हुए इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस की स्थापना को मंजूरी दी है।

इस एलायंंस में दुनिया के वे 96 देश शामिल हैं। जिनमें बड़ी बिल्ली परिवार के कोई न कोई सदस्य पाए जाते हैं। एलासंस का उद्देश्य होगा कि प्यूमा, जगुआर, लेपर्ड, टाइगर, चीता, लायन समेत अन्य सभी प्रजातियों को संरक्षित करने के विभिन्न उपायों पर काम किया जाए। एलायंस में वे देश भी शामिल होंगे। जो बड़ी बिल्ली के परिवार के सदस्यों के संरक्षण में भूमिका निभाना चाहते हैं। 

15/10/2024

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