चर्चित
सिंचाई विभाग में 58 लाख रु. का मकान किराया भत्ता घोटाला, प्यून को 28 लाख रु. का पेमेंट!
कम्प्यूटर ऑपरेटर पर कर्मचारियों की मिली भगत से घपलेबाजी करने का संदेह, वित्त संचालनालय भोपाल ने पकड़ा घपला, बीते 48 घंटे से चल रही है जांच
सागर।9425172417
पुराने कलेक्टोरेट स्थित सिंचाई विभाग के कार्यालय क्रमांक-2 में 58 लाख रुपए से अधिक के एचआरए(मकान किराया भत्ता) के घोटाले की खबर है। सूत्रों के अनुसार यह सारा हेरफेर आउटसोर्स आधार पर काम कर रहे एक कम्प्यूटर ऑपरेटर ने अंजाम दिया है! बताया जा रहा है कि घोटाले की राशि और बढ़ सकती है। वित्त संचालनालय भोपाल ने यह गड़बड़ी पकड़ी है। जिसके बाद ज्वाइंट डायरेक्टर ट्रेजरी और जिला ट्रेजरी ऑफिस की संयुक्त टीम इस गड़बड़ी की परतें निकालने में जुट गई है।
कार्यालय में बीते 48 घंटे से यह टीम जांच कर रही है। घोटाले की बानगी इतने से समझी जा सकती है कि मकान किराया भत्ता के नाम ऑफिस के एक प्यून के खाते में पूरे 28 लाख रुपए डाल दिए गए। कार्यालय में पदस्थ ईई एनके जैन का कहना है कि जांच के शुरुआती नतीजों के आधार पर आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों को वसूली के नोटिस दिए गए हैं। ये सभी तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के नियमित कर्मचारी हैं।
कार्यालय में बीते 48 घंटे से यह टीम जांच कर रही है। घोटाले की बानगी इतने से समझी जा सकती है कि मकान किराया भत्ता के नाम ऑफिस के एक प्यून के खाते में पूरे 28 लाख रुपए डाल दिए गए। कार्यालय में पदस्थ ईई एनके जैन का कहना है कि जांच के शुरुआती नतीजों के आधार पर आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों को वसूली के नोटिस दिए गए हैं। ये सभी तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के नियमित कर्मचारी हैं।कार्यालय प्रमुख से वास्तविक किरायाशीट पर अप्रुवल लेकर घपला किया
जांच कर रही टीम के सूत्रों के अनुसार इस बड़ी गड़बड़ी का मुख्य किरदार कम्प्यूटर ऑपरेटर यशवंतसिंह राजपूत है। जो आउटसोर्स आधार पर स्थापना समेत अन्य शाखाओं में काम कर रहा था। बताया जा रहा है कि वह वर्ष 2018 से इस गड़बड़ी को अंजाम दे रहा था। वह बड़ी चालाकी से कार्यालय के प्रमुख ईई से उस प्रिंट आउट पर अप्रुवल लेता था, जिसमें किसी भी कर्मचारी के हाउस रेंट एलाउंस की रकम चंद हजार रुपए होती थी। बाद में वह कम्प्यूटर पर इस रकम को एडिट कर हजार के लाख रुपए कर लेता था। इधर जैसे ही कर्मचारी के खाते में यह रकम पहुंचती थी तो वह उसे अतिरिक्त रकम देने का लालच देकर बढ़़कर पहुंची राशि को बैंक से निकलवा लेता था। उदाहरण के लिए उसने कार्यालय के प्यून गौरव सोनी के खाते में 28 लाख रुपए डाले थे।
चार महीने पहले स्थापना इंचार्ज ले चुके हैं वीआरएस
इस घपले बाजी में स्थापना के डीलिंग क्लर्कों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। जानकारी के अनुसार चार महीने पहले तक स्थापना का सारा कामकाज लिपिक पीएस लोधी देखते थे। लेकिन उन्होंने दिसंबर 2022 में वीआरएस ले लिया। इसके बाद यह चार्ज तृतीय श्रेणी लिपिक धर्मदास अहिरवार को मिला। जांच टीम घपलेबाजी की जड़ तक पहुंचने के लिए इन लोगों की भूमिका को भी अपने दायरे में ले सकती है। इधर गुरुवार को जब टीम जांच करने पहुंची तब ऑपरेटर राजपूत गायब था। ईई जैन के अनुसार जांच के पहले दिन वह कार्यालय में हाजिर था लेकिन आज नहीं आया।
जांच कर रही टीम के सूत्रों के अनुसार इस बड़ी गड़बड़ी का मुख्य किरदार कम्प्यूटर ऑपरेटर यशवंतसिंह राजपूत है। जो आउटसोर्स आधार पर स्थापना समेत अन्य शाखाओं में काम कर रहा था। बताया जा रहा है कि वह वर्ष 2018 से इस गड़बड़ी को अंजाम दे रहा था। वह बड़ी चालाकी से कार्यालय के प्रमुख ईई से उस प्रिंट आउट पर अप्रुवल लेता था, जिसमें किसी भी कर्मचारी के हाउस रेंट एलाउंस की रकम चंद हजार रुपए होती थी। बाद में वह कम्प्यूटर पर इस रकम को एडिट कर हजार के लाख रुपए कर लेता था। इधर जैसे ही कर्मचारी के खाते में यह रकम पहुंचती थी तो वह उसे अतिरिक्त रकम देने का लालच देकर बढ़़कर पहुंची राशि को बैंक से निकलवा लेता था। उदाहरण के लिए उसने कार्यालय के प्यून गौरव सोनी के खाते में 28 लाख रुपए डाले थे।
चार महीने पहले स्थापना इंचार्ज ले चुके हैं वीआरएस
इस घपले बाजी में स्थापना के डीलिंग क्लर्कों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। जानकारी के अनुसार चार महीने पहले तक स्थापना का सारा कामकाज लिपिक पीएस लोधी देखते थे। लेकिन उन्होंने दिसंबर 2022 में वीआरएस ले लिया। इसके बाद यह चार्ज तृतीय श्रेणी लिपिक धर्मदास अहिरवार को मिला। जांच टीम घपलेबाजी की जड़ तक पहुंचने के लिए इन लोगों की भूमिका को भी अपने दायरे में ले सकती है। इधर गुरुवार को जब टीम जांच करने पहुंची तब ऑपरेटर राजपूत गायब था। ईई जैन के अनुसार जांच के पहले दिन वह कार्यालय में हाजिर था लेकिन आज नहीं आया।



