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चैम्बर का विवाद: विवि के एक प्रोफेसर ने दूसरे प्रोफेसर पर जताया एससी-एसटी एक्ट में फंसाने का संदेह

मानव शास्त्र विभाग के एचओडी डॉ. शर्मा ने साथी प्रो. राजेश गौतम के खिलाफ की सिविल लाइन थाने में शिकायत की

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि में प्रशासनिक माहौल कैसा है। इसकी बानगी सिविल लाइंस पुलिस थाने में की गई एक शिकायत है। जिसमें एक प्रोफेसर ने दूसरे पर एससी-एसटी एक्ट में फंसाने का संदेह जताया है। यह विवाद कोई पड़ोस, बीबी-बच्चों या साफ-सफाई को लेकर उपजा नहीं है। विवाद है, विभाग के एचओडी कक्ष को खाली कराने का। जो विभाग से प्रशासनिक भवन होता हुआ अब पुलिस थाने तक आ पहुंचा है। बहरहाल ताजा मामले में शिकायतकर्ता मानव शास्त्र विभाग के एचओडी प्रो. केकेएन शर्मा हैं और उन्होंने जिन पर फंसाने का संदेह जताया है। वे उनके साथी प्रो. राजेश गौतम हैं।

चैम्बर खाली नहीं करने की गाथा पुलिस को बताई

सिविल लाइन पुलिस को सौंपे एक पत्र में एचओडी प्रो. शर्मा का कहना है कि मुझे 01 सितंबर 2023 को विभागाध्यक्ष का कार्यभार मिला था। मेरे पूर्व प्रो. राजेश गौतम अध्यक्ष थे। मेरे चार्ज लेने के बाद डॉ. गौतम ने एचओडी का कक्ष खाली नहीं किया। मैंने इस संबंध में 5 सितंबर 2023 को व्यवहारिक विज्ञान अध्ययनशाला के डीन डॉ. देवाशीष बोस को इस बारे में लिखित जानकारी दी। इसके बावजूद प्रो. गौतम ने कक्ष खाली नहीं किया। इसके बाद मैंने इस बारे में कुलपति, कुलसचिव, फेकल्टी अफेयर्स और निदेशक अकादमिक अफेयर्स को भी लिखित में सूचना दी। इसके बाद विवि प्रशासन ने डीन व्यवहारिक विज्ञान अध्ययनशाला, डीन बायो साइंस वर्षा शर्मा, संपदा अधिकारी डॉ. अशोक अहिरवार की कमेटी बनाकर 2 सप्ताह में कार्रवाई के लिए कहा। लेकिन तब भी कुछ नहीं हुआ।

विवि के शिक्षकों की गरिमा गिराने का आरोप लगाया

पुुलिस को दी गई इस चिट्ठी के आखिर में प्रो. शर्मा ने प्रो. गौतम पर अनैतिक कृत्य कर विवि के शिक्षकों की गरिमा गिराने का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने अपनी मूल बात कही है कि, प्रो. गौतम मुझे एससी-एसटी मामले में झूठा फंसा सकते हैं। मुमकिन है कि वह मेरे खिलाफ झूठी शिकायत कर दें। अगर ऐसा हो तो पुलिस उनकी शिकायत को नजरंदाज करे। इधर इस मामले से विवि प्रशासन ने लगभग पल्ला झाड़ते हुए पीआरओ डॉ. विवेक जायसवाल के हवाले से जवाब दिया है। विवि प्रशासन का कहना है कि कक्ष आवंटन विवि एवं विभाग का आंतरिक मामला है। विभाग एवं शिक्षकों की सुविधानुसार विवि प्रशासन इस संबंध में आवश्यकतानुसार उचित निर्णय लेगा। 

 

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