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सिंचाई विभाग: एचआरए घपला में शामिल कर्मचारियों ने वापस किए 43 लाख रुपए

घोटाले के मुख्य सूत्रधार आउटसोर्स कर्मचारी का ठेका किया निरस्त; चपरासी, क्लर्क, सब-इंजीनियर के खिलाफ विभागीय जांच शुरु

सागर। सिंचाई विभाग के एचआरए (मकान किराया भत्ता) की घपलेबाजी में चतुर्थ श्रेणी से लेकर सब-इंजीनियर कैडर के कर्मचारी शामिल थे। ये बात और है कि ये सभी खुद को बेकसूर बता रहे हैं। फिलहाल तो विभागीय और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए इन लोगों ने एचआरए के नाम पर हजम की गई रकम लौटाना शुरु कर दी है।
 बता दें कि विभाग में एचआर के नाम पर 60 लाख रुपए से अधिक का घपला हुआ है। जिसमें से कर्मचारियों ने 43 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा करा दिए हैं। इस तथ्य की पुष्टि कार्यालय क्रमांक-2 के ईई एनके जैन ने की है। आगे उन्होंने बताया कि घपलेबाजी का मुख्य सूत्रधार, आउटसोर्स  कम्प्यूटर ऑपरेटर यशवंतसिंह राजपूत था। जिसे सेवा से बाहर कर दिया गया है।
चपरासी के खाते में 28 लाख रुपए पहुंचे, 9 लाख रु. लौटाए
इस घपलेबाजी की शुरुआती जांच में 12 कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं। यह सभी नियमित कर्मचारी हैं। इनमें से सबसे ज्यादा राशि 28  लाख रुपए कार्यालय के चपरासी गौरव सोनी के वेतन खाते में डाली गई। जानकारी के अनुसार इसी कर्मचारी ने सबसे कम रकम वापस की है। उसने मात्र 9 लाख रुपए लौटाए हैं। शेष कर्मचारी हीरालाल प्रजापति, प्रेमनारायण रैकवार डाक मैसेंजर, महेश अहिरवार चपरासी, मुन्नालाल रैकवार वाटरमैन, मलखानसिंह चौकीदार, प्रेमशंकर तिवारी हेल्पर, धर्मदास अहिरवार बाबू, प्रिंसिपल गौड़ आमीन, रामदयाल अहिरवार, अमित कुर्मी, एसके पटेरिया तीनों उपयंत्री ने 34  लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा करा दिए हैं। ईई जैन के अनुसार चपरासी सोनी का कहना है कि वह शेष रकम धीरे-धीरे वापस जमा कर देगा। 
5 साल से चल रहा था घपला, किसका कितना हिस्सा ये नहीं पता
ट्रेजरी के कर्मचारियों द्वारा की जा रही इस जांच में सामने आया है कि ये घपलेबाजी वर्ष 2018 से चल रही थी। इस दौरान इस कार्यालय में बतौर ईई भूपेंद्रसिंह, पीएन तिवारी और निवर्तमान ईई एनके जैन पदस्थ रहे। लेकिन ये तीनों ही इस घपले से बेखबर रहे। जानकारी के अनुसार इन अधिकारियों ने आउटसोर्सकर्मी राजपूत द्वारा बिलिंग शीट पर दस्तखत कराने के बाद ऑनलाइन होने वाले पेमेंट पर ध्यान नहीं दिया। वे बड़ी ही लापरवाही से अपने उसे ई-सिग्नेचर, डोंगल वगैरह सौंपे रहे। जिसके चलते वह बड़ी आसानी से यह घपला करता रहा। इधर इस घपलेबाजी में एक तथ्य ये भी सामने आया है कि विभागीय अधिकारियों को यह नहीं पता कि कम्प्यूटर ऑपरेटर राजपूत, इन कर्मचारियों के वेतन खाते में रकम ट्रांसफर करने के बाद कितना कमीशन लेता था। इस बारे में ईई जैन का कहना है कि, कर्मचारियों के औपचारिक बयान लिए गए। सभी ने इस राशि के बारे में अनभिज्ञता जताई और सहजता से रकम लौटाने राजी हो गए। बता दें कि इन कर्मचारियों में एक धर्मदास अहिरवार नाम का क्लर्क भी शामिल है। जिसे कार्यालय के उसी एकाउन्टेंट पद का चार्ज दिया गया है। जहां से यह सारे घपलेबाजी शुरु हुई थी

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