बीना में भाजपाई युवक को पुलिस ने उठाया, छुड़वाने कांग्रेसी- भाजपाई थाने पहुंचे
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सागर। बीना विधायक निर्मला सप्रे की दलीय स्थिति को लेकर स्थानीय विधानसभा क्षेत्र में सोशल मीडियाई कमेन्ट्स का रेला चल रहा है। स्थिति ये है कि बीती शुक्रवार- शनिवार की आधी रात के बाद एक युवक हन्नू राजपूत हिरणछिपा को बीना थाने की पुलिस ने उठा लिया। चर्चा रही कि हन्नू ने विधायक की भाजपा और कांग्रेस में स्थिति को लेकर कमेन्ट्स किया था। इधर हन्नू को पुलिस से छुड़वाने के लिए शनिवार सुबह से कांग्रेस से पूर्व मंत्री प्रभुसिंह ठाकुर, उनके भतीजे पूर्व जनपद अध्यक्ष व जिपं सदस्य इंदरसिंह क्षत्रिय समाज का एक प्रतिनिधि मंडल लेकर और भाजपा से पूर्व विधायक महेश राय अपने समर्थकों संग पुलिस थाने पहुंच गए। पुलिस तात्कालिक रूप से हन्नू के खिलाफ कोई मामला कायम नहीं कर पाई थी। इसलिए वह इन सभी को 15 मिनट में छोड़ने का आश्वासन देते रहे और शाम करीब 4 बजे पुलिस एक्ट की प्रतिबंधित धारा 151 में एसडीएम कोर्ट में पेश कर दिया। जहां से राजपूत को जमानत पर रिहा कर दिया गया। 
कांग्रेस के बड़े लीडर्स से मिलने की चर्चा , बोले राजनीति वेंटिलेटर पर …..
दरअसल ये पूरा बवाल बीना विधायक निर्मला सप्रे के कांग्रेस के बड़े लीडर्स से मुलाकात की चर्चा के बाद मचा। कतिपय सोशल मीडिया एकाउन्टस पर कमेन्ट्स चले कि विधायक नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से मुलाकात करने भोपाल गईं हैं। जबकि उनके करीबियों का कहना है कि पारिवारिक काम से राजधानी में थीं। बहरहाल सप्रे की इस 50-50 वाली स्थिति के बाद सोशल मीडिया पर कुछ कमेन्ट्स वायरल रहे। जैसे कि, बड़ी खबर सूत्रों से मुझे लालच और जिला का प्रलोभन देकर शामिल कराया गया था, मेरी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है इसलिए BACK TO HOME…… वापसी पर रोक, नहीं होगी वापसी जा दार बगर गई ….. इस्तीफा होने दो हरना तय समझना क्योंकि मतदाताओं ने बहन बेटी बुआ समझा हम सब लोगों के साथ विश्वासघात हुआ …… चर्चा है राजनीति वेंटिलेटर पर , अंतिम सात दिन का मौका….. आदि शामिल हैं।

90 दिन पूरे हुए अब 7 दिन शेष
विधायक सप्रे की दलगत स्थिति को लेकर असमंजस की स्थिति है। 3 माह पहले कांग्रेस ने सप्रे के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर से शिकायत की थी। जिसमें कहा गया था कि, निर्मला की विधानसभा सदस्यता शून्य की जाए। जिसके बाद विस अध्यक्ष ने सप्रे को 7 नोटिस देकर 90 दिन के भीतर जवाब देने कहा था। यह समय सीमा .5 अक्टूबर को खत्म हो गई है। अब 8 वां नोटिस दिया गया है। जिसमें निर्मला को 7 दिन के भीतर अपनी दलीय स्थिति स्पष्ट करना होगी। अगर वे स्वयं को भाजपा में घोषित करती हैं तो फिर बीना में 6 माह के भीतर उप-चुनाव होंगे। अगर वे स्वयं को कांग्रेसी बताती हैं तो फिर चुनाव की नौबत लगभग खत्म हो जाएगी। हालांकि विधायक सप्रे के बीते 5 माह से भाजपाई खेमे में हैं। बीना को जिला बनाने की शर्त रखते हुए वे सीएम डॉ. मोहन यादव के संग करीब आधा दर्जन बार मंच शेयर कर चुकी हैं। जिसके बाद उनकी कांग्रेस में वापसी भी शर्तों पर होगी।
05/10/2024



