BMC के क्लर्क को 4 साल की जेल, 10 हजार रु. की रिश्वत लेते पकड़ा गया था
साक्ष्य के अभाव में सह-आरोपी बनाए गए डॉक्टर के खिलाफ पेश नहीं किया गया था चालान

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सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एक क्लर्क को विशेष न्यायाधीश भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम आलोक मिश्रा ने रिश्वत मांगने के एक मामले में 4 साल की सजा सुनाई है। घटनाक्रम यूं है कि सितंबर 2017 में एक शासकीय कर्मचारी गणेशसिंह ने लीवर ट्रांसप्लांट के मेडिकल बिल की स्वीकृति की एवज में कॉलेज के क्लर्क अंकित मिश्रा ने 50 हजार रु. रिश्वत मांगी थी। जिसमें से वह 40 हजार रु. ले चुका था। शेष 10 हजार रु. और मांग रहा था। जबकि गणेशसिंह यह राशि देना नहीं चाहता था। इसलिए उसने इस बारे में लोकायुक्त कार्यालय सागर में शिकायत कर दी। इसके बाद लोकायुक्त की एक टीम ने अंकित को गणेशसिंह से 10 हजार रु. लेते रंगे हाथों पकड़ा। इधर जब अंकित पकड़ में आया था। उसने कहा कि रिश्वत की यह राशि मैं अपने लिए नहीं ले रहा था ये तो मेडिसिन विभाग के डॉ. मनीष जैन द्वारा मांगी जा रही थी जो मैंने रिसीव की है।
लोकायुक्त टीम ने तत्काल ही डॉ. मनीष को भी ट्रेप करने जाल बिछाया। लेकिन डॉ. जैन ने उक्त राशि नहीं ली। उनके कक्ष में एक जगह से यह रकम जब्त जरूर हुई। बाद में मामले का विधि शाखा से परीक्षण कराया गया। जिसमें डॉ. जैन की इस रिश्वकांड में कोई भूमिका नहीं निकली। नतीजतन लोकायुक्त पुलिस ने उनका नाम अभियोजन द्वारा प्रस्तुत फाइनल चालान से हटा दिया। इसके बाद केवल अंकित दुबे पर अभियोजन चलाया गया। जिसके बाद विद्वान न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुना और क्लर्क दुबे पर लगे आरोपों को संदेह से परे पाया। जिसके बाद उसे अलग-अलग धाराओं में क्रमश: 3 व 4 साल की सजा सुनाई गई।
साथ ही उसे 10-10 हजार रु. का जुर्माना भी भरना पड़ेगा। जुर्माना नहीं देने की स्थिति में अभियुक्त दुबे को 6-6 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक एलपी कुर्मी और एडीपीओ श्याम नेमा ने की।
27/09/2024



