साइबर ठगों ने रिटायर्ड डॉक्टर को किया डिजिटल हाउस अरेस्ट
शहर की पॉश कॉलोनी निवासी डॉक्टर ने समझदारी से लिया काम इसलिए नहीं हो पाई ठगी

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सागर। शहर के एक रिटायर्ड सीनियर मेडिकल ऑफिसर को साइबर ठगों ने हाउस अरेस्ट कर लिया। करीब डेढ़ घंटे तक उनसे मुंबई क्राइम ब्रांच और CBI के इंस्पेक्टर और वरिष्ठ अधिकारी बन ठगों ने पूछताछ का ड्रामा किया। वह तो इन डॉक्टर साहब ने थोड़ी सी समझदारी दिखाई और ठगी से बच गए।
सिविल लाइन थाने में दी गई शिकायत के अनुसार रिटायर जिला आयुष अधिकारी डॉ. संजय खरे को एक अनजान नंबर से कॉल आया उस तरफ से कहा गया कि आपका नाम अमुक-अमुक है। आपके बैंक खाते से 25 लाख रु. एक ड्रग डीलर को दिए गए हैं। मुंबई क्राइम ब्रांच ने फाइनेंसियल इंटेलीजेंस से मिले इनपुट के आधार पर आपको संदिग्ध माना है। यह राशि आपने इस व्यक्ति ( वाट्स एप पर तत्काल एक फोटो भेजकर) को ट्रांसफर की है।
इसके बाद खुद को साइबर क्राइम यूनिट का अफसर बताने वाले इस इंस्पेक्टर अजय कुमार बंसल ने डॉक्टर साहब को अंग्रेजी भाषा में एक नोटिस भेजा। जिससे बहुत कुछ जाहिर होता है कि ये ठग किस तरीके से लोगों के बैंक खातों से रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा लेते हैं। ( खबर के आखिर में नोटिस का अनुवाद मौजूद है)
बैकग्राउंड में आवाजें ऐसी कि सच में क्राइम ब्रांच का ऑफिस हो
डॉ. खरे ने बताया कि इंस्पेक्टर मिलिन्द अपनी बातों पर मुहर लगवाने के लिए अपने किसी सीनियर अफसर के पास फोन ले गया। उसने मुझ से बात की और बोला कि आप बड़े संकट में फंस सकते हैं। इसलिए जो पूछा जाए उसका जवाब देते जाएं।
इस दौरान मैंने महसूस किया कि जो व्यक्ति मुझसे बात कर रहा था वहां बैक ग्राउंड में काम कर रहे लोगों की बातचीत , टाइपिंग की आवाज पुलिसिया तरीके से पूछताछ की जा रही थी। मैं ये सब सुन कुछ – कुछ डरने लगा।
उस अधिकारी ने बताया कि आपकी आईडी से खुले एक बैंक एकाउन्ट से 25 लाख रु दिए गए हैं। फिलहाल जांच के लिए आप अपने वर्तमान बैंक खातों का पूरा , उनमें जमा रकम लेन – देन का ब्योरा दें। इस दौरान उन लोगों ने मुझे एक ही स्थान पर बैठे रहने और किसी मित्र- परिचित से संपर्क करने के लिए सख्ती से मना कर दिया था।
उन लोगों का कहना था कि अगर ऐसा किया तो वे लोग भी आरोपी बना दिए जाएंगे। इसके बावजूद मैंने कहा कि मुझे इस बारे में अपने बेटे से बात करनी है। तब वह अफसर बोला आप बात नहीं कर सकते। फिर मैंने बहाना बनाया कि मुझे बाथरूम जाना है। तो अफसर बोला ये मोबाइल लेकर जाओ। उस समय मेरे और उसके बीच वीडियो कॉल पर बात हो रही थी। मैंने खीझते हुए कहा , बाथरूम में वीडियो कॉल करते हुए नहीं जाऊंगा। तब वे लोग बोले ठीक कॉल कट मत करना।
जल्दी होकर आओ। मैं तुरंत बाहर निकला और एक दूसरे मोबाइल फोन से इंदौर में रह रहे बच्चों से बात की। तब उन्होंने बताया कि पापा ये फ्रॉड बाजी है। आप तुरंत जाएं और भीतर जाकर वीडियो कॉल वाला फोन काट दें। इसके बाद मैंने तुरंत अपने पड़ोस में रहने वाले सीनियर पुलिस अफसर को पूरा वाकया बताया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले आप अपने ATM, बैंक एकाउन्ट आदि सभी लॉक करा दें। इसके बाद सिविल लाइन थाने में लिखित शिकायत देकर आएं।
पत्र का एडिटेड मजमून इस तरह से है –
मुंबई अपराध शाखा और केंद्रीय जांच ब्यूरो / सह-आयोजक वित्त मंत्रालय
सबजेक्ट: नोटिस संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग मामला
संदिग्ध IAT SHARE के पास आधार संख्या: 0115** है
आपको औपचारिक रूप से सूचित किया जाता है कि वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों ने एक संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन की त्वरित जांच शुरू की है, जिसमें आपकी संलिप्तता गहन जांच के दायरे में है, आईपीएस मुंबई से एक शिकायत प्राप्त हुई है। जो आईपीएस मुंबई के सभी आदेशों का पालन करते हुए जांच चल रही है। इस जांच से बचने या बाधा डालने के किसी भी प्रयास का कानून की पूरी सख्ती से निपटारा किया जाएगा।
इस व्यक्ति के बैंक खाते को भारत के वित्तीय और सीबीआई विभाग द्वारा सत्यापित किया जाना है। इस व्यक्ति की 99% वैध राशि वित्तीय विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है। और जांच के 15 मिनट के भीतर सत्यापन के बाद राशि सत्यापित और वापस कर दी जाएगी। (भारतीय स्टेट बैंक और आरबीआई) द्वारा दिए गए निगरानी खाते जो किसी भी गोपनीय नाम पर एक सामान्य खाता होगा। और बैंक खाते में कुछ अवैध लेनदेन होने पर जांच के 15 से 20 मिनट के भीतर राशि सत्यापित और वापस कर दी जाएगी। जांच के दायरे में आए व्यक्ति के मूल खाते में वापस नहीं भेजा जाएगा।
1- यदि धनराशि वैध है तो उसे उसी खाते में वापस कर दिया जाएगा तथा आगे की कार्यवाही के साथ मामला बंद कर दिया जाएगा।
2. गलतफहमी की स्थिति में, यदि व्यक्ति अपने बैंक खातों और खाते की धनराशि को सत्यापित नहीं करना चाहता है, तो तुरंत आरबीआई को सभी खातों को फ्रीज करने के लिए ईमेल करें, और उसे संपत्ति जब्ती और गिरफ्तारी वारंट का आदेश भेजें और उसे 1 घंटे के भीतर हिरासत में ले लें।
3 भारतीय दंड संहिता- खातों में हेराफेरी करने और अवैध राशि प्राप्त करने वाले व्यक्ति के खिलाफ 477 सीआरपीसी-पीएमएलए 45 (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया जाता है। इसमें 477 ए के समान ही सजा का प्रावधान है, जिसमें 20 लाख रुपये जुर्माने के साथ 7 साल की कैद है।
इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी
मिलिंद शर्मा – डीसीपी साइबर अपराध
नितिन पाटिल आईपीएस- क्राइम ब्रांच कमिश्नर जार्ज मैथ्यु आईपीएस- वित्त विभाग
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ऐसे समझें साइबर ठगों का तरीका
- – धोखेबाज़ स्वयं को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताते हैं और पीड़ितों को डिजिटल रूप से अपने घर में ही सीमित रहने के लिए मजबूर करते हैं।
- – पीड़ितों को हवाई अड्डों पर सीमा शुल्क विभाग द्वारा प्राप्त उनके पार्सल के बारे में सूचित किया जाता है, जिसमें अवैध वस्तुएं या अनधिकृत स्रोतों से लेनदेन होता है।
- – उन्होंने एक नकली पुलिस स्टेशन बनाकर एक जाल बिछाया, जिसमें एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी का रूप धारण करता था।
- – पीड़ितों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के मामले को निपटाने के लिए धनराशि हस्तांतरित करने के लिए कहा जाता है अथवा यह बहाना बनाया जाता है कि धनराशि को भारतीय रिजर्व बैंक के सॉफ्टवेयर द्वारा सत्यापित कर उन्हें वापस हस्तांतरित कर दिया जाएगा। ऐसे अपराध से कैसे निपटा जाए ? . कभी भी किसी पर आभासी रूप से विश्वास न करें
- लोगों को पता होना चाहिए कि पुलिस किसी से वर्चुअल मोड में पूछताछ नहीं करती।
- आधार नंबर सहित कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें
- अविश्वसनीय एप्लिकेशन और लिंक से बचें
- जब किसी को इस तरह की धमकी भरी कॉल आए तो नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर अपराध विभाग से संपर्क करें। 14/09/2024



