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नशीले कफ सीरप के मुख्य सरगना ने सागर को बना लिया था हेडक्वार्टर

सागर निवासी आरोपी पिता-पुत्र ने दिलाया था मकान, डीपीएस में पढ़ रहे थे बच्चे, केंद्रीय जेल रीवा में बंद पिता-पुत्र की सेशन कोर्ट से जमानत नामंजूर, हाईकोर्ट में की अपील, विवेचनाधिकारी बोले, एनडीपीएस एक्ट में दर्ज मामलों में परिजनों पर भी हो सकती है कार्रवाई

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सागर। केंद्रीय जेल रीवा में बंद सागर निवासी नशीले कफ सीरप के अवैध कारोबारी पिता-पुत्र क्रमश: अरविंद जैन और सिट्टू उर्फ सिटीजन जैन का जमानत आवेदन रीवा सेशन कोर्ट ने नामंजूर कर दिया है। अब इन दोनों ने ग्वालियर हाईकोर्ट में जमानत याचिका पेश की है। इधर एक बड़ी जानकारी ये मिली है कि सागर पुलिस घोर लापरवाही के चलते रीवा समेत पूरे विंध्य में नशीले कफ सीरप के एक बड़े सरगना विच्चू उर्फ विजय साहू ने अपना पूरा कारोबार सागर शिफ्ट कर लिया था। सागर को नशे की तस्करी का हेड क्वार्टर बनाने में इन्हीं पिता-पुत्र ने मदद की। यह दावा इस केस की विवेचना कर रहे रीवा के चोरहट थाना प्रभारी श्रृंगेशसिंह राजपूत ने किया है।
एनडीपीएस एक्ट में परिजन को भी गिरफ्तार करने का प्रावधान
टीआई राजपूत का कहना है कि अरविंद और सिटीजन की मदद से विच्चू ने सागर में किराए से रहवासी मकान ले लिया था। वह बीते कई महीनों से अपने बीबी-बच्चों समेत रह रहा था। उसने अपने बच्चों का एडमिशन यहीं पर डीपीएस में करा दिया था। फिलहाल विच्चू मय परिवार के फरार है। राजपूत का कहना है कि हम लोगों को बिच्चू की पत्नी भी अगर मिल जाती है तो उसे भी गिरफ्तार किया जा सकता है, क्योंकि एनडीपीएस एक्ट में गांजा, कोकीन, चरस या इससे बनने वाले प्रोडक्ट जैसे कफ सीरप, टेबलेट्स के अवैध व्यापार से अगर आरोपी का परिवार भी लाभान्वित होता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। विच्चू इसके पूर्व भोपाल, दिल्ली और यूपी के शहरों में रहकर यही कारोबार करता रहा है।
सागर के प्रभारी और डिप्टी सीएम शुक्ला चला रहे हैं विशेष अभियान
मामले की जांच कर रहे रीवा पुलिस के अधिकारियों के अनुसार रीवांचल के सतना, सीधी, महुगंज आदि में कफ सीरप से नशा करने का चलन प्रदेश में सबसे ज्यादा है। डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ.राजेंद्र शुक्ल इस मामले में काफी गंभीर हैं। उन्हीं के निर्देश पर उक्त कार्रवाइयां की गई। एक दिन पहले ही सतना में कफ सीरप की एक बड़ी खेप पकड़ी गई। डॉ. शुक्ल सागर के प्रभारी मंत्री भी हैं। रीवा पुलिस के अनुसार इस क्षेत्र में हालात ये हो चले हैं कि अवैध शराब की खेप कम और कफ सीरप अधिक पकड़ा जा रहा है। कफ सीरप इसलिए अधिक खप रहा है क्योंकि इसकी एक शीशी से कई-कई घंटे नशा रहता है। जबकि शराब से दो-एक घंटे तक ही नशा रहता है। गंध नहीं आने के कारण भी युवा वर्ग इसकी जकड़ में आ रहा है। मेडिकल स्टोर चलाने वालों को ऑनरेक्स, कोरेक्स सरीखे कफ सीरप जहां 40- 60 रु. में मिल जाते हैं। वहीं उन्हें वह 200-300 रु. तक में बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। कफ सीरप की खपत बढ़ने के कारण इस रीजन में शराब का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।
नपुंसकता समेत किडनी, हृदय, शुगर की बीमारियां होती हैं
विभिन्न हेल्थ रिसर्च से एक बात सामने आई है कि कोकीन, चरस, अफीम केटेगरी के कोडीन नाम के अवयव से बनने वाले कफ सीरप की आदत से मानव शरीर में कई विकृति व बीमारियों का खतरा रहता है। जिनमें नपुंसकता, किडनी की कमजोरी, हृदय व डायबिटीज प्रमुख हैं। बीएमसी सागर के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. रमेश पांडे का कहना है कि कफ सीरप में मौजूद कोडीन का असर सीधे नर्व सिस्टम पर होता है। जिसका असर सुस्ती, अत्यधिक उत्तेजना, बेसुधीपन आदि के रूप में सामने आता है। यही लक्षण बाद में बीमारी का रूप ले लेते हैं।

पिता-पुत्र हुए थे, गिरफ्तार आजीवन कारावास का प्रावधान
रीवा की पुलिस ने विजय टॉकीज के पास मेडिकल स्टोर चलानेे वाले इन पिता-पुत्र अरविंद जैन व सिटीजन जैन को एक महीने पहले 3 अगस्त को गिरफ्तार किया था। पुलिस को उनकी दुकान के गोडाउन से 72 हजार शीशी ऑनरेक्स नाम के नशीले कफ सीरप की मिली थीं। वहीं इनके बैंक खातों में 6 करोड़ रु. से अधिक का लेन-देन भी मिला था। पुलिस इन पिता-पुत्र तक रीवा में मिली इन विंग्स बायोटेक, हिमाचल प्रदेश के इस ऑनरेक्स कफ सीरप की शीशियों पर दर्ज ओएनटीएस नंबर के जरिए पहुंची थी। पुलिस ने मालूम किया कि यह बैच नंबर सागर में अरविंद-सिटीजन की दवा फर्म टाटा फार्मा को सप्लाई किया गया है। जिसके बाद पुलिस की एक टीम सागर आई और यह बड़ी खेप जब्त कर पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर लिया। विवेचनाधिकारी राजपूत अनुसार एनडीपीएस एक्ट में अगर कफ सीरप की 11 से अधिक शीशियां अवैध रूप में मिलती हैं तो संबंधित व्यक्ति को 10 साल तक और 300 से अधिक शीशियां मिले तो आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। 

NDPS अधिनियम की धारा 27A: धारा 27A के तहत शामिल प्रावधान के मुताबिक, धारा 2 के खंड (viiia) के उप-खंड (i) से (v) में निर्दिष्ट किसी भी गतिविधि में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल कोई भी व्यक्ति अथवा उपरोक्त किसी भी गतिविधि में संलग्न किसी व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करने वाला कोई भी व्यक्ति अधिनियम के तहत दंड का पात्र होगा। ऐसे व्यक्ति को कठोर कारावास की सज़ा दी जाएगी, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी और जिसे बीस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही उस व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो कि एक लाख रुपए से कम नहीं होगा, किंतु यह दो लाख रुपए से अधिक भी नहीं होगा।

05/09/2024

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